ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने एक अभूतपूर्व अध्ययन में 'ब्लड-टू-ब्रेन पाथवे' की पहचान की है जो अल्जाइमर रोग का कारण बन सकता है। कर्टिन विश्वविद्यालय जो कि ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में है, वहाँ माउस मॉडल पर परीक्षण किया गया था, इससे पता चला कि अल्जाइमर रोग का एक संभावित कारण विषाक्त प्रोटीन को ले जाने वाले वसा वाले कणों के रक्त से मस्तिष्क में रिसाव था।
कर्टिन हेल्थ इनोवेशन रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रमुख जांचकर्ता प्रोफेसर जॉन मामो ने कहा "जबकि हम पहले जानते थे कि अल्जाइमर रोग से पीड़ित लोगों की पहचान विशेषता बीटा-एमिलॉयड नामक मस्तिष्क के भीतर जहरीले प्रोटीन जमा का प्रगतिशील संचय था, शोधकर्ताओं को यह नहीं पता था कि एमिलॉयड कहां से उत्पन्न हुआ, या यह मस्तिष्क में क्यों जमा हुआ," शोध से पता चलता है कि अल्जाइमर रोग से पीड़ित लोगों के दिमाग में जहरीले प्रोटीन बनते हैं, जो रक्त में वसा ले जाने वाले कणों से मस्तिष्क में रिसाव की संभावना रखते हैं। इसे लिपोप्रोटीन कहा जाता है।
'ब्लड-टू-ब्रेन पाथवे' महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर हम लिपोप्रोटीन-एमाइलॉइड के रक्त के स्तर को प्रबंधित कर सकते हैं और मस्तिष्क में उनके रिसाव को रोक सकते हैं, तो हमे अल्जाइमर रोग को रोकने के लिए नए उपचार प्राप्त हो सकते है।ऐसा पिछले शोध में दिखाया गया था कि बीटा-एमिलॉइड मस्तिष्क के बाहर लिपोप्रोटीन के साथ बनाया जाता है। मामो की टीम ने माउस मॉडल द्वारा 'रक्त-से-मस्तिष्क मार्ग' का परीक्षण किया ताकि मानव अमाइलॉइड-केवल यकृत का उत्पादन किया जा सके।
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रिसर्च से यह मालूम होता है कि रक्त में इन जहरीले प्रोटीन का जमा होना किसी व्यक्ति के आहार और कुछ दवाओं के माध्यम से संबोधित किया जा सकता है जो विशेष रूप से लिपोप्रोटीन एमिलॉयड को लक्षित कर सकते हैं। (IANS:TS)
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