सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों से  मांगा जवाब

राष्ट्रमंडल खेल घोटाले से प्रभावित हुआ देश का विकास-दिल्ली हाईकोर्ट  [pixabay]
राष्ट्रमंडल खेल घोटाले से प्रभावित हुआ देश का विकास-दिल्ली हाईकोर्ट [pixabay]
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देश में पिछले 11 महीने से चल रहा किसान आंदोलन ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा है की किसानों को विरोध करने का अधिकार है पर वे सड़कों को बंद नहीं कर सकते। नोएडा निवासी एक महिला द्वारा याचिका दायर किया गया था जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य किसान संघों से जवाब मांगा है। की

हालांकि किसान संगठनों का कहना है की उन्होंने नहीं, पुलिस ने रोड ब्लॉक किया है। साथ ही किसानों ने कहा है की वे रोड से हट जाएंगे यदि उन्हें रामलीला मैदान या जंतर मंतर पर धरना जारी रखने की अनुमति मिल जाएगी।


किसानों ने कहा है की वे रोड से हट जाएंगे यदि उन्हें रामलीला मैदान या जंतर मंतर पर धरना जारी रखने की अनुमति मिल जाएगी। (Wikimedia Commons)

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गणतंत्र दिवस की हिंसा का हवाला देते हुए कहा कि किसान संघों के वादे के बावजूद ऐसा हुआ। किसानों ने 26 जनवरी को होने वाली ट्रैक्टर रैली के दौरान कोई हिंसा नहीं होने का वचन दिया था।

पीठ में न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश ने किसान समूह के वकील से कहा कि उन्हें किसी भी तरह से आंदोलन करने का अधिकार हो सकता है लेकिन सड़कों को इस तरह अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, "लोगों को सड़कों पर जाने का अधिकार है, इसे अवरुद्ध नहीं किया जा सकता।"

पीठ ने एसकेएम और अन्य किसान संघों को मामले में चार सप्ताह में अपना जवाब माँगा है।मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी।

Input: IANS; Edited By: Manisha Singh

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