By: कम्मी ठाकुर, स्वतंत्र पत्रकार
आम आदमी पार्टी(Aam Aadmi Party) के खेमे से अलग हुए कुमार विश्वास(Kumar Vishwas) की टीस और अन्तस्थ: पीड़ा अंततः बाहर आ ही गई। "आप" के दर से बेआबरू कर धकेले गए कुमार विश्वास ने पंजाब विधानसभा चुनाव(Punjab Vidhansabha Elections) की वोटिंग से ठीक पहले केजरीवाल पर खालिस्तानी कनेक्शन(Khalistan Connection) का आरोप लगाकर यक़ीनन सबको चौंका दिया। दिल्ली विधानसभा चुनाव में वोटों को गिनती के दौरान कुमार विश्वास का अपने सखा धूर्त केजरीवाल के साथ बार-बार खिड़की पर आकर विजयी चिह्न बनाना, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह सरीखे जयचंदो व अन्य संग कमरे में हंसी-ठिठोली आज कुमार विश्वास के श्वास-विश्वास को रह-रह कर काफी ठेस पहुंचाती होगी। जो कि सही भी है।
जैसी नियत वैसी बरकत प्रकृति का नियम है। स्वतन्त्रता आन्दोलन के अमर शहीदों, अन्ना हजारे जैसे अति सरल, भोले, ईमानदार तथा साफ-स्वच्छ छवि वाले इंसान तथा देश की अवाम की भावनाओं से खेलकर, दगा कर सत्ता पर काबिज़ हुई आम आदमी पार्टी में पूरे पांच वर्ष राजभोग-मलाई खाने तथा दिल्ली में वीवीआईपी हवाईयां उड़ाने के इतने समय बाद आज राज-पाठ से इतर अज्ञातवास में समय गुजार रहे कुमार विश्वास अब तक इस मुद्दे पर खामोश क्यों रहे? कुमार विश्वास को अरविंद केजरीवाल(Arvind Kejriwal) के खालिस्तानी कनेक्शन की पंजाब विस चुनाव के समय ही यकायक याद कैसे आ गई। जबकि कुमार विश्वास को इसकी प्रारंभ से जानकारी थी।
कुमार विश्वास ने पंजाब विधानसभा चुनाव के मतदान से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल का खालिस्तान से कनेक्शन बताकर यक़ीनन सबको चौका दिया। (Wikimedia Commons)
उल्लेखनीय है कि जब कुमार विश्वास को केजरीवाल ने "आप" की टिकट पर राज्यसभा भेजने से मना कर दिया तो वो नेपथ्य में चले गए। किंतु तत्पश्चात भी केजरीवाल की ओर से मान-मनुहार में पलक-पांवड़े बिछाए बैठे कुमार विश्वास को "आप" से संबंध-विच्छेद उपरांत जब 4-5 वैलेन्टाइन-डे निकल जाने के बाद भी यह यकीन पुख्ता हो चला कि अब केजरीवाल उसके पास कोई प्रेम पत्र लेकर आने-बुलाने वाला नहीं है तो कुमार विश्वास कांग्रेस की दहलीज पर अपना ईमान-धर्म और स्वाभिमान सब बेचकर वर्ष-2020 में अपनी धर्मपत्नी मंजू को राजस्थान की कांग्रेस सरकार में लोक सेवा आयोग का सदस्य बनवाने में कामयाब हो ग्ए।
यह वही कांग्रेस थी जिसके भ्रष्टाचार के विरुद्ध मुहिम में अन्ना के जन लोकपाल आंदोलन में अन्ना हजारे का मंच संभालने वाले कुमार विश्वास उसे पानी पी-पीकर कोसते थे और देश में स्वराज, स्वच्छंदता, पारदर्शिता की बडबोली बातें किया करते थे। किन्तु अपनी बीवी को उसी कांग्रेस जैसी महाभ्रष्ट पार्टी की राजस्थान सरकार में लोक सेवा आयोग में अतिमहत्वपूर्ण सियासी नियुक्ति दिलवाकर कुमार विश्वास की अन्ना जनआंदोलन के मंच की अपने मुखारविंद वो प्रस्फुटित देशभक्ति, ईमानदारी, नैतिकता, सिद्धांत तथा मूल्यपरक बातें आज कहाँ गायब हो गई।
केजरीवाल-सिसोदिया पर 500 करोड़ रिश्वतखोरी का आरोप! Kumar Vishwas on Arvind Kejriwal | NewsGram
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यदि आम आदमी पार्टी कुमार विश्वास को राज्यसभा भेज देती तो निश्चित ही कुमार विश्वास केजरीवाल का यह खालिस्तानी कनेक्शन कदापि उजागर भी नहीं करते। आम आदमी पार्टी के पश्चात कांग्रेस-भाजपा में अपनी राजनैतिक जमीन तलाशते कुमार विश्वास ने अरविंद केजरीवाल के खालिस्तानी कनेक्शन को अपने निहित स्वार्थ-सौद्देश्यवश देश से छिपाकर देश को सुरक्षा के साथ न केवल खिलवाड़ किया है अपितु धोखा भी किया है।
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काबिलेगौर है कि केजरीवाल से अलग होने के बाद दिल्ली-यूपी और पंजाब के विधानसभा चुनाव में भी कुमार विश्वास ने केजरीवाल के खालिस्तानी कनेक्शन का कभी कोई जिक्र तक नहीं किया? अब पंजाब चुनाव के अंतिम क्षणों में वोटिंग से कुछ पूर्व कुमार विश्वास का केजरीवाल और खालिस्तानियों में संबंध का आरोप गहन चिंता का विषय है। क्योंकि केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्ली में किसान आंदोलन की आड में दिल्ली के लालकिले को प्राचीर पर खालिस्तानी झंडा फहराने वालों को बिजली-पानी की सुविधा पहुंचाना केजरीवाल के खालिस्तानी रिश्तों को जाहिर करता है। जिसे मैं कुमार विश्वास द्वारा केजरीवाल के खालिस्तानी लिंक उजागर करने से ठीक पूर्व अपने एक हालिया शीर्षक लेख में लिख भी चुका हूं। किन्तु यह कुमार विश्वास की मतलबपरस्त तथा अवसरवादी राजनीति का द्योतक है। नेशनल सिक्यूरिटी को गिरवी रखकर अपनी राजनीतिक बिसात बिछाने वाले इस छद्म राष्ट्रवादी, मौकापरस्त-बहरूपिये से देश को सावधान रहने तथा केन्द्र सरकार को कथित संगीन आरोपों की उच्चस्तरीय जांच करवाने की आवश्यकता है।
अस्वीकरण- इस लेख में प्रस्तुत किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं।