शौर्य की धरती के नाम से जानी जाने वाली झांसी अब नई इबारत लिखने को तैयार है। स्ट्रॉबेरी की खेती इस कहानी की मुख्य नायक होगी। यूपी के झांसी की धरती स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए मुफीद है। इस खेती को बढ़ावा देने के लिए झांसी में 'स्ट्रॉबेरी फेस्टिवल' (Strawberry festival) का आयोजन किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 17 जनवरी से 16 फरवरी तक चलने वाले इस फेस्टिवल (strawberry festival) का वर्चुअल शुभारंभ करेंगे। इस फेस्टिवल के दौरान झांसी सहित समूचे बुंदेलखंड में इसकी खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा।
झांसी के जिलाधिकारी आंद्रा वामसी के अनुसार, स्ट्रॉबेरी की खेती के माध्यम से किसान बेहतर आमदनी हासिल कर सकते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निजी रूप से प्रदेश के पिछड़े इलाकों में शुमार बुंदेलखंड के विकास के लिए बेहद संजीदा हैं। वह चाहते हैं कि बुंदेलखंड में हर तरफ खुशी हो। उद्योग से लेकर खेती किसानी में भी तरक्की हो।
स्ट्रॉबेरी की खेती के माध्यम से किसानों को बेहतर आमदनी का एक नया जरिया मिल सकेगा। (Pixabay)
वह बताते हैं कि बुंदेलखंड की धरती पर पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू हुई है। यह क्षेत्र कभी फलों के लिए नहीं जाना गया। झांसी जनपद दलहन, तिलहन और अदरक की पैदावार के लिए जाना जाता है। पहली बार बिना किसी सरकारी मदद के झांसी में दो परिवारों ने इस तरह की पैदावार में सफलता हासिल की है। इन परिवारों ने ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकल के माध्यम से इस क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी की खेती करके दिखा दिया कि झांसी और बुंदेलखंड में स्ट्रॉबेरी उगाई जा सकती है। झांसी में यदि इसे बढ़ावा मिला तो किसानों को बेहतर आमदनी का एक नया जरिया मिल सकेगा।
जिलाधिकारी के अनुसार झांसी के दो परिवारों ने जब स्ट्रॉबेरी की खेती कर यह दिखाया तो हमने उनसे प्रेरणा लेते हुए झांसी में स्ट्रॉबेरी फेस्टिवल (strawberry festival) का आयोजन करने का फैसला किया। इस फेस्टिवल के शुभारंभ में प्रमुख सचिव उद्यान भी मौजूद रहेंगे। डीएम आंद्रा वामसी बताते हैं कि स्ट्रॉबेरी फेस्टिवल (strawberry festival) के दौरान वर्कशाप आयोजित कर लोगों को स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। लोगों को बताया जाएगा कि स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे करें और इसकी खेती करने से उनकी आमदनी में कैसे इजाफा होगा।
बुंदेलखंड की धरती पर पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू हुई है। (Pixabay)
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स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले हैप्पी चावला ने आईएएनएस को बताया कि डेढ़ एकड़ में सैंपलिंग की है, जिसमें करीब 3 लाख एकड़ का खर्चा आया है। इसमे अनुमानित 10 हजार किलो का उत्पादन होगा। जिसका रेट 100 किलो मंडी में आएगा। अगर ढंग से इसका उतपादन करके बेंचा जायेगा, तो दाम ठीक मिलेंगे। इसकी खेती से किसानों को ठीक मुनाफा होगा। स्ट्रॉबेरी की खेती के जानकार गौरव गर्ग के मुताबिक झांसी और बुंदेलखंड के किसानों की बदहाली को स्ट्रॉबेरी की खेती खत्म कर सकती है। 70 से 80 रुपए में मिलने वाले स्ट्रॉबेरी के एक पौधे से करीब एक किलो स्ट्रॉबेरी मिलती है। झांसी में जिन दो परिवारों ने जो स्ट्रॉबेरी उगाई है, उसका स्वाद महाबलेश्वर की स्ट्रॉबेरी (Mahabaleshwar strawberry) जैसा ही है। यदि झांसी और बुंदेलखंड में स्ट्रॉबेरी की खेती को बढ़ावा दिया गया तो यह किसानों के हित में होगा। (आईएएनएस)