Rajiv Gandhi : जिस देश में आपसी संघर्ष हो, वह देश कमजोर हो जाता है।

राजीव गांधी ने अपनी नई सोच के माध्यम से भारत को प्रगति की राह में बखूबी चलना सीखा दिया था। (Wikimedia Commons)
राजीव गांधी ने अपनी नई सोच के माध्यम से भारत को प्रगति की राह में बखूबी चलना सीखा दिया था। (Wikimedia Commons)

21 May,1991- आज ही का वो दिन था, जब इस देश ने अपने प्रिय नेता को खो दिया था। वह दिन, जब अचानक सभी देशवासियों ने अंदर तक झकझोर देने वाली खबर को सुना था। आज ही के दिन 30 वर्ष पहले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की हत्या कर दी गई थी। तमिलनाडु में एक चुनावी प्रचार के दौरान आत्मघाती हमले में उनकी मृत्यु हो गई थी। इस खबर ने प्रत्येक भारतवासियों को अवाक कर दिया था। राजीव गांधी मात्र देश के प्रधानमंत्री नहीं थे, बल्कि एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री (Prime Minister) के रूप में भारत की भूमि पर राज न करके, देशवासियों की सेवा कर, उनके दिलों पर राज किया था। आज उनके निधन के सालों उपरांत भी, वह करोड़ों भारतवासियों के दिलों में जिंदा हैं। 

राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को बंबई में हुआ था। जिस दौरान भारत आजाद हुआ था। उस वक्त राजीव गांधी मात्र 3 वर्ष के थे। अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के लिए, राजीव गांधी मुंबई से देहरादून आए और वहां से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की। स्कूल से निकलने के बाद उन्होंने लंदन के इंपीरियल कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। राजीव गांधी को शुरू से संगीत में काफी रुचि थी। उन्हें हिन्दुस्तानी शास्त्रीय और आधुनिक संगीत काफी पसंद हुआ करते थे। लेकिन जिस चीज में उनकी सबसे अधिक रुचि थी, वह था हवाई उड़ान। इंग्लैंड से भारत लौटने के पश्चात, उन्होंने दिल्ली फ्लाइंग क्लब की परीक्षा को पास किया और इसके बाद सन 1968 में राष्ट्रीय जहाज कंपनी इंडियन एयरलाइंस के पायलट बन गए। 

अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के लिए, राजीव गांधी मुंबई से देहरादून आए और वहां से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की। (Wikimedia Commons)

राजनीति में रुचि न होने पर भी आखिर कैसे उन्होंने राजनीति में कदम रखा?

राजीव गांधी का राजनीति में प्रवेश उस वक्त हुआ जब 1980 में एक विमान दुर्घटना में उनके भाई संजय (Sanjay Gandhi) गांधी की मृत्यु हो गई थी। उस वक्त उन पर राजनीति में आकर अपनी मां इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की मदद करने का जबरदस्त दबाव बनने लगा था। हालांकि राजीव गांधी ने इसका विरोध भी किया था। लेकिन परिस्थितिवश उन्हें राजनीति में कदम रखना पड़ा। उसके बाद 1981 में अपने भाई की मृत्यु के पश्चात खाली हो चुकी, उत्तर प्रदेश के अमेठी लोकसभा से उन्होंने उपचुनाव लड़ा और विजयी भी रहे। तभी से राजीव गांधी ने औपचारिक रूप से राजनीति में कदम रखा था। 

30 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की, उन्हीं के अपने बॉडी गार्ड ने हत्या कर दी थी। जिसके बाद राजीव गांधी ने मात्र 40 वर्ष की आयु में देश का सबसे बड़ा भार संभाला था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेताओं ने उनका नाम प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किया। इसके बाद राजीव गांधी बहुमत हासिल कर देश के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने थे। 

Rajiv Gandhi, Indira Gandhi and Sanjay Gandhi. (Wikimedia Commons)

राजीव गांधी जब तक प्रधानमंत्री पद पर रहे, उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान देश को एक नई बुलंदियों पर पहुंचाने का काम किया था। 

पहले कंप्यूटर से कोई – कोई ही परिचित था। यह आम जन की पहुंच से काफी दूर था और राजीव गांधी का मानना था कि, विज्ञान और तकनीक के बिना उद्योगों का विकास नहीं हो सकता। तभी उन्होंने कंप्यूटर (Computer) को आम  जन तक पहुंचाने के लिए आयात शुल्क को कम करने की पहल की थी। 

हम सभी जानते हैं, पहले वोट देने की उम्र सीमा 21 वर्ष थी। राजीव गांधी के प्रयासों के ही तहत, 1989 में 61 वें संविधान संशोधन के जरिए वोट देने की उम्र सीमा 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई थी। 

राजीव गांधी ने शिक्षा के क्षेत्र में भी सुधार लाने के लिए और गांव – गांव तक बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा पहुंचाने के लिए, राजीव गांधी ने जवाहर नवोदय विद्यालयों (Jawahar Navodaya Vidyalayas) की शुरुआत की थी। इसके अतिरिक्त उन्होंने 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भी लागू किया था। राजीव गांधी ने दूरसंचार के क्षेत्रों में प्रगति लाने के लिए भारत में दूरसंचार नेटवर्क की स्थापना की थी। इसलिए उन्हें दूरसंचार क्रांति लाने वाला नेता भी कहा जाता है। 

हम सभी जानते हैं, राजीव गांधी की मृत्यु एक दु:खद घटना थी। लेकिन उन्होंने जो देश के लिए किया उसे आज भी याद किया जाता है। राजीव गांधी ने अपनी नई सोच के माध्यम से भारत को प्रगति की राह में बखूबी चलना सीखा दिया था। "भारत रत्न से सम्मानित राजीव गांधी, भारत की एकता को बनाए रखने के अलावा, उनका प्रमुख उद्देश्य इक्कीसवीं सदी के भारत का निर्माण करना भी था।"

क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या एक आतंकवादी हमला था। इसलिए आतंकवाद जैसे भयानक खतरे के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए भारत द्वारा 21 मई को आतंकवादी विरोधी दिवस (Anti Terrorism Day) मनाया जाता है। राजीव गांधी की हत्या के बाद वी.पी सिंह की सरकार द्वारा 21 मई को आतंकवादी विरोधी दिवस मनाने का फैसला लिया गया था। 

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