108 वर्षों के वनवास के बाद काशी पहुंची माँ अन्नपूर्णा की मूर्ति, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने की स्थापना

माता अन्नपूर्णा की पूजा करते यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ।(Twitter, Yogi Adityanath)
माता अन्नपूर्णा की पूजा करते यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ।(Twitter, Yogi Adityanath)
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लगभग 108 वर्षों के वनवास के बाद आज माँ अन्नपूर्णा(Goddess Annapurna) की प्राचीन मूर्ति काशी पहुंच गई। विश्वनाथ मंदिर परिसर में गाड़ी से पहुंची मूर्ति को गाड़ी से उतारकर पालकी पर रखा गया। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ(Yogi Adityanath) ने वैदिक मंत्रोचारण के साथ मूर्ति की आगवानी की। सीएम ने स्वयं पालकी उठाई और उसे स्थापना स्थल तक पहुंचाया। मूर्ति को विश्वनाथ मंदिर के ईशान कोण में स्थापित किया गया है। मुख्यमंत्री योगी के हाथों मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई। कनाडा से काशी पहुंची माता अन्नपूर्णा की प्राचीन मूर्ति को बाबा विश्वनाथ के विशेष रजत सिंहासन पर विश्वनाथ धाम में प्रवेश कराया गया।

इस मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ(Yogi Adityanath) ने कहा की आज 108 वर्ष बाद अगर माँ अन्नपूर्णा की मूर्ति अगर काशी(Kashi) वापस आई है तो इसका पूरा श्रेय हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) को जाता है। पहले भारत की मूर्तियां तस्करी के माध्यम से दुनियाभर में भेज दी जाती थी लेकिन आज उन्हें ढूंढ-ढूंढ कर भारत लाया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा की यह प्रधानमंत्री जी के प्रयासों का नतीजा है की आज दुनियाभर से 156 मूर्तियां आज भारत वापस लाई जा रही हैं। भारत की संस्कृति की रक्षा कैसे की जाती है प्रधानमंत्री इसका जिवंत उदाहरण है। उन्होंने बीते साढ़े सात वर्षों से अपने विचार और आचार से यह करके माता

माता अन्नपूर्णा की प्राचीन मूर्ति। (Twitter)

काशी विश्वनाथ मंदिर(Kashi VIshwanath Temple) में दर्शन-पूजन के लिए रविवार को भक्तों की भीड़ अचानक बढ़ गयी थी। गोदौलिया प्रवेश द्वार से गर्भगृह तक कई लाइन लगी थी। ऐसी भीड़ विशेष अवसरों व त्योहारों के समय दिखती है। वहीं, क्षेत्र के दुकानदारों का कहना है कि बाहर के भक्त अधिक थे।

दिल्ली से 11 नवंबर को रवाना होने के बाद काशी पहुंचने के दौरान मां की प्रतिमा अलीगढ़, लखनऊ, अयोध्या, जौनपुर समेत यूपी के 18 जिलों से गुजरी। दिल्ली से काशी आई माता की प्रतिमा का सोमवार को नगर भ्रमण के दौरान जगह-जगह स्वागत किया गया। जगह-जगह पुष्प वर्षा, डमरू दल, घंटा घड़ियाल बजाकर माता की रास्ते भर आरती उतारी गई।

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बलुआ पत्थर से बनी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा 18वीं सदी की बताई जाती है। मां एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में चम्मच लिए हुए हैं। प्राचीन प्रतिमा कनाडा कैसे पहुंची, यह राज आज भी बरकरार है। लोगों का कहना है कि दुर्लभ और ऐतिहासिक सामग्रियों की तस्करी करने वालों ने प्रतिमा को कनाडा ले जाकर बेच दिया था। काशी के बुजुर्ग विद्वानों को भी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा के गायब होने की जानकारी नहीं है।

Input-IANS; Edited By- Saksham Nagar

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