अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें कुछ लोग एक महिला को प्रताड़ित करते हुए उसका बलात्कार करते हुए नजर आ रहे थे। वह महिला 22 साल की थी, और उसकी ट्रैफीकिंग (तस्करी) कर के उसे बेंगलुरु, भारत लाया गया था। हालांकि बेंगलुरु पुलिस द्वारा दुष्कर्म करने वाले 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। बेंगलुरु सिटी के पुलिस कमिश्नर कमल कांत ने बताया कि, अब तक मिली सूचनाओं के अनुसार वह सभी आरोपी बांग्लादेश (Bangladesh) के माने जा रहे हैं। अवैध रूप से वह बांग्लादेश से भारत आए थे।
आपको बता दें कि, यह पहला मामला न्य नहीं है जब अवैध रूप से बांग्लादेश से भारत में रह रहे लोगों को पकड़ा गया हो। एटीसी (ATC) आतंक निरोधक ने 2019 में फर्जी दस्तावेज बनाकर अवैध रूप से भारत में रह रहे पांच बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया था। इससे पहले एक बार गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने बांग्लादेशी घुसपैठियों पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि, बांग्लादेशी इस राज्य में किंगमेकर की भूमिका में आ गए हैं। जिसके कारण न केवल असम के जनसांख्यिकी स्वरूप में तेजी से बदलाव आया है। बल्कि देश में अन्य क्षेत्रों में भी बांग्लादेशी अवैध घुसपैठिए (Illegal migrants) कानून व्यवस्था के लिए खतरा बने हुए हैं। पश्चिम बंगाल में और असम का नागरिक बताने वाले यह घुसपैठिए अधिकांश रूप से अपराधिक गतिविश्यों में संलग्न हैं।
बंगलादेशी घुसपैठियों की मदद से चलने वाले कई आतंकी संगठनों की जानकारी होने के बावजूद देश के तमाम सेक्युलर दल इन घुसपैठियों को संरक्षण देने की बात करते हैं। उपलब्ध डेटा के अनुसार देश में करीब 2 करोड़ से भी अधिक अवैध बांग्लादेशी प्रवासी रह रहे हैं। वोट बैंक की राजनीति के चलते सरकार भी इन घुसपैठियों पर कार्यवाही नहीं करती है।
देश से अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें बाहर निकालेगा तो क्यों ये तथाकथित सेक्युलर वर्ग इसका विरोध कर रहे हैं? (सोशल मीडिया)
आप सभी को पता होगा कि, साल 2019 में भाजपा सरकार एक नया कानून लेकर आई थी। जिसमें से एक CAA और दूसरा, पूरा देश में नागरिकों की गिनती के लिए "राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर" (National Register of Citizens) जिसे हम NRC के नाम से भी जानते हैं। सरकार ने कहा था कि, देश में अवैध रूप रह रहे लोगों की पहचान के लिए NRC लाया जा रहा है। यह किसी भी धर्म या संप्रदाय से जुड़ा हुआ नहीं है। इसमें सभी धर्मों और सम्प्रदायों को शामिल किया जाएगा। फिर भी लोग इस कानून का जमकर विरोध कर रहे हैं। आखिर क्यों इस कानून का विरोध किया रहा है?
सवाल बहुत सटीक और सीधा है कि, जब यह कानून देश के हित में है। देश से अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें बाहर निकालेगा तो क्यों ये तथाकथित सेक्युलर वर्ग इसका विरोध कर रहे हैं?
आपको जानकारी के लिए यह भी बता दें कि, हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान (Pakistan) में सभी वयस्क नागरिकों को एक यूनिक संख्या के साथ कंप्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र (CNIC) के लिए पंजीकरण कराना पड़ता है। श्रीलंका (Srilanka) में भी नेशनल आइडेंटिटी कार्ड (NIC) एक पहचान दस्तावेज़ बनाना अनिवार्य होता है। यहां तक कि, बांग्लादेश भी अपने वयस्क नागरिकों को स्मार्ट NID कार्ड प्रदान करता है।
लेकिन सिर्फ एक भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है। जिससे नागरिकों की पहचान की जा सके। प्रतिवर्ष 3 लाख से भी ज्यादा लोग अवैध रूप से भारत में आ रहे हैं और वोट बैंक भरने के लिए राजनीतिक समुदाय इन्हें संरक्षण भी देते हैं| सब पता होने के बावजूद इस NRC जैसे अहम कानून पर सियासत खेल, खेला जाता है। इस कानून का विरोध किया जाता है।