नीति आयोग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 30 फीसदी आबादी या 40 करोड़ लोग, जिन्हें 'मिसिंग मिडल' कहा जाता है, स्वास्थ्य के लिए किसी भी वित्तीय सुरक्षा से वंचित हैं। नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट 'हेल्थ इंश्योरेंस फॉर इंडियाज मिसिंग मिडल' में कहा है कि हेल्थ इंश्योरेंस या एश्योरेंस कवरेज का विस्तार एक आवश्यक कदम है, और यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) हासिल करने के भारत के प्रयासों में एक मार्ग है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "लगभग 20 प्रतिशत आबादी – 25 करोड़ व्यक्ति सामाजिक स्वास्थ्य बीमा और निजी स्वैच्छिक स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से कवर किए गए हैं। शेष 30 प्रतिशत आबादी स्वास्थ्य बीमा से रहित है।"
रिपोर्ट के अनुसार, मिसिंग मिडिल (लापता मध्य) मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और गैर-कृषि अनौपचारिक क्षेत्र में स्वरोजगार और शहरी क्षेत्रों में अनौपचारिक व्यवसायों, अर्ध-औपचारिक और औपचारिक की एक विस्तृत श्रृंखला बनाते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कम लागत वाले स्वास्थ्य बीमा उत्पाद के अभाव में मामूली प्रीमियम का भुगतान करने की क्षमता के बावजूद 'लापता मध्य' सुविधा से वंचित रहता है।
आर्थिक सुरक्षा(pixabay)
रिपोर्ट आगे बताती है कि इस सेगमेंट के लिए डिजाइन किया गया एक व्यापक उत्पाद, जो मौजूदा आरोग्य संजीवनी योजना में सुधार हो सकता है और रोगी कवर की पेशकश कर सकता है, स्वास्थ्य बीमा कवरेज का विस्तार कर सकता है।
नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि ज्यादातर भारतीय स्वास्थ्य बीमा योजनाएं और उत्पाद 'लापता मध्य' के लिए नहीं बनाए गए हैं।
निजी स्वैच्छिक स्वास्थ्य बीमा उच्च आय समूहों के लिए डिजाइन किया गया है, जिसकी लागत 'लापता मध्य' के लिए किफायती स्तर से कम से कम दो से तीन गुना है। किफायती अंशदायी उत्पाद जैसे ईएसआईसी और सरकार द्वारा सब्सिडी प्राप्त बीमा, जिसमें प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) शामिल हैं, बंद उत्पाद हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिकूल चयन के जोखिम के कारण वे सामान्य आबादी के लिए उपलब्ध नहीं हैं।(आईएएनएस-PS)