अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस : हर पाँच में से एक लड़की ने किया यौन हिंसा का अनुभव

2012 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया था। (Pixabay)
2012 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया था। (Pixabay)

डब्ल्यू.एच.ओ के अनुसार प्रत्येक वर्ष, 18 वर्ष की आयु से पहले ही, 12 मिलियन लड़कियों की शादी कर दी जाती है। वैश्विक रूप से पाँच लड़कियों में से एक ने यौन हिंसा का अनुभव किया है। पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में, किशोरों में एचआईवी के नए संक्रमण का लगभग 80% लड़कियां हैं।

महिला शिशुहत्या से लेकर, लैंगिक असमानता, यौन शोषण, और भी ना जाने कितने मुद्दे मौजूद हैं। और यह सिर्फ भारत तक सिमित नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में लड़कियों को इनका सामना करना पड़ता है।

इसी तरह के खतरों पर लगाम कसने और लड़कियों के अधिकारों और विश्व पटल पर उनके समक्ष आने वाली अनेक चुनौतियों को पहचानने के लिए, हर साल 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिन का प्रमुख मकसद महिलाओं को सशक्त बनाना और उन्हें उनके अधिकार दिलाने में मदद करना है।

यह दिन हमें उनके प्रति उदार होने को नहीं कहता बल्कि उनको समान दर्जा देने की बात करता है। उन्हें बेटों की तरह ना पाल कर, उनकी पहचान को कायम रखने की मांग करता है।

इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस का विषय है "मेरी आवाज़, हमारा समान भविष्य"

यूनिसेफ ने ट्विटर पर संदेश साझा करते हुए, लड़कियों के सुरक्षित होने के अधिकार की तरफ प्रकाश डाला है। वहीं महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बेटियों की शिक्षा पर ज़ोर देते हुए, कन्या भ्रूण हत्या जैसे दुष्कर्मों के खिलाफ आवाज़ उठायी है।

इस वर्ष हम लड़कियों और युवा महिलाओं द्वारा प्रेरित बेहतर दुनिया की संभावनाओं की बात करते हुए, समाज में उनकी आवाज़ को महत्व देने की ओर अग्रसर हैं।

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