21 साल पहले आज ही के दिन भारतीय सेना ने अपने पराक्रम का परिचय देते हुए करगिल युद्ध में पाकिस्तान को परास्त कर, ऑपरेशन विजय को अंजाम दिया था। आज 21वां कारगिल विजय दिवस है, वो विजय, जिसका मूल्य भारतीय वीर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति देकर चुकाया था। वो दिवस, जिसमे देश के हर नागरिक की आँखें, जीत की खुशी से अधिक हमारे सैनिकों की शहादत के सम्मान में नम होती है। 26 जुलाई की तारीख अपने साथ हमेशा भावनाओं का सैलाब लेकर आती है। 21 साल पहले कारगिल युद्ध में टाइगर हिल, तोलोलिंग, पिम्पल कॉम्प्लेक्स जैसी पहाड़ियों पर भारतीय वीर जवानों ने जीत का तिरंगा लहराया था।
आइये जानते है भारतीय सेना ने उन तीन जटिल पर्वतों पर कैसे फ़तह हासिल की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश…
द्रास सेक्टर के तोलोलिंग पर्वत पर पाकिस्तानी सैनिकों ने कब्ज़ा जमा लिया था। यह स्थान, द्रास शहर और श्रीनगर-कारगिल-लेह राष्ट्रीय राज मार्ग से 5 किमी की दूरी पर स्थित है, जहां से घुसपैठिए आसानी से भारतीय सेना पर गोलाबारी कर रहे थे। तोलोलिंग और आसपास की चोटियों से पाकिस्तानी घुसपैठियों को जल्द भगाने को सैन्य अभियान में सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। हालांकि भारतीय सेना के शुरुआती प्रयास असफल रहे थे, लेकिन तोलोलिंग पर्वत पर तीन सप्ताह तक चली इस लड़ाई का असर पूरे युद्ध में देखने को मिला।
इस महत्वपूर्ण युद्ध में सूबेदार भंवरलाल, कम्पनी हवालदार मेजर यशवीर सिंह,हवलदार सुल्तान सिंह नरवारिया और नायक दिगेंद्र कुमार ने प्रेरणादायक वीरता का प्रदर्शन किया।
थ्री पिम्पल्स धारदार ऊँची चोटियों का समूह है। यह क्षेत्र तोलोलिंग नाला के पश्चिम में मर्पोल पर्वत क्षेत्र में पोइन्ट 5100 के नज़दीक स्थित है। थ्री पिम्पल्स में तीन प्रमुख चोटियाँ है – नाल, सोन हिल और थ्री पिम्पल्स। यहाँ से राष्ट्रीय राजमार्ग, द्रास गांव और सांडो नाला पर सीधे नजर बनाई जा सकती थी। यहाँ से दुश्मन सैनिकों और सैन्य साज समान की हरकत पर नजर रखा जा सकता था।
जब जब दुश्मन ने देश पर गलत निगाह रखी, तब तब हमारे देश के सैनिकों ने उनके नापाक मंसूबो को नेस्तनाबूद कर दिया। इसी तरह पाकिस्तान ने सन 1999 में जब हमारी ज़मीन हथियाने के लिए हमला किया तो कारगिल युद्ध में हमारे वीर जवानों ने उन्हें करारा जवाब दिया। इस दौरान भारतीय सेना ने, पाकिस्तान द्वारा हथियाई गईं सभी महत्वपूर्ण चौकियों को वापस अपने कब्ज़े में ले लिया था। दुश्मन के पहाड़ पर बैठे होने की वजह से हर एक चौकी को फतह करने में देश के कई वीर जवानों ने अपनी शहादत दी थी। लेकिन वीर जवानों के हौसले ने आखिरकार भारत की जीत का परचम लहराया था।