पावन धाम उत्तराखंड में फिर लौट रहे हैं स्वदेशी पर्यटक

पावन धाम उत्तराखंड में फिर लौट रहे हैं स्वदेशी पर्यटक

भारत में ऋषिकेश(Rishikesh) शहर का आध्यात्मिक क्षेत्र में बहुत महत्व है, किन्तु दुनिया की नज़रों में यह शहर आधी-सदी पहले आया था। जब अमेरिका का मशहूर बैंड बीटल्स के कलाकार ऋषिकेश(Rishikesh) में योग-ध्यान करने आए थे और यहीं अपने 40 गाने भी लिखे थे। जिसके बाद विदेशी पर्यटक भी यहाँ भरी मात्रा में योग एवं ध्यान की विद्या लेने आते हैं। देश के भी विभिन्न राज्यों से भी पर्यटक यहाँ मनमोहक दृश्यों को देखने आते थे, यह सिलसिला तब तक चला जब तक कोरोना महामारी ने दस्तक नहीं दी थी। किन्तु महामारी और लॉकडाउन के साथ पर्यटन में भारी गिरावट आई थी। होटल, खान-पान की दुकाने, योग की कक्षाएं यह सब ठप हो गया था।

किन्तु जिस तेजी से कोरोना महामारी का स्तर भारत में घटा है और लोगों में उसका भय कम हुआ है उसी तेजी से सब सामान्य होने ओर बढ़ चला है। अब सभी अपने परिवार के संग लम्बे सफर पर निकल रहे हैं और छुट्टियों का मज़ा ले रहे हैं। और इसी तरह ऋषिकेश(Rishikesh) में भी एक बार फिर पर्यटकों का आना शुरू हो चुका है। रिवर राफ्टिंग जैसे रोमांचक खेल दोबारा शुरू हो चुके हैं। लेकिन इस बीच विदेशी पर्यटन पर कोरोना महामारी की वजह से पाबंधी लगी हुई है जिस वजह है विदेशी पर्यटक ऋषिकेश(Rishikesh) में नाम मात्र ही दिखेंगे। किन्तु उनकी कमी पूरी कर रहे है स्वयं भारतीय।

रिवर राफ्टिंग का मज़ा उठा रहे हैं लोग।(Pixabay)

गुरुग्राम की ग्लोरिया सल्दान्हा कहती हैं कि "हाल ही में अपने पति राहुल जैन के साथ ऋषिकेश(Rishikesh) गई थी।" उन्होंने आगे बताया कि "हम नहीं जानते कि महामारी आखिर कब तक चलने वाली है, इसलिए आप घर में कब तक बंद रह सकते हैं? एक को कहीं से शुरू करना ही पड़ेगा, और यह हमारा पहला कदम था।"

पिछले दो दशकों में मध्यम वर्गीय भारतियों ने यूरोप और पूर्वी एशिया के जगहों को अपना विकेशन स्पॉट बना लिया था। एक रिपोर्ट के अनुसार 2019 में 2.6 करोड़ भारतीय इधर घूमने गए थे, जिसमें अनुमानित खर्च आया था 2500 करोड़ का।

अब वे देश के भीतर घूमने के विकल्प के रूप में ऋषिकेश(Rishikesh) जैसे पर्यटक शहरों के ओर बढ़ रहे हैं। ऋषिकेश के एक होटल प्रबंधक का कहना है कि "स्वदेशी पर्यटकों द्वारा ऋषिकेश में विदेशी पर्यटकों द्वारा पहले से बुक कमरों में रह रहे हैं।" भारत के होटल और रेस्टोरेंट संघ के उपाध्यक्ष गुरबख्श कोहली ने कहा कि "हमें यह देखने की जरूरत है कि इन 2.6 करोड़ लोगों को घरेलू पर्यटकों में कैसे बदला जाए, क्योंकि बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो विदेश जाने में सहज नहीं होंगे, भले ही मालदीव जैसी कुछ जगहें खुल गई हों, लेकिन यदि हम वहाँ खर्च किए जाने वाली रकम का एक-चौथाई भी यहाँ खर्च कर देंगे, तो हम 1.1 करोड़ विदेशी पर्यटकों को भारत लाने में सफल हो जाएंगे।

वह बताते हैं कि यात्रा और पर्यटन उद्योग, कैब चालकों से लेकर होटल कर्मचारियों तक की अनुमानित 4 करोड़ आजीविका का निर्वाह करता है, जो की महामारी से प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। ऋषिकेश के आसपास की पहाड़ियों के बीच बसे छोटे गांवों के लिए, पर्यटकों की वापसी महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिकांश स्थानीय लोग होटलों और अन्य पर्यटन-संबंधित व्यवसायों में काम करते हैं। लेकिन पिछले साल महामारी के कारण उन्होंने अपनी नौकरी खो दी थी।

ऋषिकेश(Rishikesh) के एक होटल में सफाई करने वाली महिला देवा अपनी नौकरी को बरकरार रखने में कामयाब रहीं, लेकिन उनका पति, जो पास के दूसरे होटल में रसोइए के रूप में काम करता था, वह इतना खुशकिस्मत नहीं था और उसे पिछले साल मार्च में भारत बंद होते ही काम से निकाल दिया गया। देवा बताती हैं कि "वह अभी भी घर पर हैं" उन्हे भैंस का दूध बेचना कुछ अतिरिक्त आय प्रदान करता है। "यह कठिन है, लेकिन हम किसी तरह गुजारा कर लेते हैं। अब मेरा बेटा अपने चाचा के साथ रिवर राफ्टिंग का आयोजन करने वाली कंपनी में मदद करने गया है," उन्होंने आगे कहा।

होटल में सफाई कर्मी 'देवा'।(VOA)

केवल ऋषिकेश(Rishikesh) ही वह स्थान नहीं है जिसे भारतीय, पर्यटन के लिए चुनते हैं। कोहली बताते हैं कि मुंबई के नज़दीक पर्यटन क्षत्रों में कदम रखने तक की जगह नहीं है, वहां एक भी कमरा नहीं बचा हुआ है। गोवा के साथ कश्मीर में भी सभी जगह पर्यटकों से भरी हुई है।(VOA)

(हिंदी अनुवाद: Shantanoo Mishra)

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