मालाबार हिंदू नरसंहार 1921: हिंदू नरसंहार के 100 साल

आपको बता दें कि मालाबार (केरल में स्थित है) हिन्दू नरसंहार को इतिहास से पूरी तरह मिटा दिया गया।
आपको बता दें कि मालाबार (केरल में स्थित है) हिन्दू नरसंहार को इतिहास से पूरी तरह मिटा दिया गया।

मोपला हिंदु नरसंहार या मालाबार विद्रोह 100 साल पहले 20 अगस्त 1921 को शुरू हुई एक ऐसी घटना थी, जिसमें निर्दयतापूर्वक सैकड़ों हिन्दू महिला, पुरुष और बच्चों की हत्या कर दी गई थी। महिलाओं का बलात्कार किया गया था। बड़े पैमाने पर हिन्दुओं को जबरन इस्लाम धर्म में परिवर्तित करा दिया गया था।

आपको बता दें कि मालाबार (केरल में स्थित है) हिन्दू नरसंहार को इतिहास से पूरी तरह मिटा दिया गया। आज हम मोपला हिन्दू नरसंहार, 1921 में हिन्दुओं के साथ हुई उसी दर्दनाक घटना की बात करेंगे। आपको बताएंगे की कैसे मोपला हिन्दू नरसंहार (Mopla Hindu Genocide) के खलनायकों को अंग्रेजों से लोहा लेने वाले नायकों के रूप में चिन्हित कर दिया गया।

उससे पहले यह जानना महत्वपूर्ण है कि मोपला कौन थे।

मोपला दक्षिण एशिया में बसे कुछ शुरूआती मुसलमान थे। मोपला मालाबार क्षेत्र में रहते थे और वहीं से अपना व्यापार करते थे। मसाला व्यापार के माध्यम से इन मोपला का अरब के लोगों में साथ सीधा संबंध था। जब तक यूरोपीय लोगों का भारत में आगमन नहीं हुआ, तब तक मोपला को भारतीयों से कोई दुश्मनी नहीं थी। हालांकि मोपला का हिन्दुओं पर दबदबा इस बात से साबित होता है कि उस दौरान हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच अंतर धार्मिक विवाह हुआ करते थे। लेकिन ऐसा कोई स्त्रोत नहीं मिलता जहां मुस्लिम मोपला हिन्दू धर्म में परिवर्तित हुए हों। केवल हिन्दू, इस्लाम में परिवर्तित हो रहे थे। लेकिन 1498 के बाद जैसे – जैसे यूरोपीय का आगमन भारत में होने लगा मोपला का व्यापार भी कम होने लगा। उनका दबदबा घटने लगा। जिसके बाद से ही मोपलाओं में हिन्दुओं के प्रति घृणा और दुश्मनी बढ़ने लगी थी।

The Supreme Muslim Council: Islam Under the British Mandate for Palestine में कहा गया है कि, पुर्तगाल, डच, ब्रिटिश और फिर फ्रांस द्वारा "काली मिर्च के व्यापार" को बढ़ावा दिया गया था। इस ब्रांड ने मोपला में उग्रवाद और धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा दिया था। हैदर अली और टीपू सुल्तान के शासनकाल के दौरान मोपलाओं ने काफी प्रमुखता हासिल की थी। लेकिन जैसे – जैसे अंग्रेजों की शक्ति बढ़ती गई इस्लामिक आक्रमणकारियों की हिन्दुओं के प्रति नफरत और बढ़ती गई क्योंकि मोपला की समृद्ध होने की इच्छा अंग्रजों के आने से धराशाही हो गई थी। इसी वजह से हिन्दुओं के प्रति उनकी नफरत ने उग्र रूप ले लिया था।

क्या था खिलाफत आंदोलन और कैसे इसने मोपला विद्रोह को जन्म दिया था?

खिलाफत आंदोलन का मकसद पूरे भारत में इस्लामवादी निर्वाचन क्षेत्र बनाना था और अंग्रेजों पर दबाव डाल अपने इस्लामिक अस्तित्व को वापस हासिल करना था जिसे प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हार के बाद खो दिया गया था। सच यही था कि खिलाफत आंदोलन का भारत की स्वतंत्रता से कोई लेना – देना नहीं था। इस आंदोलन को मोहम्मद अली, शौकत अली जैसे कट्टर इस्लामिकों द्वारा चलाया जा रहा था। जिसे उस दौरान महत्मा गांधी और कांग्रेस पार्टी द्वारा पूर्ण समर्थन प्राप्त था। यह जानते हुए कि परिस्थितियां विपरीत होने पर यह हिन्दुओं पर हमला कर सकते हैं।

