भारतीय मीडिया को भी अब ग्लोबल होने की जरूरत: मोदी

नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री। (PIB)
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री। (PIB)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आज जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं, जब लोकल के लिए वोकल होने की बात कर रहे हैं, तब हमारा मीडिया इस संकल्प को एक बड़े अभियान की शक्ल दे रहा है। हमें आत्मनिर्भर भारत के विजन को और व्यापक करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग से जयपुर में पत्रिका गेट का लोकार्पण करते हुए कहा, भारत के लोकल प्रोडक्ट्स ग्लोबल हो रहे हैं। भारत की आवाज भी अब ज्यादा ग्लोबल हो रही है। दुनिया भारत को अब और ज्यादा ध्यान से सुनती है। भारत की हर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूत उपस्थिति है। ऐसे में भारतीय मीडिया को भी ग्लोबल होने की जरूरत है।

नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री (PIB)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पत्रिका गेट को राजस्थान की संस्कृति को प्रतिबंबित करने वाला बताया। उन्होंने राजस्थान पत्रिका के गुलाब चंद्र कोठारी की पुस्तक 'संवाद उपनिषद' और 'अक्षर यात्रा' का विमोचन करते हुए कहा कि यह देश की भावी पीढ़ी को अतीत के साथ संवाद करने के लिए प्रेरित करता है। पुस्तकें साहित्य और संस्कृति के लिए अनुपम उपहार हैं। इस वर्चुअल कार्यक्रम में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी हिस्सा लिया।

वर्चुअल कार्यक्रम में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रधानमंत्री मोदी। (PIB)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान लेखन और साहित्य पर चर्चा करते हुए कहा, हमारे देश में तो लेखन का निरंतर विकास भारतीयता और राष्ट्रीयता के साथ हुआ है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लगभग हर बड़ा नाम, कहीं न कहीं से लेखन से भी जुड़ा था। हमारे यहां बड़े-बड़े संत, बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी लेखक और साहित्यकार रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, किसी भी समाज में समाज का प्रबुद्ध वर्ग, समाज के लेखक या साहित्यकार ये पथप्रदर्शक की तरह होते हैं, समाज के शिक्षक होते हैं। स्कूली शिक्षा तो खत्म हो जाती है, लेकिन हमारे सीखने की प्रक्रिया पूरी उम्र चलती है, हर दिन चलती है। इसमें बड़ी अहम भूमिका पुस्तकों और लेखकों की भी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कर्पूर चंद्र कुलिश ने भारतीयता और भारत सेवा के संकल्प को लेकर ही पत्रिका की परंपरा को शुरू किया था। पत्रकारिता में उनके योगदान को तो हम सब याद करते ही हैं, लेकिन कुलिश ने वेदों के ज्ञान को जिस तरह से समाज तक पहुंचाने का प्रयास किया, वो सचमुच अद्भुत था।(आईएएनएस)

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