​भारत की बेटी का पाकिस्तान को करारा जवाब, ‘कश्मीर’ है भारत का एक अभिन्न अंग

संयुक्त राष्ट्र मिशन की प्रथम सचिव सीमा पुजानी
संयुक्त राष्ट्र मिशन की प्रथम सचिव सीमा पुजानी
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जिनेवा में भारत के संयुक्त राष्ट्र मिशन की प्रथम सचिव सीमा पुजानी(Seema Pujani) ने मानवाधिकार परिषद में गुरुवार को 49वें सत्र की उच्च स्तरीय बैठक में पाकिस्तान के मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी के बयान पर जवाब दिया। सीमा पुजानी ने कहा आतंकवादी संगठनों को संरक्षण देने, सीमा पार आतंकवाद में शामिल होने और अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकवादियों को समर्थन देने के लिए पाकिस्तान को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

उन्होंने(Seema Pujani) आतंकवाद को मानवता के खिलाफ अपराध बताते हुए कहा, "पाकिस्तान द्वारा समर्थित और प्रशिक्षित आतंकवादी भारत में हुए आतंकी हमलों के साथ-साथ दुनिया के अन्य हिस्सों में होने वाले हमलों से जुड़े हैं। वे मानवाधिकारों का उल्लंघन करने के लिए जिम्मेदार हैं। हमारे क्षेत्र के लोगों के जीवन के लिए और हर जगह शांति तथा सुरक्षा के लिए खतरा हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों को पाकिस्तान अपना समर्थन देता और उन्हें फलने फूलने का मौका भी देता है ।"

उन्होंने(Seema Pujani) कहा: "मजारी के बयान में कोई दम नहीं है और यह भारत के खिलाफ झूठे तथा दुर्भावनापूर्ण प्रचार का प्रचार करने की उसकी प्रवृत्ति का हिस्सा है। पाकिस्तान की खराब स्थिति से ध्यान हटाने के अलावा कुछ भी नहीं है, खासकर पाकिस्तान में कट्टरवाद, अल्पसंख्यकों ,हिन्दुओं, इसाई समुदाय और अहमदिया वर्गों के उत्पीड़न पर विश्व का ध्यान हटाने के लिए वह इस तरह की बयानबाजी करता है। "

मजारी के इस दावे पर कि कश्मीर भारत के अवैध कब्जे में है और भारत ने वहां जनसांख्यिकीय परिवर्तनों की गति को तेज कर दिया है" पर पुजानी(Seema Pujani) ने कहा "जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों का पूरा क्षेत्र भारत का अविभाज्य और एक अभिन्न हिस्सा है। इन क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास और सुशासन सुनिश्चित करने के लिए किए गए सभी उपाय भारत के आंतरिक मामले हैं।"

पुजानी(Seema Pujani) ने जनवरी में पेशावर में पादरी विलियम सिराज की हत्या ,जफर भट्टी को ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा, पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों की नाबालिग लड़कियों के अपहरण, जबरन धर्मांतरण और जंबरन शादी के अनगिनत मामलों एवं अल्पसंख्यकों के "धार्मिक उत्पीड़न" का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा "दुनिया में सबसे कठोर ईशनिंदा कानूनों में से कुछ, जो इस्लाम का अपमान करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए संभावित मौत की सजा देते हैं, पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों के जीवन के लिए खतरा हैं।"

उन्होंने(Seema Pujani) कहा कि पाकिस्तान में अत्यधिक त्रुटिपूर्ण न्यायिक प्रक्रियाओं के कारण ईशनिंदा के आरोप में लगभग 80 व्यक्तियों को मौत या आजीवन कारावास की सजा दी गई हैं। उन्होंने दिसंबर 2021 में सियालकोट में श्रीलंकाई ईसाई प्रियंता कुमारा की लिंचिंग और पिछले महीने खानेवाल जिले में मुहम्मद मुश्ताक की संगसार की सजा का जिक्र करते हुए कहा "इस तरह के मामलों को बहुत ही तेजी से अदालत के बाहर हिंसा के साथ सुलझाया जा रहा है।"

पुजानी(Seema Pujani) ने कहा" सिंध की रोशनी मेघवार का मामला, जो केवल 13 साल की थी, जिसका अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और उसके अपहरणकर्ता से शादी कर दी गई थी, पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कुचलने का एक उदाहरण है।" ऊन्होन यह भी कहा कि अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों को अपवित्र किया जा रहा है और उनकी रक्षा के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

इसके अलावा,पुजानी(Seema Pujani) ने इस्लामिक सहयोग संगठन(IOC) और तुर्की को भी आड़े हाथों लिया। IOC द्वारा दिए गए बयानों के बारे में, पुजानी ने कहा "हमें खेद है कि ओआईसी देश पाकिस्तान को भारत विरोधी प्रचार में शामिल होने के लिए ओआईसी मंच का दुरुपयोग करने की अनुमति दे रहे हैं।" उन्होंने सत्र के दौरान तुर्की की कश्मीर संबंधी टिप्पणी पर भी आपत्ति जताई और कहा "हमें तुर्की द्वारा की गई टिप्पणियों पर खेद है। यह भारत का आंतरिक मामला है और हम उसे अपने आंतरिक मामलों पर अवांछित टिप्पणी नहीं करने की सलाह देते हैं।

lnput : आईएएनएस ; Edited by Lakshya Gupta

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