इतिहास में पहली बार घाटे में रेलवे

इतिहास में पहली बार रेलवे 26 हजार 338 करोड रुपए के घाटे में। [Pixabay]
इतिहास में पहली बार रेलवे 26 हजार 338 करोड रुपए के घाटे में। [Pixabay]

केन्द्र सरकार द्वारा मुनाफों के दावों के बावजूद भारतीय रेल (Indian Railway) घाटे से जूझ रही है। महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के अनुसार रेलवे को 26 हजार 338 करोड रुपए का पिछले एक साल में घाटा हुआ। जानकारों की मानें तो रेलवे को इतिहास में पहली बार इतना घाटा हुआ है। मंत्रालय ने 1,589 करोड़ रुपए का नेट सरप्लस दिखाया था, जो कि CAG की रिपोर्ट के अनुसार गलत साबित हुआ है। CAG ने मंगलवार को रेलवे वित्त प्रतिवेदन पेश किया था। प्रतिवेदन के तीन अध्यायों में इसे 26,326.39 करोड़ रुपए का घाटा बताया गया है।

आसान शब्दों में कहें तो साल 2019-20 में 100 रूपए कमाने के लिए रेलवे ने 114 रुपए के करीब खर्च किए। जबकि रेलवे विभाग की बैलेंस सीट में इस वित्तीय वर्ष में परिचालन अनुपात 98.36 फीसदी अनुमानित बताया गया था।

रेलवे ऋण की बात करें तो पहली बार 2019-20 में 25,730.65 करोड़ रुपये के ऋण शेष है। जो वित्तीय वर्ष 2019-20 में 95,217 करोड़ रुपये अनुमानित था।

दरअसल रेलवे की कोयले के परिवहन पर भारी निर्भरता थी जो 2019-20 के दौरान माल ढुलाई आय का लगभग 49 प्रतिशत थी। थोक वस्तुओं की परिवहन पद्धति में किये गए बदलाव ने माल ढुलाई आय को काफी प्रभावित किया। वित्तिय वर्ष 2018-19 में 3,773.86 करोड़ रुपये की तुलना में 2019-20 में 1589.62 करोड़ रुपये का कारोबार रहा है।

इसके साथ ही जानकारों का ये कहना है कि रेलवे (Indian Railway) ने सेवानिवृत्त कर्मियों की पेंशन व अन्य व्यय जोनल रेलवे के कुल व्यय (टोटल एक्सपेंडीचर) के बजाए केवल पेंशन फंड में दर्शाया गया। अगर इस हिसाब से रेलवे पेंशन व अन्य व्यय को कुल व्यय में दर्शाया जाता तो रेलवे की बैलेंस शीट ऐतिहासिक रूप से पहली बार 26,326.39 करोड़ रुपये के घाटे में मानी जाती है। (आईएएनएस)

Input: IANS ; Edited By: Manisha Singh

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