ओम सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे संतु निरामायः। सर्वे भद्राणी पश्यन्तु। मां कस्चिद दुखभाग भवेत। (सभी जीव खुश रहें। सभी प्राणी स्वस्थ रहें। सभी प्राणियों को समृद्धि का अनुभव हो। दुनिया में कोई भी पीड़ित न हो।) समानता और एकता की इस पृष्ठभूमि के तहत हिन्दू धर्म(Sanatan Dharma) सभी मानव जाति को समान मानता है। हिन्दू धर्म(Sanatan Dharma) ब्रह्मांड को एक परिवार के रूप में या संस्कृत में कहे तो "वसुधैव कुटुम्बकम्" के रूप में देखता है।
हिन्दू धर्म (Hindu Religion) जिसे सनातन धर्म भी कहा जाता है, यह विश्व का सबसे प्राचीन धर्म और अब तक सृष्टि में जीवित धर्म है। हिन्दू धर्म(Sanatan Dharma) का मूल तत्व ही सत्य, अहिंसा, त्याग, दया, क्षमा, दान, ध्यान आदि हैं। जहां विज्ञान प्रत्येक वस्तु और तत्वों का मूल्यांकन करता है, जहां इसके मूल्यांकन में कई धर्म और उससे जुड़े सिद्धांत धाराशाही हो गए हैं। वहीं वेदों – उपनिषदों में जिस सनातन धर्म(Sanatan Dharma) की महिमा का वर्णन किया गया है। अब विज्ञान भी इससे सहमत होता नजर आ रहा है।
आज से ही नहीं बल्कि कई वर्ष पहले से ही हिन्दू धर्म और उससे जुड़े सिद्धांतों का देश के अतिरिक्त विदेशों में भी बड़ी संख्या में गुणगान किया जाता है। हिन्दू धर्म के अनुयायी आज हर महाद्वीप में बसे हुए हैं।
आज हम अमेरिका महाद्वीप की बात करेंगे जहां हिन्दू धर्म के प्रभाव का इतिहास काफी पुराना रहा है। कई ऐसे लेखकों और विचारकों की भी बात करेंगे जिन्हें हिन्दू धर्म ने काफी प्रभावित किया।
अमेरिका के द्वितीय राष्ट्रपति जॉन एडम्स (John Adams) जिनका हिन्दू धर्म और उसकी मान्यताओं से विशेष सम्बंध रहा था। उनका हिन्दू धर्म के प्रति गहरा सम्मान था। उस दौरान एडम्स अक्सर तुलनात्मक धर्मशास्त्र के अध्ययन में लगे रहते थे। राष्ट्रपति के रूप में अपने लंबे कार्यकाल के बाद उन्होंने हिन्दू धर्म सहित कई गैर – अब्राहम धर्मों का अध्ययन करना शुरू किया था।
जॉन एडम्स ने जो भी अध्ययन किया था, उसे उन्होंने 1813 में क्रिसमस के दिन थॉमस जेफरसन को लिखे एक पत्र में वर्णन करते हुए ईसाई और हिन्दू धर्म के बीच समानता का उल्लेख भी किया था। एडम्स ने हिन्दू धर्म के शास्त्रों, वेदों की प्रशंसा की, उन्होंने कहा कि यह पर्याप्त है कि दिन – रात आप, उनके कार्यों में उनकी शक्ति, उनके सामर्थ, उनकी बुद्धि और उनकी अच्छाई की उपासना करते हैं। यह विचार की ब्रह्म हर चीज में विद्यमान हैं और केवल भक्ति से उनकी प्राप्ति हो सकती है। एडम्स ने इन सभी विचारों का स्वागत किया था। और इन सभी बातों को उन्होंने संस्कृत में लिखा था। यह आश्चर्य की बात है कि, एडम्स ने संस्कृत भाषा को कैसे सीखा होगा?
