घाटी में रहने वाले कश्मीरी पंडित(Kashmiri Pandits) परिवारों को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सुरक्षा की पेशकश की है, लेकिन जो सुरक्षा नहीं लेना चाहते उन्हें एक हलफनामा देना होगा, जिसमें कहा गया है कि वे इसके लिए खुद जिम्मेदार होंगे। कश्मीरी पंडित(Kashmiri Pandits) नेता संजय टिक्कू ने कहा कि अधिकांश कश्मीरी पंडितों ने यह हलफनामा देने से इनकार कर दिया है।
"हमें सुरक्षा बलों के लिए अपने घरों में दो कमरे देने के लिए कहा गया है, अधिकतम लोगों ने उस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि उनसे संबंधित एसएसपी को संबोधित एक वचनबद्धता ली जाती है कि वे सुरक्षा नहीं लेना चाहते हैं।" "अंत में एक पंक्ति है, जिसमें लिखा है कि भगवान ना करे अगर कुछ होता है, तो इसकी जिम्मेदारी पुलिस या सरकार पर नहीं होगी।"
उन्होंने कहा कि उन्होंने आईजी पुलिस और उपराज्यपाल के समक्ष इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
घाटी में रहने वाले कश्मीरी पंडित परिवारों को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सुरक्षा की पेशकश की(wikimedia commons)
उन्होंने कहा, "मैंने इसे एलजी और आईजीपी के सामने रखा है और उनसे पूछा है कि यह सब क्या है? लेकिन कोई जवाब नहीं आया, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।"
आप को बता दे कि नब्बे के दशक की शुरूआत में कश्मीर में उग्रवाद के प्रकोप के बाद कश्मीरी पंडितों(Kashmiri Pandits) का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ, लेकिन 800 से अधिक पंडित परिवार डटे रहे और पलायन नहीं किया।
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हाल ही में, कई नागरिकों को निशाना बनाया गया है और उनमें से कुछ कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य थे।(आईएएनएस-PS)