सुप्रीम कोर्ट : महिला अधिकारियों संग भेदभाव करने के लिए सेना की आलोचना की

सुप्रीम कोर्ट : महिला अधिकारियों संग भेदभाव करने के लिए सेना की आलोचना की
Published on
2 min read

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने गुरुवार को कहा "हमारे समाज की संरचना पुरुषों द्वारा पुरुषों के लिए बनाई गई है" और अगर यह नहीं बदलता है तो महिलाओं को समान अवसर नहीं मिल पाएगा। कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया था कि वह एक महीने के भीतर महिला सेना अधिकारियों को स्थायी कमीशन (Commission) (पीसी) देने पर विचार करें और तय प्रक्रिया का पालन करने के बाद 2 महीने के भीतर पीसी को अनुमति प्रदान करें।

पिछले साल फरवरी में अपने एक ऐतिहासिक फैसले में शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि सेना में महिला अधिकारियों (Women officers) को उनके पुरुष समकक्षों के साथ स्थायी कमीशन दी जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 2 महीने के भीतर पीसी को अनुमति प्रदान करें। (Wikimedia commons)

साठ महिला अधिकारियों ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया कि सेना में उन्हें शेप-1 फिटनेस में विफल रहने के आधार पर पीसी से वंचित कर दिया गया है।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ (D. V. Chandrachud) ने माना कि सेना के चयनात्मक एसीआर मूल्यांकन और शेप-1 मानदंड का देर से क्रियान्वयन पीसी की मांग करने वाली महिला अधिकारियों संग भेदभाव करती है और उन्हें असंगत रूप से प्रभावित करती है।

शीर्ष अदालत ने अप्रत्यक्ष रूप से महिला अधिकारियों संग भेदभाव (Discrimination) करने के लिए सेना की आलोचना की और कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में देश का नाम रोशन करने वाली महिला अधिकारियों की अनदेखी की गई है। (आईएएनएस-SM)

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com