अमेरिका के द्वितीय राष्ट्रपति जॉन एडम्स (John Adams)जिनका हिन्दू धर्म और उसकी मान्यताओं से विशेष सम्बंध रहा था। (Wikimedia Commons)
इसके अतिरिक्त एडम्स यह भी कहते हैं कि ईश्वर एक है, सभी का निर्माता एक है। ईश्वर ही सारी सृष्टि को नियंत्रित करता है। तो शाश्वत के सार और प्रकृति जो एक ही है, उसकी खोज ना करें। आपका शोध व्यर्थ और अभिमानी होगा। हम ठीक से तो नहीं जानते कि एडम्स का शस्त्रों से क्या मतलब था, लेकिन यह तो संभव था कि, एडम्स ने माना कि शास्त्र सभी पवित्र पुस्तकों के लिए एक शब्द था।
हेनरी डेविड थोरो जो कि एक प्रसिद्ध निबंधकार थे, उन्होंने हिन्दू धर्म और उससे जुड़े महान वेदों – उपनिषदों के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि "जब भी मैंने वेदों का कोई अंश पढ़ाता, तो मुझे लगा जैसे किसी अज्ञात प्रकाश ने मुझे प्रकाशित किया हो। वेदों की महान शिक्षा में साम्प्रदायिकता का स्पर्श नहीं है। यह महान ज्ञान की प्राप्ति के लिए एक शाही मार्ग है। वह आगे कहते हैं कि "मैं शास्त्रों के पाठकों से कहूंगा, यदि वे एक अच्छी पुस्तक को पढ़ना चाहते हैं तो वह "भगवद गीता" को जरूर पढ़ें।
मार्क ट्वैन जो अमेरिका के एक प्रसिद्ध लेखक थे, उन्होंने कहा है कि "भारत मानव जाति का पालन है, इतिहास की जननी है, किवदंती की दादी और परंपरा की परदादी है। मनुष्य के इतिहास में हमारी सबसे मूल्यवान और शिक्षाप्रद सामग्री केवल भारत में ही रखी गई है।"
राल्फ वाल्डो इमर्सन, अमेरिका के प्रसिद्ध निबंधकार कहते हैं कि "भारत की महान पुस्तकों में एक साम्राज्य ने हमसे बात की, कुछ भी छोटा या अयोग्य नहीं है, बल्कि बड़ा, शांत और सुसंगत है। जो हमारे उन सभी सवालों के जवाब देता है जो हमें परेशान करते हैं।
विलियम जेम्स एक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक, वेदों की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि "वेदों से हम शल्य चिकित्सा, संगीत, गृह निर्माण की एक व्यवहारिक कला सीखते हैं। वेद जीवन, संस्कृति, धर्म, विज्ञान, नैतिकता, कानून और ब्रह्मांड विज्ञान हर एक पहलू का विश्वकोश है।
एला व्हीलर विल्कॉक्स जो एक लेखक थे, उन्होंने कहा है कि "भारत वेदों की भूमि, उल्लेखनीय कार्यों में न केवल एक परिपूर्ण जीवन ने लिए धार्मिक विचार हैं, बल्कि ऐसे तथ्य भी हैं, जिन्हें विज्ञान ने सच साबित कर दिया है। बिजली, रेडियम, इलेक्ट्रॉनिक्स, सभी वेदों की स्थापना करने वाले ऋषियों को ज्ञात थे।
पीटर जॉनस्टन एक महान गणितज्ञ कहते हैं कि, गुरुत्वाकर्षण न्यूटन के जन्म से पहले हिन्दुओं के लिए जाना जाता था। हार्वे से भी पहले भारतीयों ने रक्त परिसंचरण प्रणाली की खोज की थी।
इस प्रकार हमारे ऋषि – मुनियों ने ध्यान और मोक्ष की गहरी अवस्था में ब्रह्म, ब्रह्मांड और आत्मा के रहस्य को जानकर उसे स्पष्ट तौर पर व्यक्त किया। महान वेदों और उपनिषदों की रचना की।