महात्मा गांधी ने खिलाफत आंदोलन को इस उम्मीद से भी समर्थन दिया था कि यह स्वतंत्रता आंदोलन में मुसलमानों की भागीदारी को बढ़ाएगा। जहां एक तरफ कांग्रेस का उद्देश्य स्वराज स्थापित करना था वहीं दूसरी तरह खिलाफतवादियों का उद्देश्य केवल इस्लामिक राज्य स्थापित करना था। महात्मा गांधी ने शौकत अली के साथ कालीकट में हुए एक विशाल सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि "प्रत्येक हिन्दुओं का कर्तव्य है कि वह अपने मुस्लिम भाइयों के इस आंदोलन के तहत सहयोग करें।" उनके इस भाषण ने खिलाफत आन्दोलन को काफी गति प्रदान की थी।

कौन था अली मुसलियार ?

मालाबार के प्रमुख खिलाफत नेताओं में से एक प्रमुख अली मुसलियार नाम का कट्टर इस्लामिक था। जिसने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह छेड़ दिया था। अंग्रजों से विद्रोह करने के लिए इसने कई लोगों को भर्ती किया था। लेकिन जो लोग स्वयंसेवक के रूप में शामिल होना चाहते थे उन्हें पहले कुरान पर हाथ रख शपथ लेने को कहा जाता था कि खिलाफत शासन स्थापित करने के लिए हम मरने के लिए भी तैयार होंगे। जिसके बाद अली मुसलियार ने ब्रिटिश अधिकारियों पर हमला किया। अदालतों, पुलिस थानों को तोड़- फोड़ दिया गया। सार्वजनिक भवनों आदि अधिकांश ब्रिटिश द्वारा अधिकृत किए गए क्षेत्रों को ध्वस्त कर दिया गया। इसके बाद अली मुसलियार सहित अन्य खिलाफत नेताओं ने अधिकांश राज्यों को खिलाफत राज्य घोषित कर दिया और खुद को खिलाफत राजा घोषित कर दिया था।

ब्रिटिशों को हराने के उपरांत मोपला का विद्रोह खत्म नहीं हुआ। हिन्दुओं के प्रति जिस नफरत ने मोपलाओं में जन्म लिया था। उसने अब उग्र रूप धारण कर लिया था। मोपला ने मालाबार के हिन्दुओं पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। हिन्दू पुरुष – महिलाओं और बच्चों को मौत के घाट उतार दिया गया। महिलाओं का बलात्कार किया। बड़ी संख्या में जबरन हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन कराया गया। सैंकड़ों मंदिरों को धराशाही कर दिया गया था। ऐसा कहा जाता है कि संहार के उन दिनों में मालाबार के कुओं, तालाबों में पानी नहीं बल्कि हिंदुओं के कटे सिर, अंग, मृत शरीर आदि से भरे दिखाई देते थे। खिलाफत के नाम पर मुस्लिम आताताईयों ने लगभग 10, 000 हिन्दुओं का नरसंहार, जबरन धर्मांतरण, यौन उत्पीड़न और 100 से अधिक हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया था। अंततः मालाबार में स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए अंग्रेजों ने मार्शल लॉ लागू कर दिया था।

मालाबार हिन्दू नरसंहार को 100 वर्ष पूरे हो गए हैं और यह किसी त्रासदी से कम नहीं की इतिहासकारों ने हिंदुओं के साथ हुए अत्याचारों को उनके दर्द को उल्लेखित नहीं किया। जिन्हें हत्यारे, बलात्कारियों की श्रेणी में रखा जाना चाहिए था उन्हें ब्रिटिश शासन से आजादी के लिए लड़ने वाले देशभक्त के रूप में चित्रित कर दिया गया। और यह नकली या यूं कहिए कि प्रलेखित इतिहास बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। जबकि यह पूर्णतः स्पष्ट है कि यह स्वतंत्रता संग्राम के आदर्श नहीं बल्कि हिंदुओं के प्रति कट्टर नफरत और इस्लामिक राज्य स्थापित करना ही इनका एकमात्र उद्देश्य था। यह सोचने और समझने वाली बात है कि क्यों हिन्दुओं के साथ हुए इस नरसंहार को इतिहास की पुस्तकों से मिटा दिया गया? क्यों हिन्दुओं के साथ हुए अत्याचारों को अक्सर दबाने का प्रयास किया जाता है?

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