सियोल में हजारों बौद्ध भिक्षुओं ने शुक्रवार को एक रैली की, जिसमें राष्ट्रपति मून जे-इन से मांग की गई कि वे सरकार के 'बौद्ध विरोधी पूर्वाग्रह' के लिए माफी मांगें। दरअसल, एक सत्तारूढ़ पार्टी के सांसद ने मंदिरों पर पर्यटकों से राष्ट्रीय उद्यानों में प्रवेश शुल्क इक्ठ्ठा करने का आरोप लगाया है। समाचार एजेंसी योनहाप की रिपोर्ट के अनुसार, सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी के विधायक, जंग चुंग-राय, दक्षिण कोरिया के सबसे बड़े बौद्ध संप्रदाय जोग्ये ऑर्डर की आलोचनाओं के दौर से गुजर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने सांस्कृतिक संपत्ति देखने के शुल्क इक्ठ्ठा करने वाले मंदिरों की तुलना एक प्रसिद्ध ठग से की है।
राष्ट्रीय उद्यानों में स्थित मंदिरों ने सभी पार्क के पर्याटकों से फीस में प्रति व्यक्ति 3,000-4,000 लिए हैं, चाहे वे मंदिरों में जाते हों या नहीं।
मंदिरों का तर्क है कि वे इस तरह की फीस के हकदार हैं क्योंकि पैसे का उपयोग मंदिर की संपत्ति और पार्कों के अंदर मंदिरों से संबंधित निजी क्षेत्रों की देखभाल के लिए किया जाता है।
सियोल में 'बौद्ध विरोधी पूर्वाग्रह' के खिलाफ हजारों बौद्ध भिक्षुओं ने की रैली (Wikimedia Commons)
मध्य सियोल में जोग्ये ऑर्डर के मुख्यालय में आयोजित शुक्रवार की रैली ने ध्यान आकर्षित किया क्योंकि यह ऐसे समय में आया जब राष्ट्रपति पद की दौड़ इस अटकल के बीच गर्म हो रही थी कि बौद्धों में सरकार विरोधी भावना सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार ली जे-म्युंग की संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है।
यह 28 वर्षों में पहली बार चिह्न्ति हुआ है कि जोग्ये ऑर्डर ने 1994 में संप्रदाय के सुधार के लिए आयोजित की गई रैली के बाद से बौद्ध भिक्षुओं के राष्ट्रीय सम्मेलन के नाम पर देश भर से मोंक की एक बड़ी रैली का आयोजन किया है। रैली से पहले जारी एक बयान में, जोग्ये ऑर्डर और प्रतिभागियों ने राष्ट्रपति मून की माफी, बौद्ध धर्म के खिलाफ और धार्मिक पूर्वाग्रह को रोकने के लिए कानूनों के अधिनियमन और राष्ट्रीय विरासत को संरक्षित करने के उपायों के बारे में कहा है।(आईएएनएस-AS)