जवानों की गिरफ्तारी को लेकर झूठी खबर चला रहा था एनडीटीवी, सेना ने किया बेनकाब

Logo of Indian Army and NDTV(Image Source: Wikimedia Commons)
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एक बार फिर झूठी खबर फैला कर भारतीय सेना को अपमानित करने का प्रयास करते हुए बेनकाब हुआ मीडिया चैनल एनडीटीवी। 23 मई की रात 10 बज कर 36 मिनट पर एनडीटीवी के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल पर डाले गए एक ट्वीट के ज़रिये ये झूठ फैलाने की कोशिश की गयी थी। 

एनडीटीवी के एक खबर के मुताबिक भारत और चीन के बीच बढ़ रहे तनाव के कारण लद्दाख वाले क्षेत्र मे चीनी सेना द्वारा भारतीय जवानों को गिरफ्तार कर लिया गया था। ये पूरी जानकारी एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से छापी थी। एनडीटीवी ने अपने दावे में ये तक कह दिया था की भारतीय सेना, चीनी सेना के साथ हाथापाई पर उतर आई थी। 

हालांकि इस झूठ का पर्दाफ़ाश करते हुए भारतीय सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने इस खबर का खंडन करते हुए इसे झूठा करार दिया है, इसके साथ साथ उन्होने मीडिया द्वारा झूठ फैलाए जाने पर भी आपत्ति जताई है। कर्नल अमन आनंद ने हाथापाई या चीनी सेना द्वारा भारतीय जवानों को गिरफ्तार करने की खबर को सिरे से खारिज कर दिया है। 

ये बहुत ही शर्मनाक है की सोशल मीडिया के दौर मे भी एक राष्ट्रीय मीडिया चैनल द्वारा ऐसी खबरों को पुख्ता किए बगैर, 'सूत्रों' के नाम पर चला दिया जाता है।  आपको बता दें की भारतीय सेना द्वारा स्पष्टीकरण दिये जाने के बावजूद, एनडीटीवी ने, ना ही ट्वीटर से इस झूठी खबर को हटाया है, और ना ही अपने पोर्टल पर छापे गए आर्टिक्ल की हैडलाइन बदली है। पूरे आर्टिक्ल मे अपने सूत्रों का हवाला दे कर पूरी झूठ को गढ़ने के बाद, सेना द्वारा दिये गए स्पष्टीकरण को बाद में अपडेट किया गया है, लेकिन हैडलाइन में तब भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। 

आज के समय में आम लोग पूरी खबर को पढ़े बगैर, मात्र हैडलाइन देख कर ही खबरों को आगे बढ़ा देते हैं, जिसके कारण एक हैडलाइन को सही तरीके से लिखने की ज़िम्मेदारी और भी ज़्यादा बढ़ जाती है। एनडीटीवी जैसे राष्ट्रीय मीडिया चैनल में इतनी विनम्रता तो होनी ही चाहिए की आधिकारिक बयान आने के बाद भी वो अपने कथित सूत्रों के बयान को सच बताने का प्रयास ना करे। हालांकि, एनडीटीवी द्वारा झूठे खबर को फ़ैलाए जाने का इतिहास पुराना है। एक राष्ट्रीय मीडिया संस्थान ऐसी गलती बार बार कैसे कर सकता है।  

ऐसा नहीं है की इन खबरों को बिना जाँचे-परखे प्रसारित कर दिया जाता है। मेरी समझ से ये एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। भारतीय सेना को बदनाम करने और सरकार को कमजोर दिखाने के मकसद से ऐसी खबरों को परोसा जाता रहा है। खबर के छपने और आधाकारिक बयान या स्पष्टीकरण आने के बीच के समय मे इसे लाखों लोगों द्वारा पढ़ लिया जाता है। और जब तक स्पष्टीकरण आता है तब तक आधे लोग सरकार के नीति पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री को कमजोर साबित करने की होड़ में लग जाते हैं। 

इन खबरों को इस प्रकार लिखा जाता है की स्पष्टीकरण के बाद भी आम लोग आधिकारिक बयानों को झूठा समझ कर मीडिया द्वारा गढ़ी गयी कहानी को ही सच मानने लगते हैं। फिर पत्रकारों द्वारा आकर्षक हैडलाइन लगा कर लेख लिखे जाते हैं। ऐंकर, प्राइम टाइम पर गंभीर मुद्रा में अपने दर्शकों से  सवाल करता है की, "सेना और सरकार आपसे कुछ छिपा तो नहीं रही है?" 

एक ऐसी खबर जिसका कोई अस्तित्व नहीं होता है, उसे भी लोगों के मन मे डाल कर शक पैदा करने की कोशिश की जाती है। 

आपको बता दें की अभी हाल ही में एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार, और संपादक रविश कुमार, अपने प्राइम टाइम मे कोरोना को लेकर चाइना का बचाव करते हुए भी नज़र आए थे। 

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