साल में एक सप्ताह, नए नाटक वाला 7 दिन माना जाता है, क्योंकि इस सप्ताह वैलेंटाइन वीक यानि Valentine's day से पहले होने वाले ढकोसलों के लिए आरक्षित है। अगर आप गूगल करेंगे तो इस सप्ताह के सभी चोचलों को विस्तार में जान पाएंगे और आप यह भी समझ जाएंगे कि फूल और केक वालों ने इस के जरिए अपना अच्छा धंधा चमका रखा है। किन्तु, यदि यह सभी युवा उन फूलों को किसी शहीद स्मारक पर अर्पित करते तब न जाने इस देश की कायाकल्प कैसी होती? या क्या उस समय भी देश के भीतर ही दो स्वर होते?
आज हम इसी ढकोसलों(Valentine's day) पर नकारात्मक प्रभाव और उससे हटकर क्या कर सकते हैं उनके विषय में समझेंगे। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि जिस तेजी से पश्चिमी हवा ने देश के युवाओं को अपनी चपेट में लिया है वह सही गलत का अंतर भूल गए हैं। उन्हें न तो श्री राम में आस्था है और न ही हिन्दू या किसी अन्य धर्म में विश्वास है और इसी भ्रम को वह धर्मनिरपेक्षता और Modern सोच का नाम दे रहे हैं। साथ ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया के मंचों पर देश विरोधी ताकतों पर ताली पीट रहे हैं।
सबसे पहले, यह सप्ताह 7 फरवरी से लेकर 14 फरवरी तक किसी नौटंकी के रूप में चलता रहता है। 7 फरवरी को आता है Rose Day जिसके लिए बुद्धिधारी युवा अपने प्रेमिकाओं के लिए महंगे से महंगा गुलाब का गुलदस्ता तोहफे के रूप में भेंट करते हैं। किन्तु, जैसा आपसेे पहले बात हुई थी कि उस गुलदस्ते में से एक गुलाब को भी यदि आप शहीद स्मारक पर भेंट करते तब भी आप प्रेमी ही कहलाते और वह प्रेम सर्वोपरि होगा। क्योंकि आप उन सभी वीर वीरांगनाओं को याद कर रहे हैं जिन्होंने इस देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों आहुति दे दी थी।
दूसरा दिन है Propose Day, यदि इसका हिंदी अनुवाद करें मतलब निकलता है 'प्रस्ताव देने वाला दिन' और यदि इसके लिए एक दिन नियोजित किया हुआ है तो आप अपने प्रेम के साथ छल कर रहे हैं। सर्वज्ञाता श्री कृष्ण के संग गोकुल की राधा रानी का नाम लिया जाता है किन्तु उन्होंने कदापि अपने प्रेम के लिए प्रस्ताव का इस्तेमाल नहीं किया। इसको एक श्लोक के छंद के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं "वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वरः।" जिसका भावार्थ है "श्रीराधारानी वृन्दावन की स्वामिनी हैं और भगवान श्रीकृष्ण वृन्दावन के स्वामी हैं।" स्वयं भगवान प्रेम के बंधन में बंध चुके थे। किन्तु बुद्धिधारी युवाओं को इनमें प्रेम कहीं दिखाई नहीं देता। उन्हें यह सब मिथ्या लगता है।
भारत में राधा कृष्ण के प्रेम सदियों याद रखा जाएगा।(Pixabay)
तीसरा दिन है Chocolate Day, जिसका तात्पर्य शायद ही कोई समझ पाया हो, यदि प्रेम चॉकलेट भेंट करने से हो होता है तो हमने प्रेम के स्तर को कितना गिरा दिया है वह हम नहीं समझ रहे हैं। और तो और चौथा दिन है Teddy Day जिसमे प्रेमी एक दूसरे को teddy भेंट करते हैं। यदि उपहार देने को ही प्रेम माना जाता है तो हमे भगत के साथ उन सभी क्रांतिकारियों के देश प्रेम को समझना चाहिए जिन्होंने माँ भारती की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण खुशी उपहार स्वरूप दे दिए थे। आज उनके इस उपहार की भरपाई पूरा भारत सदियों तक नहीं चुका सकता है। और यदि असल प्रेम को समझाने के लिए भी इतिहास की जरूरत पड़ रही हो, तो यह चिंता नहीं चिंतन का विषय है।
पाँचवां दिन आता है Promise Day जिसकी नीयत और उद्देश्य भी भ्रम पैदा करता है, यदि वचन देने और निभाने के लिए भी एक दिन त्यौहार के रूप में मनाया जाता है तो भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने माता जानकी को भी एक वचन दिया था कि जब तक वह जीवित रहेंगे कोई अन्य महिला उनके जीवन में प्रवेश नहीं करेगी भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। किन्तु आज के आधुनिक युग में जब लव जिहाद जैसे मामले सामने आ रहे हैं, प्रेम में विश्वास की डोर कमज़ोर होती नजर आती है।
छठा और सातवाँ दिन है Hug Day और Kiss day, तो इसका मतलब है की आज का प्रेम वासना और हवस के भेंट चढ़ चुका है। यदि आज इसी को प्रेम माना जाता है तो यह भी चिंतन का विषय है।
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अंत में 14 फरवरी को इन सभी चोचलों का अंत होता है Valentine Day के रूप में। किन्तु क्या आप इस आधुनिक प्यार के हफ्ते को सही मानते हैं? क्योंकि माता-पिता से प्रेम अटूट होता है और आज का आधुनिक युवा वर्ग को उन्हें गुलाब या वचन देना तो दूर आशीर्वाद लेना भी उचित नहीं समझा जाता है।
क्या आप भी जागरूक हैं?