BY :अरुल लुइस
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को 'एक जिला-एक उत्पाद योजना' के जीआईएस डिजीटल मानचित्र को जारी किया। साथ ही, उन्होंने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (पीएम-एफएमई स्कीम) के क्षमता निर्माण घटक के लिए मास्टर ट्रेनर्स प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया।इस अवसर पर तोमर ने कहा कि प्रशिक्षण एवं सहयोग से छोटे खाद्य उद्यम स्थापित करने में सहायता मिलेगी और यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक सशक्त कदम साबित होगा।
केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आत्मनिर्भर भारत अभियान को कार्यरूप देने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। हम स्थानीय उत्पादन, स्थानीय विपणन और स्थानीय आपूर्ति श्रंखला निर्माण की दिशा में अग्रसर हैं।"
तोमर ने कहा कि सूक्ष्म खाद्य उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए क्षमता वर्धन अत्यंत आवश्यक है, इसलिए खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों के साथ-साथ स्व सहायता समूहों, कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) सहकारिता क्षेत्र से जुड़े लोगों, श्रमिकों एवं अन्य हितधारकों को इस योजना के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
इस मौके पर केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने कहा कि मास्टर ट्रेनर्स के प्रशिक्षण का उद्देश्य इस योजना से जुड़े आठ लाख लोग लाभान्वित होंगे, जिनमें किसान उत्पादक संगठन के सदस्यों के साथ ही स्व-सहायता समूह, सहकारिता, अनुसूचित जनजाति समुदाय के हितग्राही शामिल हैं।
तेली ने बताया कि एक जिला-एक उत्पाद योजना के डिजीटल मानचित्र के माध्यम से इस योजना से जुड़े सभी हितधारकों के उत्पादों की समग्र जानकारी एक साथ प्राप्त हो सकेगी।
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के क्षमता निर्माण घटक के अंतर्गयोजना का उद्देश्यत मास्टर ट्रेनरों को ऑनलाइन मोड, क्लासरूम लेक्चर, प्रदर्शन और ऑनलाइन पाठ्य सामग्री के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। चयनित उद्यमियों और समूहों को प्रशिक्षण एवं शोध सहायता प्रदान करने में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमशीलता एवं प्रबंधन संस्थान (एनएफआईटीईएम) और भारतीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएफपीटी) राज्य स्तरीय तकनीकी संस्थानों के समन्वय से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मास्टर ट्रेनर्स, जिला स्तरीय प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। इसके बाद जिला स्तरीय प्रशिक्षक हितग्राहियों को प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। क्षमता निर्माण के तहत दिए जाने वाले प्रशिक्षण का मूल्यांकन और प्रमाणन एफआईसीएसआई द्वारा किया जाएगा। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत शुरू की गई है।
इस योजना का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में असंगठित रूप से कार्य कर रहे छोटे उद्यमियों को बढ़ावा देना और इस क्षेत्र में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का निर्माण करना है। इसके साथ की इस क्षेत्र से जुड़े कृषक उत्पादक संगठनों, स्व सहायता समूहों सहकारी उत्पादकों सहायता भी प्रदान करना है। इस योजना के तहत 2020-21 से 2024-25 के मध्य दो लाख सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को वित्तीय, तकनीकी एवं विपणन सहयोग प्रदान करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की धनराशि का प्रावधान रखा गया है। (आईएएनएस)