Mangal Grah पर जीवन संभावनाओं के और करीब वैज्ञानिक!

Mangal Grah पर जीवन संभावनाओं के और करीब वैज्ञानिक! [Wikimedia Commons]
Mangal Grah पर जीवन संभावनाओं के और करीब वैज्ञानिक! [Wikimedia Commons]

न्यूज़ग्राम हिन्दी: Mangal Grah पर जीवन होने की संभावनाओं को दिन प्रतिदिन बल मिलता जा रहा है। इसी बीच वैज्ञानिकों का ये मानना कि इस ग्रह पर कभी जल का स्त्रोत था, इससे जुड़ी उम्मीद सही साबित होती जा रही है। हाल ही में नए शोध के दौरान 'सूखी झील' (Dry Lake Beds) के होने के सबूतों ने इस बात को और पुख्ता कर दिया है कि इस लाल ग्रह (Red Planet) पर कभी बहुत ज्यादा मात्रा में जल था।

Mangal Grah पर सूखी झील होने का सबूत  Jurong Rover ने दिया है

मंगल ग्रह (Mars Planet) पर सूखी झील होने के सबूत चीन के जुरोंग रोवर (Jurong Rover) ने दिया है। इस रोवर ने ऐसे सबूत इकट्ठे किये हैं जिससे कि इस बात की पुष्टि होती है कि मंगल ग्रह पर पानी अनुमान से भी बहुत पहले का है। यहाँ बता दें कि यह जुरोंग रोवर 15 मई, 2021 को मंगल ग्रह के उत्तरी गोलार्ध पर एक मैदान में लैंड किया था। इस मैदान को यूटोपिया प्लैनिटिया (Utopia Planetia) के नाम से जाना जाता है।

इससे पहले 1976 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने वाइकिंग-2 (Viking 2) लैंडर को यूटोपिया प्लैनिटिया पर उतारा था। 2021 में शुरू किये गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य मंगल ग्रह से ऐसे प्राचीन सबूत खोजना था जिससे कि ग्रह पर जीवन के होने की संभावना की पुष्टि हो सके। बीते महीनों में रोवर ने खनिजों, पर्यावरण और मैदान में फैले पानी और बर्फ की जांच करते हुए आँकड़े जुटाए हैं।

इन आकड़ों के आधार पर ही इस बात की पुष्टि की जा रही है कि यूटोपिया प्लैनिटिया में पहले पानी था। वैज्ञानिकों का हमेशा से ही मानना रहा है कि कई अरब साल पहले मंगल ग्रह एक गरम और पानी से भरपूर ग्रह था जो समय के साथ बर्फीले रेगिस्तान के रूप में बदल गया। 'अमेजोनियन युग' (Amazonian Era) से बुलाए जाने वाले इस युग को वैज्ञानिक 3 अरब साल पहले का बताते हैं, जोकि मंगल के पर्यावरण के लिए एक बुरा समय था।

जुरोंग द्वारा जुटाए गए आंकड़ों को खगोल वैज्ञानिकों ने बड़े ध्यान से विश्लेषण किया जिसमें उन्हें हाइड्रैटेड सिलिका (Hydrated Silica) और सल्फेट्स (Sulphates) भी प्राप्त हुए हैं। इस शोध का लेखन करने वाले सदस्यों में प्रमुख लेखक यांग ने कहा कि इन हाइड्रैटेड खनिजों का मिलना इस बात का सबूत है कि इस ग्रह पर पानी था।

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