किसी देश की सीमा यदि सुरक्षित हो तो विकास और इतिहास दोनों रचा जा सकता है। भारत की तीनो सेनाएं हर क्षण हिंदुस्तान की रक्षा के लिए तत्पर रहती है। लेकिन, आज के दिन को भारतीय नौ सेना दिवस के रूप में जाना जाता है। जल, थल और नभ इन तीनो मोर्चों पर सुरक्षा को भारतीय सेना ने बखूबी किया है। पाकिस्तान के साथ हुए कारगिल युद्ध में हम ने थल सेना और वायु सेना का बढ़-चढ़ कर बखान किया किन्तु जिस ने चुपचाप दुश्मन को शस्त्रहीन कर दिया उनके विषय में हम इतना नहीं जानते। पाकिस्तान को गिड़गिड़ाने पर मजबूर होना पड़ा क्योंकि जिस रणनीति को नौ सेना ने अपनाया था उस से बच पाना पाकिस्तान के लिए असंभव था।
भारतीय थल सेना द्वारा ऑपरेशन विजय का आगाज़ हुआ, वहीं वायु सेना ने मोर्चा सँभालने के लिए ऑपरेशन सफ़ेद सागर को शुरू किया। नौ सेना ने पाकिस्तान को कमजोर करने के लिए जो ऑपरेशन चलाया उसे नाम दिया गया ऑपरेशन तलवार। नौ सेना को युद्ध के समय यह सुनिश्चित करना था कि पाकिस्तान समुद्र के द्वारा भारत पर आक्रमण न कर दे। इसके लिए नौ सेना ने जल सीमाओं पर अपनी गश्त को आक्रामक रूप दे दिया था। और तो और पाकिस्तान के बंदरगाहों की तरफ आने वाले रास्तों को भी ठप कर दिया। इस रणनीति का यह परिणाम निकला कि पाकिस्तान पर आर्थिक संकट का डर मंडराने लगा। पाकिस्तान के तमाम नेताओं के पसीने छूटने लगे। आनन-फानन में पकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को यह कहना पड़ा कि "देश के पास बस अब छह दिनों तक ही जिंदा रहने का ईंधन बचा है।" भारत ने पाकिस्तान को युद्धभूमि के साथ-साथ व्यापार के मोर्चे पर भी निरस्त्र कर दिया था।
पाकिस्तान को यह डर था कि भारतीय नौ सेना के जहाज उस पर हमला न कर दें। भारतीय नौ सेना पाकिस्तान को भ्रम में डालने के लिए उत्तर अरब सागर में अभ्यास शुरू किया था जिसको नाम दिया गया 'समरएक्स'। और यही थी पाकिस्तान को कूटनीतिक एवं व्यापर मोर्चे पर कमजोर करने की नौ सेना की पहल।
भारतीय नौ सेना के पास 1 विमान वाहक युद्ध पोत है और जल्द भारतीय नौ सेना के बेड़े में एक और शमिल होगा। 1 न्यूक्लियर-चालित घातक सबमरीन और 2 न्यूक्लियर-चालित बैलिस्टिल मिसाइल सबमरीन है। भारत के बेड़े में 150 जहाज एवं सबमरीन और 300 लड़ाकू विमान मौजूद हैं। मौजूदा काल में भारतीय नौ सेना में 67,252 सक्रिय और 55,000 सेवा आरक्षित कर्मचारी हैं। भारत के राष्ट्रपति ही तीनों सेनाओं के सर्वोच्च सेनाध्यक्ष होते हैं, जो इस समय हैं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद।