अधिकार बनाया तो गया है लेकिन स्कूल कहां हैं? सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Wikimedia Commons)
सुप्रीम कोर्ट (Wikimedia Commons)

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि किसी भी योजना को बनाने से पहले पूरे परिदृश्य की समीक्षा करनी चाहिये नहीं तो वह सिर्फ जुबानी जमाखर्च ही रह जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने सलाह देते हुये कहा कि सरकार को किसी योजना या विचार को लागू करने से पहले उसके आर्थिक प्रभाव का मूल्यांकन भी करना चाहिये।

जस्टिस यू यू ललित की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुये शिक्षा के अधिकार कानून का उदाहरण देते हुये यह अधिकार बनाया तो गया है लेकिन स्कूल कहां हैं? इस खंडपीठ के अन्य सदस्य जस्टिस एस आर भट और जस्टिस पी एस नरसिम्हा हैं। उन्होंने केंद्र की ओर मामले की पैरवी कर रही अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा,"आपने अधिकार का सृजन तो कर दिया लेकिन स्कूल कहां हैं ?"

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नगर निगमों और राज्य सरकारों को स्कूल की स्थापना के लिये कहा गया, लेकिन आखिरकार उन्हें शिक्षक कहां से मिलेंगे? अक्सर बजट की कमी की बात सामने आती है। खंडपीठ 'वी द वीमेन ऑफ इंडिया' की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह याचिका घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को प्रभावी कानूनी मदद देने के लिये समुचित व्यवस्था करने और देशभर में आश्रय गृहों की स्थापना करने से संबंधित थी।

भाटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की गयी है और सभी राज्यों से बातचीत की जा रही है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि कुछ राज्यों में रेवेन्यू ऑफिसर ही इस अधिनियम के तहत उल्लिखित प्रोटेक्शन ऑफिसर के रूप में काम कर रहे हैं। भाटी ने कहा कि इस मामले में विस्तृत जानकारी देने के लिये समय दिया जाये। खंडपीठ ने कहा कि हर योजना का आर्थिक प्रभाव होता है और जो आपकी जरूरत है, हो सकता है कि राज्य सरकार के पास उतने संसाधन न हों।

खंडपीठ ने कहा कि आश्रय गृहों के संदर्भ में किसी खास राज्य की जरूरतों के आंकलन का विश्लेषण करना जरूरी है। इस पर केंद्र सरकार की पैरवीकार भाटी ने कहा कि सभी जानकारी के साथ स्थिति रिपोर्ट पेश की जायेगी। खंडपीठ ने केंद्र सरकार को इसके लिये दो सप्ताह का समय दिया है और मामले की सुनवाई की अगली तारीख 26 अप्रैल तय की है।

Input : आईएएनएस ; Edited by Lakshya Gupta

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