बंद होनी चाहिए लाउडस्पीकर वाली अजान की आवाज!

बंद होनी चाहिए लाउडस्पीकर वाली अजान की आवाज!
बंद होनी चाहिए लाउडस्पीकर वाली अजान की आवाज!
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हिजाब के बाद अजान का मुद्दा देश में जोरो शोरों से चर्चा में बना हुआ है। फिलहाल इस मुद्दे की शुरुआत पुणे से हुई है। जहाँ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने कहा था कि मस्जिदों पर लाउडस्पीकर से अजान का विरोध हनुमान चालीसा बजाकर किया जाएगा। राज ठाकरे ने मुंबई में गुड़़ी पड़वा के मौके पर एक रैली को संबोधित करते हुए राज्य सरकार से कहा था कि वह मस्जिदों में अजान के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बंद कराए। जिसके बाद से सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक राज ठाकरे के बयान की चर्चा हो रही है। इसलिए आज हम लाउडस्पीकर वाली अजान पर विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे।

लाउडस्पीकर अजान और विवाद

राज ठाकरे कोई पहले व्यक्ति नहीं है जिन्होंने लाउडस्पीकर से होने वाली अजान का विरोध किया हो। इसके पहले भी सोनू निगम, अनुराधा पौडवाल जैसी तमाम हस्तियों ने इसका विरोध किया था। आपको बता दे, गायक सोनू निगम ने कुछ साल पहले ट्वीट किया था, 'मैं मुस्लिम नहीं हूं लेकिन रोज सुबह मुझे अजान की आवाज से उठना पड़ता है।' उन्होंने आगे लिखा था, 'आखिर कब भारत से ये जबरन धार्मिक भावना थोपना खत्म होगा? वैसे जब मोहम्मद ने इस्लाम बनाया था तब बिजली नहीं थी।'

सोनू निगम ने ये भी कहा भी कहा था कि, 'मुझे नहीं लगता कि कोई मंदिर या गुरुद्वारा बिजली का इस्तेमाल उन लोगों को जगाने के लिए करते हैं जो उस धर्म का पालन नहीं करते. तो फिर ऐसा क्यों? गुंडागर्दी है।' इसके बाद से सोनू निगम का काफी विरोध हुआ था। विवाद इतना बढ़ा था कि निगम के खिलाफ फतवा जारी कर दिया गया था, जिसके बाद सोनू निगम ने सिर भी सिर मुंडवा लिया था।

इसके अलावा प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर ने ट्वीट करके लाउडस्पीकर से होने वाली अजान पर प्रश्नचिन्ह खड़े किए थे। उन्होंने लिखा था कि 'भारत में लगभग 50 साल तक लाउडस्पीकर पर अज़ान देना हराम माना जाता था, फिर अचानक यह हलाल इजाजत कैसे हो गया और इतना हलाल हुआ कि इसका कोई अंत नहीं नजर आ रहा, लेकिन यह अब खत्म होना चाहिए। अज़ान देना सही है, लेकिन लाउडस्पीकर पर अज़ान देने से दूसरों को असुविधा होती है। मुझे आशा करता हूं कम से कम इस बार वे यह काम खुद करेंगे।' जावेद अख्तर अपने इस ट्वीट के कारण ट्रोल भी होना पड़ा था।

लाउडस्पीकर वाली अजान और कोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मई 2020 में मस्जिद से अजान मामले पर एक अहम फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है। यह जरूर है कि अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग है। इसलिए मस्जिदों से मोइज्जिन बिना लाउडस्पीकर अजान दे सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार व्यक्ति के जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है। किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि जिलाधिकारियों से इसका अनुपालन कराएं।

साथ् ही साथ् इलाहाबाद हाई कोर्ट ने साफ कर दिया था कि लाउडस्पीकर से अजान पर रोक सही है। कोर्ट ने कहा कि जब लाउडस्पीकर नहीं था तब भी अजान होती थी। उस समय भी लोग मस्जिदों में नमाज पढ़ने के लिए एकत्र होते थे। ऐसे में यह नहीं कह सकते कि लाउडस्पीकर से अजान रोकना अनुच्छेद 25 के धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का उल्लंघन है।

अंततः यही कहा जा सकता है कि इस्लाम में अजान जरूरी है,ना कि लाउडस्पीकर वाली अजान। वैसे भी जब लाउडस्पीकर नहीं था तब भी अजान होती थी लेकिन बीते कुछ वर्षों से लाउडस्पीकर से आजान बढ़ गई है। इसके पीछे भी इस्लामिक तुष्टीकरण माना जाता है।

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