By : मनोज पाठक
कहा जाता है कि ऐसा हवन नहीं करना चाहिए कि खुद का भी हाथ जल जाए, लेकिन समाजसेवा ऐसा जुनून है जिसमें लोग खुद की तकलीफ सहकर भी दूसरे की मदद के लिए आगे आते हैं। ऐसा ही कर रहा है झारखंड के लातेहार जिला मुख्यालय का एक युवक, जो खुद तंगहाली में अपने परिवार का पेट पाल रहा है, लेकिन निर्धनों के तन ढंकने का एक जरिया भी बन गया है।
लातेहार जिला मुख्यालय के युवक भोला प्रसाद खुद तंगहाली का जीवन जी रहे हैं, लेकिन ये निर्धन परिवारों के लिए एक कपडे की दुकान के मलिक भी हैं, जो निर्धन परिवार के लिए मुफ्त में कपड़े भी उपलब्ध करवाता है।ऐसे तो भोला प्रसाद एक फुटकर व्यापारी हैं, जो ग्रामीण इलाकों में लगने वाले साप्ताहिक हाटों, बाजारों में आयुर्वेदिक दवा और श्रृंगार प्रसाधन की दुकान लगाते हैं।
भोला आईएएनएस को बताते हैं, "मेरा बचपन भी अभावों में गुजरा है। बड़ा हुआ तो परिवार का बोझ कंधे पर आ गया और साप्ताहिक बाजारों में दुकान लगाने लगा। इसी दौरान मैंने गर्मी के दिनों में लू के थपेड़े और ठंड के दिनों में ठिठुरते निर्धन परिवार के बच्चों को देखकर दिल में चुभन होती थी, इसी के बाद मैंने गरीबों के तन ढंकने की शुरूआत कीं।" उन्होंने बताया पहले वे घर-घर जाकर बेकार कपड़ों को इकट्ठा करते थे और गांव-गांव जाकर निर्धन परिवारों के बीच कपडे बांटा करते थे। प्रसाद बताते हैं कि इस कार्य में खुद के व्यवसाय के लिए वे समय नहीं निकल पाते थे। इसके बाद उन्होंने पुराने कपडों की दुकान खोल डाली।भोला आईएएनएस को बताते हैं कि अब लोग यहां घर के पुराने और बेकार पड़े कपड़े देने भी पहुंच जाते हैं और निर्धन परिवार के लोग यहां कपड़े लेकर भी चले जाते हैं।
उन्होंने बताया कि 'पुराने कपड़े की दुकान' में जरूरतमंद लोगों को उनकी साइज के मुताबिक कपडा मुफ्त में उपलब्ध करवाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नए इलाकों में वे खुद भी पुराने कपडे इकट्ठा करने जाते हैं और जब लोगों को पता चल जाता है तो वे खुद कपड़ा पहुंचाने लगते हैं। भोला के पुराने कपड़े की दुकान में आज जींस पैंट, टीशर्ट, पैंट, फ्रॉक, सलवार शूट, साडी, स्वेटर, जैकेट, धोती, शॉल सहित कई पुराने कपड़ों का भंडार है।
पुराने कपड़े की दुकान' में जरूरतमंद लोगों को कपड़ा मुफ्त में उपलब्ध करवाया जायेगा । (Pixabay )
उन्होंने बताया कि उनका यह काम अनवरत पांच वषों से चल रहा है। भोला बताते हैं कि प्रारंभ में कई लोगों के ताने और आलोचना भी सहने को मिला लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरता गया लोगों का सहयोग भी मिलता गया। अपने जुनून और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ भोला के कदम इस काम से कभी नहीं डिगे। भोला को अब आसपास के लोग कपड़ा इकट्ठा करने में भी यहयोग कर रहे हैं।गरीबी को नजदीक से देखने वाले भोला कहते हैं कि वे कई निर्धन परिवारों को खुद के पैसे से नए कपड़े भी खरीदकर बांटे हैं और फिर उन बच्चों के चेहरे पर जो मुस्कान दिखती है उससे उन्हें आत्मसंतुष्टि मिलती है।
इधर, लातेहार क्षेत्र के विधायक बैद्यनाथ राम भी भोला के इस प्रयास की सराहना करते हैं। राम कहते हैं कि भोला समाजसेवा के क्षेत्र में आज युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं। उन्होंने कहा कि भोला प्रारंभ से ही समाजसेवा में रूची लेने वाला लड़का था और आज उसी जुनून के कारण वह लोगों के लिए आदर्श बन गया है। (आईएएनएस)