भविष्य के इंटरनेट घोषणापत्र(Internet Manifesto)' समझौते पर अमेरिका(US), ब्रिटेन(Britain), यूक्रेन(Ukraine) सहित 60 देशों ने हस्ताक्षर किये हैं लेकिन भारत(India), चीन(China) तथा रूस(Russia) ने इस समझौते से अभी दूरी बनाई हुई है।
अमेरिका के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि भारत के इसमें शामिल होने का समय अभी खत्म नहीं हुआ है।
अमेरिका के राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक उन्हें उम्मीद है कि दुनिया भर के एक ही मानसिकता वाले देश इस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करेंगे।
यह घोषणापत्र खुले, मुक्त , वैश्विक, भरोसेमंद और सुरक्षित इंटरनेट(Internet) की वकालत करता है।
यह घोषणापत्र ऐसे वैश्विक इंटरनेट को बढ़ावा देने की बात करता है, जो मानवाधिकार और मौलिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता हो।
यह घोषणापत्र देशों को सोशल स्कोर कार्ड इस्तेमाल न करने की बात करता है। चीन में सोशल स्कोर कार्ड का इस्तेमाल होता है और एक तरह से घोषणापत्र में चीन की इस नीति की सीधी आलोचना की गयी है।
व्हाइट हाउस का कहना है कि हाल में डिजिटल सत्तावाद तेजी से बढ़ा है। कुछ देश अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटने के लिये, स्वतंत्र समाचार सूत्रों को सेंसर करने के लिये, चुनाव में अड़ंगा डालने के लिये, दुनिया भर में दुष्प्रचार करने के लिये और अपने नागरिकों को अन्य मानवीय अधिकार न देने के लिये इसका इस्तेमाल करते हैं।
अमेरिकी प्रशासन ने रूस का खुला विरोध करते हुये कहा है कि गत दो माह के दौरान इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिला है। रूस ने यूक्रेन पर हमला करके इसका प्रमाण दिया है।
अमेरिका का कहना है कि रूस ने यूक्रेन के खिलाफ अपने देश में तथा अन्य देशों में दुष्प्रचार को बढ़ावा दिया। उसने इंटरनेट समाचार स्रोतों को सेंसर किया, ब्लॉक किया या उन्हें बंद कर दिया। रूस ने तो यूक्रेन के इंटरनेट संबंधी बुनियादी ढांचें पर भी हमला किया।
अमेरिका ने कहा कि लेकिन रूस इसमें अकेला नहीं है। इंटरनेट की इतनी खतरनाक नीति अपनाने वालों में चीन और दुनिया के कुछ और देश भी शामिल हैं।
यूरोपीश् आयोग के मुताबिक अब तक 60 देशों से घोषणापत्र को अपना समर्थन दिया है जबकि आने वाले सप्ताहों में कुछ और देशों के इससे जुड़ने की उम्मीद है।
गूगल(Google) ने भी इस घोषणापत्र का स्वागत किया है।
आईएएनएस(DS)