आज सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने दिल्ली में प्रदुषण को लेकर बहाना बना रही दिल्ली सरकार(Delhi Govern
ment) को कड़ी फटकार लगाईं। मुख्य न्यायधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ दिल्ली में बढ़ते प्रदुषण को लेकर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा, "दिल्ली में प्रदुषण का एक बड़ा कारण पड़ोसी राज्यों से आ रहा पराली का धुंआ है। ऐसे में दिल्ली सरकार पराली जला रहे किसानो को प्रदुषण में मुख्य रूप से योगदान देने का आरोप लगाती है।
पीठ ने इसके जवाब में केंद्र सरकार(Central Government) के हलफनामे का हवाला देते हुए कहा की सर्दियों में प्रदुषण(Pollution) में पराली का योगदान सिर्फ चार प्रतिशत होता है। केंद्र के हलफनामे के अनुसार, पराली जलाने से राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर गंभीर नहीं होता, बल्कि पीएम 2.5 और पीएम 10 में केवल 11 प्रतिशत का योगदान होता है।
पीठ ने अधिवक्ता मेहरा से पूछा "सड़कों की सफाई हेतु आपके पास कितनी मशीने हैं ?
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब देते हुए कहा की वे दिल्ली प्रदुषण कम करने के लिए कुछ भी करेंगे। (Wikimedia Commons)
जैसे ही अधिवक्ता मेहरा इस सवाल का जवाब दे रहे थे, न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, "इस तरह के कमज़ोर बहाने हमें आपके राजस्व ऑडिट करने पर मजबूर कर देंगे। जो आप कमा रहे हैं और अपनी लोकप्रियता के नारों पर खर्च कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने मेहरा से कहा, "हम चाहते हैं आप कुछ सकारात्मक कदम उठाये, आप मशीनों की संख्या कैसे बढ़ाएंगे ?"
पीठ ने मेहरा से कहा कि वे नगर निगमों पर बोझ न डालें और दिल्ली सरकार से वायु प्रदुषण पर नियंत्रण के लिए उठाये जा रहे कदमो का संक्षिप्त विवरण माँगा।
मेहरा ने सड़क की सफाई की दिशा में किए गए उपायों पर कहा कि नगर निगमों को इसका विवरण देने के लिए एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा जा सकता है। निर्देश मिलने के बाद मेहरा ने पीठ को बताया क69 मशीनें (मैकेनिकल रोड स्वीपर मशीन) हैं और कहा कि सरकार वायु प्रदूषण को रोकने के लिए युद्धस्तर पर काम करेगी।
शीर्ष अदालत एक नाबालिग आदित्य दुबे की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पराली जलाने के मामले पर निर्देश देने की मांग की गई थी, जिससे राजधानी में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।
Input-IANS; Edited By- Saksham Nagar