धर्म और विज्ञान का सत्ता संघर्ष है ‘प्रमेय’

बेस्ट सेलर किताबों को लिख चुके युवा लेखक भगवंत अनमोल अपनी नई किताब प्रमेय (Pramey) के साथ हाजिर हैं। (सांकेतिक चित्र, Pixabay)
बेस्ट सेलर किताबों को लिख चुके युवा लेखक भगवंत अनमोल अपनी नई किताब प्रमेय (Pramey) के साथ हाजिर हैं। (सांकेतिक चित्र, Pixabay)
Published on
3 min read

बेस्ट सेलर किताबों को लिख चुके युवा लेखक भगवंत अनमोल (Author Bhagwant Anmol) अपनी नई किताब प्रमेय (Pramey) के साथ हाजिर हैं। किताब एक ऐसे युवा की कहानी है जो धर्म और अध्यात्म के बीच में वैज्ञानिक सोच के साथ खड़ा है। कहानी में जहां दर्शनशास्त्र का पुट मिलेगा, वहीं आज के समाज से इसे जोड़ने के लिए प्रेम कहानी को भी शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रमेय में धर्म और विज्ञान का सत्ता संघर्ष देखने को मिलेगा। भगवंत अनमोल ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में बताया, "प्रमेय में अध्यात्म और दर्शन के तर्कों का मिश्रण है। साथ ही साथ जो इसकी खास बात यह है कि धर्म और विज्ञान का सत्ता संघर्ष। इसे साइंस फिक्शन भी कहा जा सकता है। यह उपन्यास साइंस फिक्शन, दर्शन और वैचारिकता का एक अद्भुत मिश्रण है। यह एक ऐसे युवा की कहानी है, जिसकी परवरिश धार्मिक माहौल में हुई है और वह प्रौद्योगिकी की पढ़ाई कर रहा है। जहां एक तरफ तकनीकी यह बताती है कि इस ब्रह्मांड में ईश्वर है ही नहीं तो दूसरी तरफ उसके परिवार ने बचपन से यह सिखाया है कि दुनिया की हर एक वस्तु सिर्फ ईश्वर की देन है। उसका मन इस द्वंद्व में फंसकर रह जाता है। इसी द्वन्द से निकलने की छटपटाहट है प्रमेय।"

उन्होंने कहा, "पढ़ाई के दौरान सूर्यांश का दूसरे मजहब की लड़की से प्रेम हो जाता है। इसी कथानक के आधार पर मैंने विज्ञान, अध्यात्म और धर्म के तर्कों के सहारे ब्रह्मांड और ईश्वर की परिकल्पना को समझने का प्रयास किया है। जहां तक रही बात यह विषय चुनने की तो चूंकि मेरे घर का धार्मिक माहौल है और मैं विज्ञान का छात्र हूं तो मुझे हमेशा यह प्रश्न परेशान करता रहा है कि वे वैज्ञानिक जिन्होंने ढंग से अब तक सौरमंडल के बाहर कदम भी नहीं रखा है। उन्होंने ईश्वर को नकार दिया है। ये कैसी जल्दबाजी है। वहीं दूसरी तरफ हर धर्म, मजहब, रिलीजन के ठेकेदारों ने अब तक ढंग से सृष्टि को समझा ही नहीं है, आखिर यह सृष्टि है क्या।"

अनमोल ने कहा, "आप भले नए-नए विषयों पर लिख डालें लेकिन जीवन, दर्शन और विचार अगर गंभीरता से शामिल किए जाए तो उस किताब को साहित्य से अलग कर पाना मुश्किल होता है। (IANS)

उन्होंने कहा कि किसी भी नए विषय पर पुस्तक लिखने पर मेहनत और शोध तो करना ही पड़ता है। मैं एक साइंस फिक्शन लिखने की सोच रहा था। लेकिन हिंदी साहित्य का नयापन स्वीकार करने के मामले में हाजमा दुरुस्त नहीं है। इसलिए साइंस फिक्शन किताब लिखने से पहले यह भय था, कहीं मैं गांव की टोली में शहर के किसी अबूझ लड़के की तरह अलग थलग तो नहीं पड़ जाऊंगा।

अनमोल ने कहा, "आप भले नए-नए विषयों पर लिख डालें लेकिन जीवन, दर्शन और विचार अगर गंभीरता से शामिल किए जाए तो उस किताब को साहित्य से अलग कर पाना मुश्किल होता है। अपने विचार और दर्शन को समृद्ध करने के लिए मैंने ओशो और सद्गुरु को सुना, गीता पढ़ा और थोड़ा बहुत बाइबिल और कुरआन भी पढ़े। कई विदेशी लेखकों की साइंस फिक्शन किताबें पढ़ी। उसके बाद मैंने इस किताब में वैचारिकता देने की कोशिश की है।"

उन्होंने कहा कि देखिये, धर्म और विज्ञान में सत्ता संघर्ष हिंदी में शायद ही किसी किताब में दिखाया गया हो। अत: यह अपने तरह की अनूठी किताब है। लेकिन नया विषय होने के बावजूद यह हिंदी साहित्य की ही किताब लगती है। पाठक को कतई ऐसा नही लगेगा कि वह हिंदी साहित्य के बाहर की कोई किताब पढ़ रहा है। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि गंभीर से गंभीर पाठक को भी यह किताब सोंचने पर मजबूर कर देगी।

भगवंत अनमोल लोकप्रिय युवा लेखक हैं। इनकी किताब 'जिन्दगी 50-50' और 'बाली उमर' बेस्टसेलर किताबें हैं। भगवंत अनमोल सबसे कम उम्र के लेखक हैं, जिनका उपन्यास जिन्दगी 50-50 कर्नाटक विश्वविद्यालय के परास्नातक के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। (आईएएनएस-SM)

(धर्म, संस्कृति, देश और दुनिया से जुड़े महत्वपूर्ण खबरों के लिए न्यूज़ग्राम हिंदी को फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर फॉलो करें।)

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com