कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब को नकारा, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

कर्नाटक मुस्लिम ladkiyaan हिजाब विवाद {Unplash}
कर्नाटक मुस्लिम ladkiyaan हिजाब विवाद {Unplash}

आख़िरकार एक लंबे विवाद के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब विवाद पर अपना फैसला सुनाया। कर्नाटक हाईकोर्ट ने सीधे दो टुक में कहा है कि इस्लाम में हिजाब पहनने को लेकर आनिवार्यता नहीं है। स्कूल और कॉलेज में हिजाब को कभी भी पहनने की अनुमति नहीं दी जाएगी, लेकिन मुस्लिम लड़कियां स्कूल और कॉलेज के बाहर क्या पहनती हैं, इससे हाई कोर्ट को कोई लेना – देना नहीं है, क्यूंकि यह उनका पर्सनल मामला है। कर्नाटक के अटॉर्नी जनरल ने कहा कि संस्थागत अनुशासन को व्यक्तिगत चॉइस के ऊपर महत्ता मिली है, जिससे अनुच्छेद-25 को समझने में नया मोड़ आया है। हालांकि इस्लामिक कट्टरपंथी कर्नाटक के हाई कोर्ट के इस फ़ैसले पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि कोर्ट ने यह फैसला सरकार के दबाव में लिया है क्यूंकि कर्नाटक सरकार मुस्लिम बेटियों के हक को दबाना चाहती है।

हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला आने के तुरंत बाद हिजाब पहनने को समर्थन देने वाली आफरीन फातिमा और 'मुस्लिम एक्टिविस्ट' और 'जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी' में इतिहास की छात्रा आयशा रेना ने अपने-अपने ट्विटर हैंडल से ट्विट कर इस फ़ैसले का पुरजोर विरोध किया है। वहीं दूसरी ओर कर्नाटक की BJP सरकार ने हिजाब पर फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि यह फैसला ज़रूरी के साथ-साथ एतिहासिक भी है।

कर्नाटक हाई कोर्ट के हिजाब पर फैसले को लेकर मानो ट्विटर पर जंग छिड़ गई हो। कई इस फैसले को आरएसएस और बीजेपी का फैसला बता रहे हैं तो कई इस फैसले को स्कूल और कॉलेज के ड्रेस कोड की जीत बता रहे हैं। कर्नाटक हाई कोर्ट के इस फैसले पर कई राजनीतिक दल जैसे AIMIM, CONGRESS आदि ने सवाल उठाए हैं। वही The Wire, The Quint जैसे मीडिया ने भी इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की है। कुल मिला कर कर्नाटक हाई कोर्ट के हिजाब विवाद फैसले का जो लोग विरोध कर हैं, उन सभी का स्पष्ट रूप से यही कहना है कि यह लोकतंत्र और देश की मुस्लिम बेटियों की हार है। जबकि मीडिया का एक धरा कर्नाटक के इस फैसले का समर्थन कर रहा है।

मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा:- कर्नाटक में उडुपी के कॉलेज की 6 मुस्लिम लड़कियों ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर कर दी है। छह मुस्लिम लड़कियों में एक निबा नाज को छोड़कर बाकि सब हाईकोर्ट में भी याचिकाकर्ता रह चुकी हैं। इन लड़कियों ने "विशेष अनुमति याचिका" यानी स्पेशल लीव पेटिशन में हिजाब बैन पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई है।

आपको बता दें उडुपी जिला के उपायुक्त ने कर्नाटक के हाई कोर्ट के फैसले के बाद जानकारी देते हुए कहा कि उडुपी में बुधवार से स्कूल और कॉलेज फिर से खुलेंगे। प्रशासन की ओर से लगाया गया धारा 144 जारी रहेगा। इसके साथ ही जुलूसों पर प्रतिबंध और विरोध प्रदर्शन भी 21 मार्च तक जरी रहेगा।


कर्नाटक हिजाब विवाद में मुस्लिम बेटी {Unplash}

क्या था हिजाब को लेकर पूरा मामला :- इस विवाद की शुरुआत उडुपि से हुई थी, जहाँ एक कॉलेज में कुछ मुसलमान लड़कियों के हिजाब पहनने पर हंगामा हुआ था और सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ था, जिनमें केसरिया पटका पहनकर हिजाब के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले लोगों को दिखाया गया था। इसके बाद हिंदू और मुसलमान, दोनों तरफ से छात्रों के बीच सोशल मीडिया पर अपने धार्मिक चिन्हों को दिखाने की होड़ लग गई थी, इसकी वजह से तनाव पैदा हुआ और कुछ स्थानों पर हिंसा की घटनाएँ भी हुई। हालांकि इस पुरे हिजाब विवाद को राजनीतिक रंग देने की भी पुरजोर कोशिश की गई। यहाँ तक यह भी बात सामने आई थी की कई राजनीतिक पार्टियों ने अपने विचारधारा को ध्यान में रख कर इस पुरे हिजाब मामले में अपना- अपना दखल दिया। ऐसा भी कहा गया कि कर्नाटक हिजाब मामले में कई छात्र संगठन भी शामिल थे , जो चाहते थे कि यह मामला दिन पर दिन बड़ा होता जाए।

हिजाब पहनने से रोके जाने पर छात्राओं ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना है कि हिजाब पहनना उनका संवैधानिक अधिकार है। लिहाजा उन्हें इससे रोका नहीं जा सकता। पहले इस मामले को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच सुनवाई कर रही थी लेकिन फिर इसे तीन सदस्यीय बेंच के पास भेज दिया गया। इस बीच हिजाब विवाद का मामला उडुपी से निकलकर दूसरे स्कूलों तक भी पहुंच गया। यहां भी छात्राएं हिजाब पहनकर कॉलेज आने लगीं।

देश में कई जगहों पर स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने के समर्थन और विरोध में प्रदर्शन होने लगे। कर्नाटक में पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं भी हुईं। विवाद बढ़ता देख सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई और स्कूल-कॉलेज बंद करने के आदेश दे दिए। वहीं, सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब पहनने वाली छात्राओं की याचिकाओं पर अंतिम फैसला ना होने तक स्कूल-कॉलेज में धार्मिक पोशाक पहनने पर रोक लगा दी थी।

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