35 करोड़ बच्चों की ही शिक्षाऔर कौशल तक पहुंच है: केंद्रीय शिक्षा मंत्री

अगले 25 साल भारत की विकास यात्रा के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं।(Twitter)
अगले 25 साल भारत की विकास यात्रा के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं।(Twitter)
Published on
Updated on
2 min read

भारत में अनुमानित तौर पर 52.5 करोड़ आबादी 3 से 23 वर्ष की आयु वर्ग के अंतर्गत है। बड़ी बात यह है कि इनमें से लगभग 35 करोड़ बच्चों की ही शिक्षा(Education) और कौशल तक पहुंच है। यह जानकारी स्वयं केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दी। उन्होंने कहा कि इस अंतर को पाटने की जरूरत है और हमें बाकी 17-18 करोड़ बच्चों को भी स्कूली शिक्षा और कौशल की छत्रछाया में लाने का प्रयास करना चाहिए। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि ग्रॉस एनरोलमेंट रेशों जीईआर को बढ़ाकर, कौशल हासिल करने को आकांक्षी बनाकर और युवा भारतीयों की आर्थिक उत्पादकता को बढ़ाकर हम भारत को एक ज्ञान महाशक्ति बना सकते हैं। केंद्रीय मंत्री ने शिक्षा और कौशल को प्रत्येक भारतीय को उपलब्ध कराने, भारत को ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के तरीके और भारत के हर हिस्से में नवाचार की भावना के प्रसार पर जोर दिया।

मंत्री ने परीक्षा पे चर्चा 2022 के दौरान युवा छात्रों के नवाचार की भावना का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने पर प्रसन्नता व्यक्त की। विभिन्न छात्रों के अभिनव कार्य करने की बातें बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे युवाओं का आत्मविश्वास, कौशल, रचनात्मकता और बौद्धिक क्षमता की कोई सीमा नहीं है।

उन्होंने कहा कि चाहे वह केरल के भाई-बहन नंदिनी और निवेदिता हों, जो ऑनलाइन कार्यशालाओं के माध्यम से वैदिक गणित को सरल बना रहे हैं, या जामताड़ा से शुभम माजी या कपूरथला से मून वर्मा, ये वैसे युवा हैं जो आने वाले दशकों में भारत की बड़ी छलांग सुनिश्चित करेंगे। परीक्षा पे चर्चा के दौरान गढ़वा, ग्वालियर, जामताड़ा, कोट्टायम, खुर्दा के छात्रों ने नवाचार के प्रति जो उत्साह दिखाया, उसने सभी को चकित कर दिया है।

उन्होंने कहा कि श्रेणी 2 और श्रेणी 3 के शहरों और ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्र नवाचार और उद्यमिता का रास्ता अपना रहे हैं। श्रेणी 2 और श्रेणी 3 के शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक प्रतिभाशाली युवाओं के बारे में बात करते हुए शिक्षा मंत्री ने इन छात्रों को ऊंची उड़ान भरने और नवाचार और उद्यमिता का रास्ता अपनाने में मदद करने के लिए कौशल विकास की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

केंद्रीय मंत्री प्रधान ने स्थानीय भाषाओं और मातृभाषा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि विवेचनात्मक सोच के कौशल के विकास के लिए भी स्थानीय भाषाओं को सीखना महत्वपूर्ण है जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विशेष ध्यान देने वाले प्रमुख क्षेत्रों में से एक है।

धर्मेंद्र प्रधान ने जोर देकर कहा कि अगले 25 साल भारत की विकास यात्रा के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 के अनुरूप, हम सभी को यह सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक रूप से काम करने की जरूरत है कि हमारे छात्र वैश्विक नागरिक बनें और भारत और दुनिया को एक सशक्त भविष्य की ओर ले जाएं।

आईएएनएस(DS)

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com