लखीमपुर मामले में प्रियंका ने ली सियासी बढ़त?

महासचिव प्रियंका गांधी पार्टी (IANS)
महासचिव प्रियंका गांधी पार्टी (IANS)
Published on
3 min read

By: विवेक त्रिपाठी

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सियासी जमीन भले कमजोर हो, लेकिन महासचिव प्रियंका गांधी पार्टी को आक्सीजन देने में जुटी हुई हैं। हाल में ही हुई लखीमपुर की घटना में यह देखने को मिला है। इस मौके पर सपा बसपा के नेता मौके पर जाने के लिए सिर्फ टाइमिंग तय करते रहे। इससे कांग्रेस पार्टी को बढ़त मिलती दिख रही है। इससे कार्यकतार्ओं का मनोबल भी बढ़ गया।

Lakhimpur की घटना के बाद प्रियंका गांधी आनन-फानन में दिल्ली से लखनऊ पहुंची, इसके बाद रविवार को रात में लखीमपुर जाने का कार्यक्रम बना लिया। उनके इस प्रोग्राम से दूसरे दल के नेताओं को भी घर से निकलने के लिए मजबूर होना पड़ा। पहले उनकी योजना सोमवार को सुबह लखीमपुर खीरी जाने की थी, लेकिन जब उन्हें पता चला कि प्रशासन वहां प्रतिबंध लगाने और राजनीतिक दलों को वहां जाने से रोक रहा है, तो उन्होंने अपनी योजना बदल ली।

प्रियंका गांधी और दीपेंद्र हुड्डा ने मध्य रात्रि से पहले ही कांग्रेस नेता शीला कौल का घर छोड़ दिया और बाहर पुलिस की मौजूदगी के बावजूद वे लखीमपुर खीरी के लिए रवाना हो गए। बीच रास्ते में प्रियंका गांधी के काफिले को पुलिस की ओर से रोकने का प्रयास हुआ। लेकिन उन्होंने कार बदली और यात्रा जारी रखी। वो पुलिस की घेराबंदी को चकमा देकर आगे निकल गयी।

आखिर में पुलिस प्रियंका गांधी को सीतापुर जिले में रोकने में कामयाब रही। इसके बाद उन्हें और दीपेंद्र हुड्डा को हिरासत में ले लिया गया। प्रियंका गांधी ने पुलिस से बहस के दौरान हिरासत में लेने के लिए वारंट दिखाने को भी कहा। उन्होंने यह सवाल भी किया कि अगर लखीमपुर खीरी में पीड़ितों से मिलने जाना अपराध नहीं है तो उन्हें ऐसा करने से क्यों रोका जा रहा है।

राजनीतिक पंडितों की माने तो तीस साल से उत्तर प्रदेश में वनवास झेल रही कांग्रेस की महासचिव प्रियंका वाड्रा ने कुछ माह पहले सोनभद्र के उभ्भा गांव में जमीनी विवाद को लेकर हुए नरसंहार को जोरदारी से उठाकर अन्य विपक्षी दलों के मुकाबले पार्टी की बढ़त बनाई। इसके पहले सीएए को लेकर आंदोलनकारियों से मिलने वाला मामला हो, उन्नाव दुष्कर्म कांड, चिन्मयानंद प्रकरण, मैनपुरी नवोदय छात्रा प्रकरण इन तमाम मसलों पर प्रियंका ने सरकार को घेरने में कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी।

दूसरी ओर सपा और बसपा के प्रमुख नेताओं को वहां जाने की अनुमति नहीं मिली है। सपा मुखिया अखिलेश यादव के घर के बाहर सड़क बंद कर दी गयी। अखिलेश यादव को उनके आवास के बाहर निकलने की इजाजत दी गयी। वह धरने पर भी बैठे बाद में हिरासत में लिए गए। वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा को सोमवार को लखीमपुर जाने को कहा। लेकिन उनको रविवार रात को ही घर पर नजरबंद कर दिया गया। इससे यह भी संकेत हैं कि भाजपा सरकार स्थानीय दलों के मुकाबले राष्ट्रीय दल को ही आगे बढ़ते देखना चाहती है।

कांग्रेस पार्टी के डिजिटल मीडिया इंचार्ज व प्रवक्ता अंशू अवस्थी का कहना है, "कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने प्रदेश के प्रत्येक मुद्दे और प्रत्येक वर्ग के लिए सबसे पहले आवाज उठाने का काम किया है। वह हर जनहित के मुद्दे को लेकर जमीन में उतरी हैं। उम्भा सोनभद्र में हुई घटना पर सबसे पहले वह पहुंची। लखनऊ में पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी से मिली। उन्नाव पीड़ित बेटी को आवाज उठाई। हाथरस में सबसे पहले पीड़ित परिवार के साथ खड़ी हुई, आजमगढ़ ,वाराणसी-प्रयागराज में निषादों के साथ जब उनकी नाव तोड़ी तब सबसे पहले वह पहुंची। जिला पंचायत चुनाव में हुई हिंसा में लखीमपुर की पीड़िता के साथ खड़ी हुईं और अब पुन: लखीमपुर में किसानों के साथ हुई हिंसा पर आंदोलनरत हैं, प्रदेश की जनता इसे समझ रही हैं और 2022 चुनाव में कांग्रेस ही है जो प्रदेश को अच्छे से चला सकती है।" (आईएएनएस-SM)

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com