मंजूर अहमद अली पेंसिल ब्लॉक बनाने का काम करते हैं। (सांकेतिक चित्र, Pixabay)
मंजूर अहमद अली पेंसिल ब्लॉक बनाने का काम करते हैं। (सांकेतिक चित्र, Pixabay)

मंजूर अली कैसे बने कश्मीर के ‘मंजूर पेंसिल’

Published on

By: शेख कयूम

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 'मन की बात' में जिन 45 वर्षीय मंजूर अहमद अली का जिक्र किया गया है, उन्होंने कश्मीर में 100 लोगों को रोजगार दिलाया है।

आईएएनएस से बात करते हुए मंजूर ने याद किया कि कैसे हर दिन 100 लोगों को रोजगार देने के उनके सपने को पूरा करने के लिए उनके परिवार को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।

उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्री ने मेरे काम का उल्लेख कर इसे एक उपलब्धि के रूप में पहचाना। मैं 1976 में पुलवामा जिले के ओखू गांव में पैदा हुआ था। मेरे पिता अब्दुल अजीज अल्ली ने एक स्थानीय डिपो में लकड़ी लोडर के रूप में काम करते थे, जहां उन्हें रोजाना 100 से 150 रुपये मिलते थे। जाहिर है, पूरे परिवार और बच्चों की पढ़ाई के लिए इतने में गुजारा करना मुश्किल था। लिहाजा, 1996 में अपनी 10वीं कक्षा की परीक्षा पासकर मैंने भी काम करने का फैसला किया।"

उन्होंने आगे कहा, "1997 में पैतृक भूमि का एक टुकड़ा बेचकर हमें 75 हजार रुपये मिले। वहां हमने नरम पोपलर की लकड़ी से फलों के बक्से बनाने शुरू किए। जिंदगी में निर्णायक मोड़ तब आया जब 2012 में जम्मू में एक पेंसिल निर्माण कंपनी के मालिकों से मिला। उन्होंने हमारे गांव से पेंसिल बनाने के ब्लॉक खरीदने में दिलचस्पी दिखाई। बस, मैंने अपने पिता और भाई अब्दुल कयूम अल्ली के साथ पेंसिल ब्लॉक बनाना शुरू किया।"

इस समय मंजूर ने अपने व्यापार के जरिए 15 स्थानीय लोगों को रोजगार दिया। फिर पेंसिल कंपनी के मालिकों ने मुझे बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए आधुनिक मशीनें खरीदने को कहा। मैंने बैंक से लोन लेकर काम बढ़ाया। आज मेरा इंटरप्राइज 1 करोड़ का है और इसके जरिए 100 लोगों को रोजगार मिला है।

मंजूर कहते हैं, "मैंने अपने दोनों बेटों को भी इसी व्यवसाय में लाने का फैसला किया है।"

आज मंजूर द्वारा सप्लाई की जाने वाली पोपलर की लकड़ी से बनी पेंसिलें 77 देशों में उपलब्ध हैं, जहां उन्हें विभिन्न भारतीय ब्रांड नामों के तहत बेचा जाता है। मंजूर को उनके गृह जिले में 'मंजूर पेंसिल' के नाम से जाना जाता है, हालांकि परिवार के लिए यह यात्रा कभी भी आसान नहीं रही।(आईएएनएस)

logo
hindi.newsgram.com