“मोदी जी, टोपी क्यूँ नहीं पहनते, इफ़्तार पार्टी क्यूँ नहीं रखते” पूछने वाले अब राम मंदिर भूमि पूजन करवाने को बता रहे ‘सेकुलरिज्म’ का अपमान

ओवैसी ने ट्वीट कर कहा है कि , प्रधानमंत्री मोदी का भूमि पूजन में जाना, संविधान व धर्मनिरपेक्षता के शपथ का अपमान होगा।(Image: Twitter & Wikimedia Commons)
ओवैसी ने ट्वीट कर कहा है कि , प्रधानमंत्री मोदी का भूमि पूजन में जाना, संविधान व धर्मनिरपेक्षता के शपथ का अपमान होगा।(Image: Twitter & Wikimedia Commons)
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5 अगस्त 2020 का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। दशकों तक इंतज़ार और एक लंबे संघर्ष के बाद, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण का कार्य जल्द ही शुरू होने जा रहा है। 5 अगस्त के दिन मंदिर स्थल पर भूमि पूजन का कार्यक्रम तय किया गया है। भूमि पूजन के कार्य को, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मौजूदगी में सम्पन्न किया जाएगा। 

5 अगस्त की तारीख ज़्यादा खास इसीलिए भी है, क्यूंकी इसी तारीख पर पिछले साल मोदी सरकार ने धारा 370 से कश्मीर को मिलने वाले विशेषाधिकारों को खत्म कर दिया था। धारा 370 को हटाना व राम मंदिर के निर्माण का मुद्दा, दशकों से भारतीय जनता पार्टी का मुख्य एजेंडा रहा है। 5 अगस्त की तारीख पर धारा 370 तो हटाया ही गया था, लेकिन अब उसी दिन राम मंदिर की नींव रख कर, इस तारीख को और भी खास बना दिया जाएगा। यह तारीख आने वाले समय में, भारतीय जनता पार्टी के लिए एक अहम तारीख बन जाएगी। 

आपको बता दें की राम मंदिर के भूमि पूजन को लेकर विरोधियों की बौखलाहट छठे आसमान पर पहुँच गयी है। अभी कुछ ही दिनों पहले साकेत गोखले नाम के एक व्यक्ति ने भूमि पूजन को रोकने के लिए अल्लाहबाद हाइकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। आज हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी प्रधानमंत्री के राम मंदिर भूमि पूजन में जाने का विरोध किया है। ओवैसी ने ट्वीट कर कहा है कि , प्रधानमंत्री मोदी का भूमि पूजन में जाना, संविधान व धर्मनिरपेक्षता के शपथ का अपमान होगा। हालांकि, यही वो लोग हैं जो सालों से पूछते आए है कि, "मोदी जी मुस्लिम टोपी क्यों नही पहनते, मोदी जी इफ़्तार पार्टी क्यों नहीं करवाते, मोदी जी ईद क्यों नहीं मनाते, मोदी जी, मोदी जी, मोदी जी….।" टोपी पहने और इफ़्तार पार्टी करवाएं तो सेकुलरिज्म ज़िंदाबाद हो जाता है, लेकिन  मंदिर का भूमिपूजन करें तो पद की गरिमा का अपमान लगने लगता है।

आपको याद होगा की धारा 370 हटने के बाद पूरे देश भर में भाजपा के विरोधियों ने एक सुर में मोदी व अमित शाह का विरोध किया था। अब जब इस धारा को हटे हुए 1 साल होने को आए, तो उसी तारीख को राम मंदिर की नींव रखी जा रही है। मोदी सरकार एक एक कर के अपने वादा पूरा करती जा रही है, और विरोधियों के विधवा विलाप के लिए नए अवसर भी प्रदान कर रही है। आप इसे मोदी सरकार द्वारा विरोधियों कि सरकारी ट्रोलिंग के रूप में भी देख सकते हैं। 

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