क्या क़ुतुब मीनार एक मस्जिद या ध्रुव स्तम्भ?

क्या क़ुतुब मीनार एक मस्जिद या ध्रुव स्तम्भ?

क़ुतुब मीनार(Qutub Minar) मुगलिया कारीगरी का नायब अजूबा माना जाता है। इतिहासकारों ने कुतबुद्दीन ऐबक(Qutub-ud-Din Aibak) द्वारा बनाए गए इस ऐतिहासिक स्मारक के ऊपर कसीदे पढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। क्या बच्चों की किताब और क्या गूगल सर्च, हर जगह क़ुतुब मीनार(Qutub Minar) को मुगलिया बताया गया है। किन्तु ऐसे भी कई इतिहासकार हैं जिनका मानना यह है कि क़ुतुब मीनार मुगलिया नहीं हिन्दू(Hindu) कारीगरी का नायाब अजूबा है, जिसे मुगलों ने अपना बताकर नाम कमाया था।

क़ुतुब मीनार के प्रांगण में हिन्दू कलाकृतियां।(Wikimedia Commons)

यह मुद्दा इसलिए बार-बार उठाया जाता है क्योंकि न तो किसी इतिहासकार के पास यह बताने की हिम्मत है कि 'क़ुव्वत-उल-इस्लाम' मस्जिद में हिन्दू कलाकृतियां और स्तम्भ कहाँ से आए, न ही कुछ ऐसे तथ्यों पर जवाब देने को बनता है जिन्हें हम आपके सामने भी आगे रखेंगे। इस विषय पर चर्चा नई बात नहीं है, दिसंबर 2020 को हिन्दू संगठन से जुड़े वकीलों ने दिल्ली कोर्ट से क़ुतुब मीनार में पूजा करने की अनुमति मांगी थी। जिसपर कई धर्मनिरपेक्ष इतिहासकारों ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा था कि यह इतिहास से जुड़ा हिस्सा है जिसे धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। लेकिन फिर वह इस सवाल पर चुप्पी साध लेते हैं जब उनसे पूछा जाता है कि, मस्जिद में हिन्दू(Hindu) कलाकृतियां कहाँ से आईं?

वर्ष 1977 में प्रोफेसर एम.एस. भटनागर द्वारा किए गए शोध में यह सामने आया था कि क़ुतुब मीनार, ध्रुव स्तम्भ(Dhruva Stambha) है। मीनार कि आकृति हवाई दृश्य से कमल के आकर में दिखाई देती है। उन्होंने अपने शोध में यह भी बताया कि जिस जगह पर क़ुतुब मीनार है वह महरौली(Mehrauli) कसबे से बेहद नजदीक है। जिसे राजा विक्रमादित्य(Vikramaditya) दरबार के प्रसिद्ध ज्योतिर्विद वराहमिहिर(Varah Mihir) के लिए जाना जाता था। वराहमिहिर ही अपने सहयोगियों के साथ मिलकर क़ुतुब मीनार में खगोल विज्ञान के नए पहलुओं की खोज करते थे। और यह इतिहास इस्लाम(Islam) के जन्म से पहले चौथी या छठी शताब्दी की है।

क़ुतुब मीनार के प्रांगण में हिन्दू कलाकृतियां।(Wikimedia Commons)

एवं जो इतिहासकार क़ुतुब मीनार के विषय में जानते भी हैं उन्होंने भी यह माना है कि क़ुतुब मीनार में मौजूद मस्जिद 'क़ुव्वत-उल-इस्लाम' को 27 मंदिरों को तोड़ कर बनाया गया था। और तो और जिस क़ुतबुद्दीन ऐबक को क़ुतुब मीनार का निर्माता बताया गया है उसके लिए इतिहास केवल हिन्दू मंदिरों को नष्ट करना ही दर्ज हुआ है, ऐसा कहीं नहीं मिलता है कि कुतबुद्दीन ने इस मीनार का निर्माण करवाया था।

अब हम उन 5 तथ्यों की बात करेंगे जिनपर हमने पहले चर्चा की थी:

  • इस्लाम में क़ुतुब मीनार को बनाने का कोई कारण या तर्क नहीं दिखाई देता है: कुछ कहते हैं कि इस मीनार को पहरे या रक्षा के लिए बनाया गया था, मगर यह तर्क ठोस नहीं है। नमाज़ अदा करने के लिए 72 मीटर लम्बा मीनार बनाना वैसे ही कई सवाल खड़ा करता है।
  • मस्जिद में भगवान की कलाकृतियां क्यों?: इस्लाम अल्लाह के सिवा किसी और नहीं मानता, तब फिर मस्जिद के प्रांगण में अधिकांश स्तम्भ पर भगवान शिव, विष्णु, ब्रह्मा और अन्य देवी-देवताओं को क्यों उकेरा गया है?
  • क़ुतबुद्दीन ऐबक दिल्ली में कैसे कोई निर्माण करवा सकता है?: हर जगह यह लिखा गया है कि कुतबुद्दीन ऐबक ने क़ुतुब मीनार(Qutub Minar) का निर्माण करवाया, मगर इतिहास तो यह भी बताता है कि कुतबुद्दीन अधिकांश समय लाहौर में रहता था। जो कि दिल्ली से 650 मील दूर है।
  • यदि कुतबुद्दीन ने मीनार का निर्माण कराया था तब वराहमिहिर का इतिहास कहाँ है?: इतिहासकारों ने क़ुतुब मीनार को तो मुगलिया बता दिया मगर वह इसका जवाब नहीं दे पाते कि यह ज्योतिर्विद वराहमिहिर(Varah Mihir) के इतिहास से कैसे नहीं जुड़ा है।
  • मस्जिद के अंदर एवं कुतुब मीनार के आस-पास हिन्दू वास्तु-कला क्यों?

भगवा रक्षा वाहिनी की तरफ से जो अपील की गई थी उसपर सुनवाई के लिए दिल्ली कोर्ट ने तारीख को आगे बढ़ा दिया है। अब इस मामले पर सुनवाई 27 अप्रेल को होगी। चिंतन का विषय यह है कि यदि क़ुतुब मीनार हिन्दू(Hindu) मंदिर था तो इसे छुपाने की क्या मंशा थी और क्यों इतिहास के विषय में सवाल उठाना और पूछना आज के तथाकथित धर्मनिरपेक्षों को असहिष्णुता फ़ैलाने जैसा लग रहा है?

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com