आसमान को चार मीटर एक्स्ट्रा चीरती हुई माउंट एवरेस्ट की नई ऊंचाई

कहते हैं कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई में बढ़ोतरी एक प्राकृतिक क्रिया है। (Pixabay)
कहते हैं कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई में बढ़ोतरी एक प्राकृतिक क्रिया है। (Pixabay)
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दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई पहले की तुलना में थोड़ी अधिक है। आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि हो गई है। 8 नवंबर को नेपाल और चीन ने संयुक्त रूप से घोषणा की कि माउंट एवरेस्ट (जो दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत है) की ऊंचाई अब 8,848.86 मीटर है।

इससे पहले चीन द्वारा इसकी ऊंचाई 8,844.43 मीटर दर्ज की गयी थी। यानी पहले की ऊंचाई और अब की ऊंचाई में सीधा 4.43 मीटर का फासला आ गया है।

नेपाल के विदेश मामलों के मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली, भूमि प्रबंधन मंत्री पद्मा कुमारी आर्यल, चीनी विदेश मंत्री वांग यी और अन्य अधिकारियों ने मंगलवार दोपहर एक वर्चुअल समारोह में यह माउंट एवरेस्ट की नई ऊंचाई की घोषणा करी। चीन और नेपाल के बीच माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को लेकर मतभेद देखे जा चुके हैं।

लेकिन नेपाल ने 2017 से एवरेस्ट की ऊंचाई को फिर से मापना शुरू कर दिया था और पिछले साल इस काम को पूरा कर लिया गया। पिछले साल चीनी राष्ट्रपति की नेपाल यात्रा के दौरान, नेपाल और चीन ने एवरेस्ट की ऊंचाई मापने के लिए सहमति जताई थी।

नेपाल में 2015 में आए विनाशकारी भूकंप ने लगभग 9,000 लोगों की जान ले ली थी। भूकंप के बाद ही नेपाल सरकार ने फिर से ऊंचाई मापने का आदेश दिया था।

कुछ भूवैज्ञानिकों के अनुसार 7.8 तीव्रता के आए इस भूकंप की वजह से एवरेस्ट की ऊंचाई में कमी आने की संभावना थी। एवरेस्ट की चोटी पर कुछ मीटर में बर्फ का ढेर होता है। भूकंप के कारण उस बर्फीली टोपी में हलचल होने की बात कही गयी थी।

कुछ लोगों का यह भी तर्क है कि समय के साथ माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई में बढ़ोतरी एक प्राकृतिक क्रिया है।

क्या आप जानते हैं ?

नेपाल और तिब्बत

(Pixabay)

माउंट एवेरस्ट का नाम, हिमालय पर्वत की सबसे ऊँची चोटी के रूप में सामने आता है। यह नेपाल और तिब्बत की सीमाओं को साझा करता है।

डेथ ज़ोन

(Pixabay)

एवरेस्ट पर 8,000 मीटर के ऊपर के क्षेत्र को ऑक्सीजन की कमी के कारण 'death zone' घोषित किया गया है।

एवरेस्ट की चढ़ाई

(Pixabay)

एवरेस्ट की चढ़ाई में न्यूनतम 10 या उससे भी ज़्यादा हफ़्तों का समय लग सकता है। (आईएएनएस)

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