जानिए कैसे “गेमिंग” के माध्यम से युवाओं को ‘भारतीय संस्कृति’ से जोड़ेगी सरकार

जानिए कैसे “गेमिंग” के माध्यम से युवाओं को ‘भारतीय संस्कृति’ से जोड़ेगी सरकार
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By : Swati Mishra

भारत सरकार द्वारा Sep/2020 में पब्जी (PUBG) सहित लगभग 118 ऐप्स पर बैन लगा दिया गया था। इससे पहले भी सरकार ने टिक – टॉक (TIK – TOk) और हेलो समेत कई चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार का कहना था कि, उनके द्वारा यह कदम भारत की सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया गया है। इन विदेशी ऐप्स की ओर से हमारे कई पर्सनल डाटा को कलेक्ट कर लिया जाता है। जिसका उपयोग कर वह हमारे देश की सुरक्षा को खतरा पहुंचा सकते हैं। बच्चों और युवाओं में इन विदेशी गेम्स (Games) का बड़ा चस्का है। गेम्स के दौरान वह कई डेटा आपस में शेयर करते हैं। उन्हें इस बात का अनुमान तक नहीं होता की उनके द्वारा शेयर किए गए डेटा को विदेशी कंपनियों द्वारा बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। इसलिए सरकार इन विदेशी ऐप्स पर धीरे – धीरे प्रतिबंध लगाती जा रही है। 

पब्जी व अन्य ऐप्स के बैन के बाद सोशल मीडिया (Social media) पर अलग – अलग प्रकार की प्रतिक्रियाएं देखने को मिली थी। पब्जी ने बच्चों व युवाओं को बड़े स्तर पर अपनी ओर आकर्षित कर लिया था। जिसके बाद इन प्रतिक्रियाओं का सामने आना लाजमी था। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि, इन विदेशी गेम्स ने हमारे बोल – चाल, व्यवहार यहां तक की हमारी सोच तक को प्रभावित कर लिया है? 

किसी भी देश की संस्कृति तभी तक जिंदा है, जब तक वह पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे संस्कारों में विहीन हो। लेकिन आज विदेशी गेम्स हो या विदेशी लहजे, हमारे बच्चों और युवाओं को बड़े पैमाने पर आकर्षित कर रहे हैं। जिस वजह से हम हमारी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। आज बच्चों में भगवान के प्रति आस्था – विश्वास कम होता जा रहा है। तर्क – वितर्क की दुनिया में केवल हमारे भगवान पिसते जा रहे हैं। कभी आपने सोचा है, क्यों हमारे वीर सपूत, देवी – देवता, वीर शिवाजी (Veer Shivaji), झांसी की रानी (Queen of Jhansi) आदि जैसे महान वीर योद्धा, हमारे इन गेम्स का हिस्सा हों? या कभी आपने ऐसी मांग को उठाया हो? नहीं! यह जानते हुए कि, हमारे बच्चे जो देखते हैं वहीं सीखते हैं, फिर भी शायद ही कभी किसी ने सोचा होगा या इस विषय पर चर्चा की होगी। इसका साधारण सा मतलब यही है कि, इन विदेशी गेम्स का हम पर, हमारे बच्चों और युवाओं पर काफी गहरा असर पड़ चुका है। जिस वजह से हमारी संस्कृति, बच्चों की मानसिकता से कोसों दूर जा चुकी है।

पब्जी ने बच्चों व युवाओं को बड़े स्तर पर अपनी ओर आकर्षित कर लिया था। (Pexel)

आज करीब 98 प्रतिशत बच्चे विदेशी गेम्स (Foreign games) में धुत हैं। पब्जी या अन्य गेम्स के बैन के उपरांत भी भारत में खेले जा रहे 98 प्रतिशत गेम्स विदेशी व ऑनलाइन (Online Games) हैं। लेकिन अब सरकार इसको बदलने की तैयारी में है। सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों में अब मां दुर्गा (Maa durga) और काली के साथ – साथ शिवाजी और झांसी की रानी जैसे अन्य देवी – देवताओं और महापुरुषों पर आधारित गेम्स को बढ़ावा दिया जाएगा। जो बच्चों को भारतीय मूल्यों व संस्कारों के साथ – साथ गेमिंग का भी मजा देंगे। ऑनलाइन विदेशी गेम्स से बच्चों में ढलती विदेशी मानसिकता को रोकने के लिए डॉ. पराग मानकीकर के नेतृत्व में बनी कमेटी ने एनिमेशन (Animation), विजुअल इंपेक्ट्स (Visual effects), गेमिंग व कॉमिक्स (Comics) के लिए नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोलने का ब्लूप्रिंट सरकार को दिया है। जिस प्रकार पं.विष्णु शर्मा ने पंचतंत्र (Panchatantra) के माध्यम से नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी थी, उसी प्रकार हम एवीजीसी के माध्यम से भारतीय नीति, मूल्यों, संस्कारों व उनके कौशल को उजागर करेंगे। 

भारत में कथा और पात्रों की वीरता के बावजूद हम विदेशी गेम्स पर अपना अरबों पैसा बरबाद कर रहे हैं। उसके साथ ही हम अपनी संस्कृति को भी धुंधला करते जा रहे हैं। जरूरी है इन विषयों पर बात करना इनको बड़े स्तर पर लाना। अगर आज हमारे बच्चे व युवा विदेशी रंग में रमते गए तो हमारी संस्कृति को धूमिल होते वक्त नहीं लगेगा। हमारी संस्कृति बहुमूल्य है, जिसे संभालकर रखना और हर व्यक्ति चाहे बच्चा हो, युवा हो, वयस्क हो, बूढ़ा हो, सभी के रग – रग में बसा हुआ होना बहुत आवश्यक है। तभी यह युगों – युगों तक जीवित रहेगी।

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