छत्तीसगढ़ में आवारा मवेशियों से फसल बचाने के लिए ‘रोका-छेका‘ अभियान

मानसून (Monsoon) के दौरान फसलों को आवारा मवेशी बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं। इन मवेशियों से होने वाले नुकसान के लिए छत्तीसगढ़ में 6 जुलाई से विशेष अभियान चलाया जाने वाला है, जिसे ‘रोका-छेका‘ अभियान नाम दिया गया है।
मानसून के दौरान फसलों को आवारा मवेशियों से होने वाले नुकसान के लिए छत्तीसगढ़ में 6 जुलाई से ‘रोका-छेका‘ अभियान लाया जाने वाला है। (Wikimedia Commons)
मानसून के दौरान फसलों को आवारा मवेशियों से होने वाले नुकसान के लिए छत्तीसगढ़ में 6 जुलाई से ‘रोका-छेका‘ अभियान लाया जाने वाला है। (Wikimedia Commons)
Published on
2 min read

 मानसून के दौरान फसलों को आवारा मवेशी (Stray cattles) बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं। इन मवेशियों से होने वाले नुकसान के लिए छत्तीसगढ़ में 6 जुलाई से विशेष अभियान चलाया जाने वाला है, जिसे ‘रोका-छेका‘ अभियान नाम दिया गया है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों, किसानों, सरपंचों, ग्राम पटेलों, गौठान समितियों और अधिकारियों से गांव में 6 से 17 जुलाई तक ‘रोका-छेका’ करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि मानसून के आगमन के साथ गांवों में बोनी और रोपा का काम भी शुरू हो गया है। ऐसे में फसलों की रखवाली भी जरूरी है। अब ‘रोका-छेका’ का समय आ गया है। ‘रोका-छेका’ से आवारा मवेशियों से फसलों को बचाने में मदद मिलेगी। ‘रोका-छेका’ के लिए गांवों में मुनादी होगी, गौठानों में पशुओं के लिए चारे-पानी की व्यवस्था रहेगी।

मुख्यमंत्री बघेल ने अपने निवास कार्यालय में गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को राशि के वितरण के लिए आयोजित कार्यक्रम में 18.47 करोड़ रूपये ऑनलाइन ट्रांसफर किए। इस राशि में 15 जून से 30 जून तक गौठानों में पशुपालक ग्रामीणों, किसानों, भूमिहीनों से क्रय किए गए 2.52 लाख क्विंटल गोबर के एवज में 5.05 करोड़ रूपए, गौठान समितियों को 7.79 करोड़ रूपए और महिला समूहों को 5.53 करोड़ रूपए की लाभांश राशि वितरित की गई।

मानसून के दौरान फसलों को आवारा मवेशियों से होने वाले नुकसान के लिए छत्तीसगढ़ में 6 जुलाई से ‘रोका-छेका‘ अभियान लाया जाने वाला है। (Wikimedia Commons)
गांधी परिवार ने अपने ही पूर्व PM को नहीं दिया सम्मान: P. V. Narasimha के पोते



मुख्यमंत्री ने किसानों से धान के साथ-साथ खरीफ की अन्य फसलों का रकबा बढ़ाने का आग्रह करते हुए कहा कि आज छत्तीसगढ़ में सभी फसलों का अच्छा मूल्य मिल रहा है। किसानों को धान के अलावा खरीफ की अन्य फसलें भी लेनी चाहिए। खाद-बीज की कमी नहीं होने दी जाएगी। हमारे गौठानों में भी पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद उपलब्ध हैं। किसानों को खरीफ सीजन में ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद और जैविक कीटनाशक का उपयोग करने की अपील की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहलाता रहा है। पिछले खरीफ मार्केटिंग सीजन में छत्तीसगढ़ ने केंद्रीय पुल में न सिर्फ सबसे ज्यादा योगदान दिया था, बल्कि देशभर में धान बेचने वाले कुल किसानों में छत्तीसगढ़ के किसानों की संख्या सबसे ज्यादा थी। पिछले साल 107 लाख 53 हजार मीट्रिक टन धान खरीदा गया था। लगभग 24 लाख किसानों ने धान बेचा था। (IANS/RR)

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com