
'विश्व मानवाधिकार दिवस' को आज ही के दिन विश्व भर में मनाया जाता है। किन्तु क्या मानवाधिकार का हनन स्वयं विश्व के बड़े संगठन तो नहीं कर रहे? ऐसा इसलिए कि जब देश में मानवाधिकार का मुद्दा उठता तब एक तथाकथित हितैषी तबका आतंकियों के मानवाधिकार की बात करता है। जब कि कुछ दिन पहले एक शतरंज खिलाड़ी पर इसलिए पाबन्दी लगा दी गई थी क्योंकि उसने हिजाब नहीं पहना हुआ था। किन्तु मानवाधिकार के तथाकथित जानकार पक्ष ने इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा था।
एक मानवाधिकार संगठन ने तो आईएसआईएस के आतंकियों की गिरफ़्तारी और भूखा रखने पर भी आपत्ति जताई थी और कहा था कि यह मानवाधिकार का हनन है। किन्तु कई बड़े संगठनों ने आईएसआईएस के आतंक को ही मनवाधिकार के विपरीत बताया था।
'भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है' यह तो सब जानते हैं, किन्तु कुछ बुद्धिजीवियों को केवल देश को बाँटने में ही उल्लास की अनुभुति होती है। इस के लिए आप टुकड़े-टुकड़े गैंग या पालघर लिंचिंग पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। और तो और लव जिहाद पर लाए कानून को भी मानवाधिकार का हनन बताने वाले कम नहीं हैं। दो वकीलों और एक कानूनी शोधकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विवाह के माध्यम से धार्मिक धर्मांतरण की घोषणा करने वाले अध्यादेश को चुनौती दी गई, जिसमें तर्क दिया गया है कि विभिन्न धर्मों से संबंध रखने वाले जोड़ों को गलत तरीके से फंसाने के लिए इस कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है।
क्या तीन तलाक पर कानून भी मानवाधिकार का हनन करने वाला कानून है? क्योंकि इस कानून को भी कुछ नेताओं ने हनन की दृष्टिकोण से देखा है। इस में सबसे ऊपर हैं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवेसी जिन्होंने यह कहा था कि "इस कानून का दुरुपयोग होगा, आप इंतजार करें और देखें"।
यह भी पढ़ें: लव जिहाद : पहले और अब की कहानी
आज मानवाधिकार पर दोहरा चरित्र क्यों अपनाया जा रहा है? वोटों के लिए ढोंग क्यों रचा जा रहा है? हिन्दुओं की हत्याओं पर यह सभी अवार्ड वापसी गैंग और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोग क्यों चुप्पी साधे बैठेंगे?
हिन्दुओं पर हुए लिंचिंग की एक सूची जिस पर हर कोई चुप रहा:
मानव के लिए सभी तभी सक्रीय रूप से लागु होते हैं जब हम एजेंडे का चश्मा उतारकर समानता का दामन ओढ़ते हैं।