यदि कोई पैगम्बर पर टिप्पणी करेगा उसका सर और जुबान काट दिया जाएगा!

यति नरसिंहानंद सरस्वती, भगवा वस्त्र में।(स्क्रीनशॉट)
यति नरसिंहानंद सरस्वती, भगवा वस्त्र में।(स्क्रीनशॉट)
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पिछले दिनों डासना में हुई आसिफ की पिटाई और "मुसलमानों का मंदिर में आना वर्जित है", इस पर आपने कई बहस और ट्रेंड देखे होंगे। किन्तु हाल ही में आम आदमी पार्टी से विधायक अमानतुल्लाह खान के एक ट्वीट से लिब्रलधारियों और मुस्लिमों को नया मौका मिल गया डासना के शिव शक्ति पीठ के महंत नरसिंहानंद सरस्वती पर हमला, गिरफ़्तारी और सर काटने की मांग वाले ट्वीट ट्रेंड कराने की। इससे पहले कि अमानतुल्लाह खान के ट्वीट के विषय में बात करें आपको यह जानना जरूरी है कि आखिर पूरा मामला है क्या।

हाल ही में महंत नरसिंहानंद सरस्वती ने पैगंबर मोहम्मद पर आलोचना करते हुए प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया के कार्यक्रम में कहा कि "हम हिन्दू होते हुए परशुराम जी के चरित्र की मीमांसा कर सकते हैं, श्री राम चंद्र जी के चरित्र की मीमांसा कर सकते हैं तो यह पैगम्बर क्या चीज़ है? अगर आज मोहम्मद का सच दुनिया के मुसलमान को चले जाए तो उसे अपने मुसलमान होने पर शर्म आएगी। क्योंकि भगवान हर इंसान के अंदर एक अंतरात्मा देता है, जिसे पता होता है कि क्या अच्छा है, क्या बुरा है और जब किसी इंसान को पता चलेगा कि वो केवल एक चोर, लुटेरे, बलात्कारी को, औरतों की सौदागरी करने वाले को फॉलो कर रहा था, तो उसे शर्म आएगी। ये तो हिंदुस्तान के घटिया नेता और नकली धर्मगुरु हैं, जिन्होंने इस्लाम जैसी गंदगी का महिमामंडन कर दिया। अगर इस्लाम के बारे में खुल कर बोला जाता तो आज हम मुसलमान को अपने मुसलमान होने पर शर्म आती। उसे शर्म आती कि वो हिंदुओं के खाने में थूक रहा है, उसे शर्म आती कि उसने अपने भाई जैस दोस्त की पत्नी और बेटी पर गंदी निगाह डाली।"

इसके बाद तो लगा जैसे अमानतुल्लाह खान की स्वयं निंदा की गई हो, क्योंकि उन्होंने अपने ट्वीट में वीडियो को शेयर करते हुए महंत नरसिंहानंद सरस्वती की जुबान और सर काटने की बात की है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि "हमारे नबी की शान में गुस्ताखी हमें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं, इस नफ़रती कीड़े की ज़ुबान और गर्दन दोनो काट कर इसे सख़्त से सख़्त सजा देनी चाहिए। लेकिन हिंदुस्तान का क़ानून हमें इसकी इजाज़त नहीं देता, हमें देश के संविधान पर भरोसा है और मैं चाहता हूँ कि @DelhiPolice इसका संज्ञान ले।"

बहरहाल, ट्वीट एक विधायक ने किया है तो उसपर प्रतिक्रिया आना लाजमी बात है। जिस वजह से दो हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, एक हैशटैग है #मैं_नरसिंहानंद_जी_के_साथ_हूं और दूसरा हैशटैग है #ArrestNarsinghanand या #नरसिंहआनंद_को_गिरफ्तार_करो। जिसमे कई लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। कई लोग महंत नरसिंहानंद द्वारा दिए गए बयान और निडरता की सराहना कर रहे हैं और दूसरी और अधिकांश मुस्लिम और सेक्युलर लोग महंत की गिरफ़्तारी की मांग कर रहे हैं।

आपको बता दें कि महंत नरसिंहानंद उस समय सुर्ख़ियों में आए थे जब आसिफ को मंदिर के प्रांगण में मारा गया था और तब इस्लाम हितैषियों ने यह आरोप लगाया था कि उसे मंदिर में पानी पीने के लिए मारा गया। जबकि महंत नरसिंहानंद ने साफ-साफ और कड़े लहजे में कहा कि मुसलमानों का आना मंदिर में वर्जित है और इसके पीछे उन्होंने कारण बताया था कि मंदिर में मुसलमान लड़के भगवान की मूर्तियों को क्षति पहुंचाते हैं और दर्शन के लिए आई बच्चियों और महिलाओं को छेड़ते हैं और अभद्र टिप्पणी करते हैं।

'आप' पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान द्वारा किए गए ट्वीट के बाद फिर आलोचनाओं के घेरे में आ गए हैं। क्योंकि अपने ट्वीट में वह मंहत नरसिंहानंद की जुबान और सर काटने की बात कर रहे हैं और इसी पर कटाक्ष करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत पटेल ने भी एक ट्वीट किया है जिसमे वह लिखते हैं कि "अमानतुल्ला खान ने जो कुछ भी कहा है, वह इस्लाम के अनुसार है और यह सही इस्लाम है।"

ट्वीट और ट्रेंड का सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा किन्तु देखना यह है कि जो लोग बोलने की आज़ादी के नाम पर भगवान का मज़ाक उड़ाते हैं उनके लिए इन लिबराधारियों की क्या सोच है? और क्यों यह सभी उस समय छुप जाते हैं जब रिंकू शर्मा को घर के बाहर बेरहमी से मार दिया जाता है या तब जब मंदिरों में इसी शांतिप्रिय समुदाय के लोग भगवान की मूर्तियों को क्षतिग्रस्त कर देते हैं या लोगों के खाने में थूक कर परोसते हैं?

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