हर छह महीने में जांच करवाना चाहिये कोविड से ठीक होने के बाद भी : शोध

कोरोना वायरस तीव्र मायोकार्डियल चोट और मनुष्य के हृदय प्रणाली को क्षति भी पहुंचा सकता है। (pixabay)
कोरोना वायरस तीव्र मायोकार्डियल चोट और मनुष्य के हृदय प्रणाली को क्षति भी पहुंचा सकता है। (pixabay)

पूरी दुनिया में कोरोना का कहर अभी भी जरी है और कोविड ने गैर-संचारी रोगों के रोगियों के लिए जटिलताओं और स्वास्थ्य जोखिमों को कई गुना बढ़ा दिया है। वैसे तो लगभग 75-80 प्रतिशत कोविड रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती है। वे घर पर ही इलाज से ठीक हो सकते हैं, लेकिन यह कोरोना संक्रमण किसी भी रोगी के ऊपर लंबे समय तक दुष्प्रभाव छोड़ सकता है। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां कोविड-19 के लक्षण कई महीनों से बने हुए हैं। यह वायरस इतना खतरनाक है कि यह फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने के अलावा, वायरस तीव्र मायोकार्डियल चोट और मनुष्य के हृदय प्रणाली को पुरानी क्षति भी पहुंचा सकता है।

कार्डिएक अरेस्ट से पीड़ित कोविड-19 रोगियों की मृत्यु की संभावना उन लोगों की तुलना में अधिक होती है, जो इससे संक्रमित नहीं होते हैं, यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार यह बात सामने आई है । और विशेष रूप से महिलाओं में इसी कारण से मृत्यु का खतरा अधिक होता है। कोविड के परिणाम स्वरूप हृदय की मांसपेशियों में सूजन हो सकता है जिसे मायोकार्डिटिस के रूप में जाना जाता है । यदि समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह हृदय की विफलता का कारण बन सकता है।

आप को बता दे कि पहले से हृदय रोग से पीड़ित लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। ठीक होने की अवधि के दौरान बड़ी संख्या में रोगियों को कार्डियक अरेस्ट हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर मृत्यु हो जाती है। भले ही कोविड वायरस कम हो जाए, लेकिन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया अति-सक्रिय बनी रहती है यह विशेषज्ञ सुझाव देते हैं । यह अक्सर अन्य अंगों पर हमला करती है। यह देखा गया है कि इनमें से लगभग 80 प्रतिशत रोगियों को कोरोना पॉजिटिव परीक्षण के 2-3 सप्ताह बाद दिल का दौरान पड़ा है।

कोविड ने गैर-संचारी रोगों के रोगियों के लिए जटिलताओं और स्वास्थ्य जोखिमों को कई गुना बढ़ा दिया है। (PIXABAY)

जागरूकता की कमी के कारण, कभी-कभी, हम कोविड के दौरान या कोविड से ठीक होने के बाद भी कुछ हृदय संबंधी समस्याओं को रोकने में विफल होते हैं। क्योंकि हम कुछ चेतावनी के संकेतों को नजरअंदाज कर देते हैं , किसी को कोविड-19 हो जाने के बाद, यदि वह रोगी तेज दिल की धड़कन या धड़कन का अनुभव कर रहा है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है क्योंकि हृदय गति में एक अस्थायी वृद्धि भी कई अलग-अलग चीजों का संकेत दे सकती है, जिसमें बहुत बीमार होने के बाद भी शामिल है।

आप को बता दे कि पोट्स एक तंत्रिका से संबंधी समस्या है, और यह सीधे तौर पर हृदय संबंधी समस्या नहीं है। यह तंत्रिका तंत्र के हिस्से को प्रभावित करता है और हृदय गति और रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न कर सकता है। खड़े होने पर सिंड्रोम भी तेजी से दिल की धड़कन पैदा कर सकता है।

कई विशेषज्ञों के अनुसार, शुगर और उच्च रक्तचाप वाले मरीजो को जिनमे पहले से मौजूद उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों में ईसीजी, एक्स-रे चेस्ट और लिपिड प्रोफाइल जैसे हृदय परीक्षण करवाना चाहिये और हर छह महीने में दोहराए जाने चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि हृदय को कोई नुकसान हुआ है या नहीं। कोविड रिकवरी के बाद दिल का दौरा पड़ने के कई उदाहरणों ने हृदय स्वास्थ्य की लगातार निगरानी के महत्व पर जोर दिया है। पोषक तत्वों से युक्त स्वस्थ आहार का पालन करना चाहिए । शारीरिक व्यायाम के लिए समय निकालना चाहिये । यहां तक कि छोटे से छोटे लक्षणों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए और तुरंत एक विशेषज्ञ चिकित्सक को दिखाना चाहिए।

Input: IANS; Edited By: Pramil Sharma

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