5 राज्यों के चुनाव जैसे-जैसे पास आ रहे हैं वैसे-वैसे राजनीतिक दल चुनाव जीतने के लिए अपनी-अपनी रणनीति बना रहे हैं। सोमवार को नंबर बसपा(Bahujan Samaaj Party) अध्यक्ष मायावती का था जिन्होंने दलितों का मुद्दा उठाकर अपना पारम्परिक वोटबैंक साधने की कोशिश की।
देश के संविधान के निर्माता बाबासाहेब अंबेडकर(Bhimrao Ambedkar) की 65वीं पुण्यतिथि पर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने दो अन्य राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए अपनी पार्टी की योजनाओं को भी साझा किया।
उन्होंने कहा, "उत्तराखंड में, बसपा अपने दम पर और पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन में सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी," उन्होंने विश्वास जताया कि उनकी पार्टी उत्तराखंड में बेहतर प्रदर्शन करेगी और पंजाब में एक मजबूत गठबंधन सरकार बनाएगी।
बीआर अंबेडकर को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन अपना पूरा जीवन दलित और वंचित वर्गों को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए समर्पित कर दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि देश में ऐसी कई संकीर्ण और जातिवादी मानसिकता वाली पार्टियां और संगठन हैं जिन्होंने हमेशा अंबेडकर के लिए "गलत सम्मान"(False Respect) दिखाते हुए मानवीय दृष्टिकोण का विरोध किया है। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा और अन्य दलों पर दलितों को संविधान में निहित उनके कानूनी अधिकारों का पूरा लाभ नहीं देने का आरोप लगाया।
मायावती ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए आगामी चुनावो में बसपा के अच्छे प्रदर्शन का दम भरा है। (Wikimedia Commons)
मायावती ने बिना नाम लिए हुए भीम आर्मी के प्रमुख व आजाद समाज पार्टी के मुखिया चन्द्रशेखर(Chandrashekhar) पर हमला बोला और कहा कि सड़कों पर उतरने से नहीं सत्ता परिवर्तन से संविधान बचेगा। उन्होने कहा कि संविधान के अनुसार सरकारें नहीं चलने का एकमात्र उपाय उन्हें सत्ता से बाहर कर देना है। तभी आप संविधान के अनुसार काम कर सकते हैं। सड़कों पर आने से काम नहीं चलेगा, सत्ता बदलने से काम नहीं चलेगा। सत्ता परिवर्तन होगा तो संविधान की रक्षा होगी। बाबासाहेब अंबेडकर के विरोधी लोग सत्ता में हैं तो हम क्या कर लेंगे।
उन्होंने अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी पर भी हमला बोलते हुए कहा, "लोग जानते हैं कि उनके शासनकाल में गुंडागर्दी और माफिया चरम पर थे।"
उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी के दावों के विपरीत, राज्य में कमजोर वर्गों के खिलाफ हर रोज अत्याचार की खबरें आती हैं।
उन्होंने कहा कि बाबासाहेब अम्बेडकर ने "इन वर्गों को कानूनी अधिकार दिए, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों की जातिवादी मानसिकता के कारण, उन्हें इन अधिकारों का पूरा लाभ नहीं मिल सका"।
उन्होंने कहा, "बसपा का मुख्य लक्ष्य अंबेडकर के समतामूलक समाज के विचार और स्वाभिमान के अभियान को आगे बढ़ाना है और इसे कम करके नहीं आंका जाना चाहिए। यह कारवां न रुकने वाला है और न झुकने वाला है।"
यह भी पढ़ें- अलर्ट पर अयोध्या!
उन्होंने कहा कि कुछ संगठन अपने स्वार्थ के लिए आंबेडकर के आंदोलन को कमजोर करने में लगे हैं, खासकर दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों और अन्य हाशिए के वर्गों के वोटों को विभाजित करके, उन्होंने कहा।
Input-IANS ; Edited By- Saksham Nagar