पाक सिख समुदाय ने जताई दुर्लभ धार्मिक ग्रंथ को गुरुद्वारे में रखने की इच्छा

गुरुद्वारा डेरा साहिब, लाहौर (Wikimedia Commons)
गुरुद्वारा डेरा साहिब, लाहौर (Wikimedia Commons)
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पाकिस्तान में रह रहे सिख समुदाय ने कहा है कि वह गुरु ग्रंथ साहिब की एक हस्तलिखित प्रति को गुरुद्वारा डेरा साहिब में रखना चाहता है। अभी यह प्रति लाहौर के एक संग्रहालय में डिस्प्ले में रखी हुई है। अनुमान है कि यह प्रति करीब 300 साल पुरानी है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा है कि विशेषज्ञों के मुताबिक सिखों के पवित्र ग्रंथ की हस्तलिखित प्रति बेहद दुर्लभ है।

शोधकर्ता और लाहौर संग्रहालय में सिख धर्म को समर्पित सेक्शन की प्रभारी अलीजा सबा रिजवी ने कहा, "हालांकि इस पर कोई तारीख नहीं है लेकिन इसके लेखन और स्याही से पता चलता है कि यह तीन सौ साल से अधिक पुराना है।"

रिजवी के अनुसार, यह पांडुलिपि अन्य कलाकृतियों के साथ संग्रहालय को विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों द्वारा किए गए दान में मिली थी।

रिजवी ने कहा, "यह गुरु ग्रंथ साहिब की एक दुर्लभ प्रति है। ऐसी ही एक प्रति भारत के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में है।"

गुरु ग्रंथ साहिब जी का एक छोटा सा हिस्सा। (Wikimedia Commons)

अब पाकिस्तान में सिख समुदाय चाहता है कि इस पवित्र ग्रंथ को गुरुद्वारा डेरा साहिब के अंदर रखा जाए। यह गुरुद्वारा लाहौर के मध्य में उस जगह पर बना है, जहां 1606 में गुरु अर्जन देव की मृत्यु हुई थी।

एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने समुदाय के एक वरिष्ठ सदस्य के हवाले से कहा, "गुरु ग्रंथ साहिब की इस प्राचीन प्रति को गुरुद्वारा साहिब में रखा जाना चाहिए।"

पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) के पूर्व प्रमुख सरदार बिशन सिंह ने कहा, "इसे किसी भी साधारण किताब की तरह एक कोठरी में नहीं रखा जा सकता है। इसे गुरुद्वारे के अंदर ही रखा जाना चाहिए।"

उन्होंने यह भी कहा कि वह पीएसजीपीसी की अगली बैठक में यह मांग रखेंगे।

सिंह ने यह सुझाव भी दिया कि संग्रहालय को या तो दुर्लभ ग्रंथ को गुरुद्वारे में स्थानांतरित कर देना चाहिए या पवित्र ग्रंथ की सिख रीति-रिवाजों के अनुसार देखभाल करने के लिए समुदाय का एक आदमी रखना चाहिए।(आईएएनएस)

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