साल 2013 के रेलवे घूसकांड का मामला 70 और 80 के दशक के बॉलीवुड के किसी थ्रिलर फिल्म से प्रेरित हुआ मालूम पड़ता है, जिसमें पैसों के लेनदेन के लिए विलेन एक नोट के आधे हिस्से का मिलान उसके दूसरे हिस्से से करता है। इस रिश्वतकांड में भी कुछ इसी तरह की रणनीति ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा अपनाते हुए देखा गया है, जहां दस रुपये के एक नोट के कोड नंबरों का मिलान किया गया है।
वित्तीय जांच एजेंसी द्वारा इस साल की शुरुआत में तत्कालीन रेलमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन कुमार बंसल के भतीजे सहित कई लोगों के खिलाफ विशेष पीएमएलए अदालत में दायर आरोपपत्र में कई खुलासे किए गए। ईडी ने मामले में पश्चिम रेलवे के तत्कालीन महाप्रबंधक महेश कुमार सहित कई अन्य लोगों का भी नाम लिया है।
रेलवे बोर्ड में सदस्य (इलेक्ट्रिकल) के पद के लिए इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ सिग्नल इंजीनियर्स (आईआरएसएसई) के 1975 बैच के अधिकारी महेश कुमार के लिए रिश्वत की राशि को जुटाने की प्रक्रिया को अपनी आंखों से देखने वाले व्यक्तियों के बयानों की समीक्षा जब आईएएनएस द्वारा की गई तो पाया गया कि पूरे मामले में दस रुपये के एक नोट में छपे नंबर ने अहम भूमिका निभाई थी। साल 2017 और 2018 में ईडी द्वारा ये बयान दर्ज किए गए थे।
ईडी ने सुभाष भरतिया का बयान दर्ज किया, जिनके द्वारा अपने दोस्त की पत्नी मिनाती तूफानी की विंड ट्रेडिंग नामक एक फर्म की देखरेख करने के काम को संभाला जाता था। अपने बयान में भरतिया ने दावा किया कि वह पिछले 10-15 सालों से रघुवीर भुवालका को जानता है।
ईडी ने कहा, "मई, 2013 को, भुवालका ने उन्हें फोन किया और उनसे दिल्ली में 50 लाख रुपये नकद की व्यवस्था करने का अनुरोध किया और इस संबंध में उन्हें एक मैसेज भी भेजा और उस शख्स का नंबर दिया, जिन्हें ये पैसे देने थे।" ईडी ने कहा कि भरतिया ने अपने बयान में दावा किया कि उसने कोलकाता के श्यामलाल की मदद से दिल्ली के महावीर प्रसाद पारीक से संपर्क किया और पारीक ने दिल्ली में 50 लाख रुपये नकद की व्यवस्था करने पर अपनी सहमति जताई थी।
ईडी ने अपनी चार्जशीट में कहा है, "भरतिया ने बताया कि उसे दस रुपये के एक नोट का नंबर और जिसे ये पैसे भिजवाने थे उस शख्स का कॉन्टैक्ट नंबर फॉरवर्ड किया गया और उसने भी भुवालका संग भेजे जाने वाले धनराशि की पुष्टि की थी।"यहां तक कि पारीक ने भी 27 दिसंबर, 2018 को ईडी को दिए अपने बयान में दावा किया था कि भरतिया पिछले 10-15 सालों से उसी पेशे में हैं। पारीक ने ईडी को बताया कि उसे 2 मई, 2013 को भरतिया का एक मैसेज मिला कि उसे उससे 50 लाख रुपये चाहिए, जिसे उसने मान लिया।
ईडी के मुताबिक, पारीक ने आगे बताया कि भरतिया ने उसे 10 रुपये के नोट का नंबर और राहुल यादव का मोबाइल नंबर दिया, जिसे पैसे देने थे।उसने आगे बताया कि उसने अपने यहां के एक कर्मी लिख्मा राम पारीक को राहुल यादव का नंबर और दस रुपये के नोट का नंबर दिया और पैसे उसके हाथ से भिजवा दिए। लिख्मा चांदनी चौक में जाकर इस रकम को डिलीवर कर आया। लिख्मा ने भी खुद ऐसा किए जाने की पुष्टि की है।
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इस बीच, विजय कुमार मारवाहा ने 13 अप्रैल, 2018 में ईडी को दिए अपने बयान में कहा कि उसने अक्टूबर 2012 से मई 2013 के बीच वेंकटेश्वरा रेल निर्माण लिमिटेड, सोलर एलईडी सॉल्यूशन और ब्लू नील इंक जैसी कंपनियों में एक अकाउंटेंट के तौर पर काम किया है और राहुल यादव व समीर संधीर को इन्हीं कंपनियों के माध्यम से जानता है।
ईडी ने इस साल अक्टूबर में रेलवे घूसकांड मामले में महेश कुमार, सिंगला, एन. मंजूनाथ, संदीप गोयल, अजय गर्ग, यादव, संधीर, सुशील डागा, सी.वी. वेणुगोपाल, एम.वी. मुरली कृष्णा और वेंकटेश्वरा रेल निर्माण प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ धन की हेराफेरी (लॉन्ड्रिंग) अधिनियम (पीएमएलए) के विभिन्न अधिनियमों के तहत एक चार्जशीट फाइल की है। ईडी ने चार्जशीट में शामिल किए गए लोगों के लिए सजा और उनकी संपत्ति को जब्त किए जाने की मांग की है। (आईएएनएस)