विश्वप्रसिद्ध “बदरीनाथ धाम” के कपाट खुले|

ग्रीष्म काल में निरंतर भगवान बदरीविशाल की पूजा अर्चना होगी। (Wikimedia Commons)
ग्रीष्म काल में निरंतर भगवान बदरीविशाल की पूजा अर्चना होगी। (Wikimedia Commons)
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श्री बदरीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कपाट मंगलवार को वैदिक मंत्रोचार एवं शास्त्रोक्त विधि-विधान से खोल दिये गए। धाम के कपाट मेष लग्न पुष्य नक्षत्र में प्रात 4 बजकर 15 मिनट पर खोले गए। इसके साथ ही अब चारों धामों के कपाट खोले जा चुके हैं। ग्रीष्म काल में निरंतर भगवान बदरीविशाल की पूजा अर्चना होगी।

इस अवसर पर मंदिर (Temple) तथा मंदिर मार्ग को श्री बदरी-केदार पुष्प सेवा समिति द्वारा लगभग 20 क्विंटल फूलों से सजाया गया थ। तड़के तीन बजे से ही कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गयी, श्री कुबेर जी बामणी गांव से लक्ष्मी द्वार से मंदिर प्रांगण पहुंचे। श्री उद्धव जी भी मुख्य द्वार से अंदर पहुंचे। तड़के 4 बजकर 15 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुले इस अवसर पर कुछ ही लोग अखंड ज्योति के गवाह बने।

रावल जी द्वारा गर्भगृह में प्रवेशकर मां लक्ष्मी को उनके परिक्रमा स्थित मंदिर में विराजमान किया, तत्पश्चात भगवान के सखा उद्धव जी एवं देवताओं के खजांची श्री कुबेर जी मंदिर गर्भगृह में विराजमान हो गये। डिमरी पंचायत प्रतिधियों द्वारा भगवान बदरीविशाल के अभिषेक हेतु राजमहल नरेन्द्र नगर से लाये गये तेल कलश( गाडू घड़ा) को गर्भ गृह में समर्पित किया गया।

इसके साथ ही भगवान को माणा गांव के महिला मंडल द्वारा शीतकाल में कपाट बंद करते समय ओढ़ाया गया घृत कंबल उतारा गया तथा प्रसाद स्वरूप बांटा गया। भगवान के निर्वाण दर्शन के बाद अभिषेक किया गया। तत्पश्चात भगवान बदरीविशाल का श्रृंगार किया गया। इस तरह निर्वाण दर्शन से श्रृंगार दर्शन की प्रक्रिया पूरी होती है।

इस संपूर्ण पूजा प्रक्रिया में रावल, डिमरी भीतरी वडुवा, आचार्यों, हक हकूकधारियों, तीर्थ पुरोहितों की भूमिका रही। बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने पर प्रथम महाभिषेक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से जनकल्याण एवं आरोग्यता की भावना से समर्पित किया गया है।

बदरीनाथ धाम| (Wikimedia Commons)

श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) ने सभी श्रद्धालुजनों को बधाई दी है तथा सभी के आरोग्यता की कामना की।

गौरतलब है कि कोरोना के मद्देनजर चारधाम (Char Dham) यात्रा स्थगित है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कहा है कि लोग अपने घरों में रहकर पूजापाठ करें। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कपाट खुलने पर प्रसन्नता जताई। उन्होंने कहा कि कोरोना की समाप्ति के बाद चारधाम यात्रा फिर शुरू होगी।

उत्तराखंड के पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर बधाई दी है। जावलकर ने कहा कि श्री बदरीनाथ धाम को आध्यात्मिक हब के रूप में विकसित करने हेतु शासन के स्तर पर प्रयास जारी हैं। कई संस्थायें इसके लिए आगे आ रही हैं।

गढ़वाल आयुक्त और उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने कहा कि श्री बदरीनाध धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारों धामों के कपाट खुलने पर प्रसन्नता जताई।

कहा अभी यात्रियों को यात्रा की अनुमति नहीं है लेकिन स्थितियां सामान्य होने पर यात्रा को चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जा सकता है।

देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह ने बताया कि देवस्थानम बोर्ड द्वारा मंदिर परिसर,बस टर्मिनल तथा स्वागत कार्यालय, आवासों में पर्याप्त सैनिटाइजेशन किया है। कपाट खुलने के दौरान कोविड बचाव मानकों का पालन हुआ। मास्क पहनना, सोशियल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजर, थर्मल स्क्रीनिंग का प्रयोग हो रहा है।

देवस्थानम बोर्ड के डॉ. हरीश गौड़ ने जानकारी दी कि श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही मंदिर परिक्रमा स्थित मंदिरों माता लक्ष्मी मंदिर, हनुमान जी, गणेश जी, श्री आदि केदारेश्वर, श्री शंकराचार्य मंदिर, माता मूर्ति मंदिर माणा तथा पंच बदरी में श्री भविष्य बदरी मंदिर के कपाट भी खुल गये हैं, जबकि चारधामों में से श्री यमुनोत्री धाम के कपाट 14 मई, श्री गंगोत्री धाम के 15 मई, श्री केदारनाथ धाम के कपाट 17 मई को खुल चुके हैं। तृतीय केदार तुंगनाथ जी एवं चतुर्थ केदार रूद्रनाथ जी के कपाट भी 17 मई को खुल गये हैं। द्वितीय केदार श्री मदमहेश्वर जी के कपाट 24 मई को खुल रहे हैं जबकि श्री हेमकुंड गुरूद्वारा साहिब तथा लोकपाल श्री लक्ष्मण मंदिर के कपाट खुलने की तिथि अभी तय नहीं है। (आईएएनएस-SM)

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