कई कटाक्ष और सच को दर्शाता है ‘बोल रे दिल्ली बोल’ गीत

कैलाश खेर द्वारा गाया हुआ गाना ‘बोल रे दिल्ली बोल’ गीत।
कैलाश खेर द्वारा गाया हुआ गाना ‘बोल रे दिल्ली बोल’ गीत।

By: राधिका टंडन

'बोल रे दिल्ली बोल' कैलाश खेर द्वारा प्रस्तुत किया गया यह गीत कई कटाक्ष और सवालों को लिए है। दिसंबर 2019 में आए इस गीत में झूठे वादों और खोखले कामों पर सवाल किए गए हैं। यह गीत उन सभी भ्रष्ट प्रथाओं और भ्रष्ट राजनेताओं पर कटाक्ष एवं व्यंग के रूप में उभर कर आया है जिन्होंने दिल्ली और दिल्ली वालों को लूटा है।

आप सोचेंगे दिल्ली ही क्यों? यह इसलिए कि 'आम आदमी पार्टी' जिन खोखले वादे और ओछी राजनीति के दम पर सत्ता में आई थी यह गीत मुख्य रूप से उन सभी बातों पर आपका ध्यान केंद्रित करता है। यह बताता है कि 2015 में अरविंद केजरीवाल ने कैसे गुड़ से लदे हुए मीठे वादे किए थे और चुनावों में अपने झूठे गौरव का बखान करने के साथ ही यह बता रहे थे, कि दिल्ली में जिसका शासन है उससे दिल्ली की स्थिति कितनी दयनीय है।

कैलाश खेर की बुलंद आवाज़ और अन्नू रिज़वी के बोल ने इस गीत में मानो क्रांति की नई दिशा दे दी है। इस गीत की शुरुआत ही यमुना के काले सच से होती है कि कैसे यमुना डिटर्जेंट और गन्दगी से घुट-घुट कर दम तोड़ रही है। यह गीत हमें 2012 में हुए क्रांतिकारी आंदोलन 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन'(IAC) की भी याद दिलाता है, कि कैसे अन्ना हज़ारे ने इस देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का प्रण लिया था।

साथ ही साथ उसी मुहीम से एक नेता बनकर निकले अरविन्द केजरीवाल ने कैसे दिल्ली और दिल्ली वालों को लूटा। कहां है वह स्मार्ट सिटी और कहां है स्वच्छ यमुना? और इन वादों पर कब काम होगा? क्यूंकि अभी भी केवल दम तोड़ती यमुना दिख रही है, और अभी भी गरीब, झुग्गियों में रहने पर मजबूर हैं न उनकी कोई सुनवाई है और न ही कोई पूछ है।

"ट्रांसपेरेंसी: पारदर्शिता", मुनीश रायज़ादा द्वारा निर्मित डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ .

यह गीत हमें यह भी याद दिलाता है कि कैसे सर्दियों में दिल्ली स्मॉग में घुट जाती है और प्रदूषण की वजह से कई दिक्कतों का सामना करती है। कैसे सड़कें गड्ढे में तब्दील हो जाती हैं और हर बार जलभराव का सामना करना पड़ता है, यह सब इस गीत में दर्शाया गया है। यह गीत शिक्षा में हो रहे भेदभाव को भी बड़ी बारीकी से प्रस्तुत करता है और यह भी दिखाता है कि जिस गरीब ने दिल्ली को खड़ा किया उसको ही छत, रोटी, पानी के लिए दर दर भटकना पड़ता है।

ठंड में रैन बसेरों का वादा अभी भी फाइलों और पुराने वीडियो में ही कैद है, असल में नहीं। दिल्ली की सड़कों पर अभी भी माँ-बहनों को खौफ का सामना करना पड़ता है, सुरक्षा का तो सवाल ही छोड़ दीजिए। कैलाश खेर का यह गीत असलियत और दिल को झकझोर देने वाले सच से अवगत कराता है और यह गीत डॉ. मुनीश रायज़ादा द्वारा निर्मित डॉक्यूमेंट्री 'ट्रांसपेरेंसी-पारदर्शिता' का एक हिस्सा है।

इस पार्टी के सभी काले सच अब उजागर हो रहे हैं और इनकी बेईमानी का पर्दा खुल चुका है। अब अपने अधिकारों के लिए, अपने शहर के लिए खड़े होने का समय आ चूका है, इस टिप्पणी के साथ यह गीत समाप्त होता है और इस भ्रष्ट सरकार का सामना करने की मुहीम को आगे बढ़ाते हुए दिल्ली को कह रहा है 'बोल रे दिल्ली बोल'।

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