महामारी वर्ष 2020 (Pandemic year 2020) गुजर चुका है, लेकिन कोरोनावायरस का कहर अभी भी जारी है और इसका हमारे जीवन में पड़ने वाला प्रभाव शायद हमारे जीवनकाल का सबसे बड़ा व्यवधान है। महामारी का हमारे कार्यस्थलों पर भी काफी प्रभाव पड़ा है और 50 प्रतिशत कार्यबल (Work Force) डिजिटल प्लेटफॉर्म पर स्व-विकास कार्यक्रमों (Self-development) को चुनना पसंद कर रहे हैं। तेजी से बढ़ते आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) संचालित संचार मंच (Communication Platform) माईजेन डॉट एआई की ओर से कराए गए एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण 'Pivoting to the new normal' में यह बात सामने आई है।
नए सामान्य के तौर पर उभर रहे हाइब्रिड कार्यस्थलों की बढ़ती वास्तविकता के साथ, 'Pivoting to the new normal' सर्वेक्षण पेशेवरों की सीखने और उनके विकास के साथ ही उनकी वरीयताओं और राय पर महामारी के प्रभाव को समझने के लिए किया गया है।
अगर महामारी के समय पर सेल्फ डेवलपमेंट (Self-development) पर फोकस करने की बात करें तो सर्वेक्षण में शामिल 35 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने माना कि 50 प्रतिशत से अधिक लोगों ने इस समय को अपने सेल्फ डेवलपमेंट के लिए उपयोग किया।
इसी तरह लगभग 45 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया कि लगभग 40 प्रतिशत लोगों ने इस समय का उपयोग सेल्फ डेवलपमेंट (Self-development) के लिए किया। लोगों द्वारा जाहिर किए गए विचारों से जो आंकड़े सामने आए, उसके परिणामस्वरूप अधिकतर लोग (लगभग 80 प्रतिशत) ने माना है कि 40 प्रतिशत से अधिक कार्यबल ने सेल्फ डेवलपमेंट के लिए महामारी के इस समय का उपयोग किया है।
महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन में ज़्यादातर लोगों ने सेल्फ डेवलपमेंट की ओर अपना रुझान दिखाया है। (Pixabay)
अगर महामारी के समय पर सेल्फ-लर्निग के लिए विषय चुनने की बात की जाए तो कार्यशील आबादी के लिए मुख्य आकर्षण तकनीकी कौशल (Technical skill) रहा है। इसके बाद लोगों ने रणनीतिक सोच (Strategic thinking) और नवाचार कौशल (Innovation skill), सोशल मीडिया मार्केटिंग, संचार कौशल (Communication skill) और अंत में नेतृत्व कौशल (Leadership skill) सीखने में दिलचस्पी दिखाई है। इस क्रम में अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए 96 प्रतिशत लोगों की स्वीकृति देखने को मिली है। यानी लोगों ने यह माना कि यह स्किल कैरियर के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए उन्होंने महामारी के समय को डिजिटल माध्यमों से कुछ सीखने में गुजारा।
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जैसे कि महामारी के समय पर देखने में आया है कि नौकरीपेशा लोग अपने साथियों और उच्चाधिकारियों के साथ प्रत्यक्ष तौर पर आमने-सामने संचार नहीं कर सके, मगर यह डिजिटल प्लेटफॉर्म और दूरसंचार सेवाएं ही रही हैं, जो संगठनों या कंपनियों के लिए संचालन के काम आई हैं।
50 प्रतिशत से अधिक लोगों का मानना है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म सेल्फ डेवलपमेंट के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। (Pixabay)
डिजिटल प्लेटफॉर्म के फायदों और चुनौतियों के बारे में बात की जाए तो सर्वेक्षण में शामिल उत्तरदाताओं ने स्केल, कॉस्ट, सुविधा, सहूलियत और चौबीसों घंटे उपलब्धता का उल्लेख किया है।
वहीं अगर डिजिटल प्लेटफॉर्म की चुनौतियों की बात की जाए तो सर्वेक्षण में शामिल लोगों ने माना कि इसमें अन्तरक्रियाशीलता का अभाव, स्थगन या टाल-मटोल, अनुशासन का अभाव, निजीकरण की कमी और भावनाओं को समझने में असमर्थता जैसे मुद्दे हैं। लोगों ने इसे काम के बीच डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ आने वाली शीर्ष चुनौतियां माना है।
यह सर्वेक्षण भारत के विभिन्न शहरों में आयोजित किया गया और इसमें लगभग 350 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और विभिन्न प्रश्नों के जवाब दिए। प्रतिभागियों में लर्निग एंड डेवलपमेंट हेड्स, पीपल मैनेजर्स और 30 विभिन्न उद्योगों के संगठनों के अन्य नेताओं के साथ शिक्षा, प्रौद्योगिकी, इन्फ्रास्ट्रक्च र, बैंकिंग, परामर्श और वित्तीय क्षेत्र से जुड़े नाम शामिल रहे। सर्वेक्षण में कनिष्ठ, मध्य और वरिष्ठ प्रबंधन का बराबर प्रतिनिधित्व रहा।
माईजेन एआई के सह-संस्थापक शम्मी पंत ने सर्वेक्षण के निष्कर्षो की घोषणा करते हुए कहा कि उनके सर्वेक्षण, 'Pivoting to the new normal' का उद्देश्य अभूतपूर्व महामारी के कारण लर्निग एंड डेवलपमेंट स्पेस में हुए विभिन्न बदलावों को प्रदर्शित करने का रहा है। (आईएएनएस)