“कल तक जिस पर था विश्वास अपार, उसी ने किया सीने पर वार”

Transparency-Pardarshita
Transparency-Pardarshita

पारदर्शिता या अंग्रेजी में इस शब्द का अनुवाद करें तो Transparency हमारे जीवन में अहम भूमिका रखती है। आप की सोच पारदर्शी है तो सफल होना निश्चित है, आप का स्वभाव पारदर्शी हो तो लोग आप पर विश्वास करते हैं। किन्तु, पारदर्शिता केवल व्यक्ति में ही नहीं राजनीति में भी ज़रूरी है, और दुःख की बात यह है कि हर-एक राजनीतिक दल ने पारदर्शिता को अनसुना किया है। उस पार्टी ने भी पारदर्शिता को ताक पर रख दिया जो इसी भरोसे के साथ जनता के बीच आई थी कि "हम अपने काम में पारदर्शिता रखेंगे।" किन्तु वह भी राजनीति के दाँव-पेंच में अपने कर्तव्य को भूल गई।

बात हो रही है दिल्ली की सत्ता संभाले 'आम आदमी पार्टी' की जिसने सच साथ छोड़ झूठ का मार्ग चुना, जिसने आम नागरिकों द्वारा दिए चंदे का गबन किया। इन्ही मुद्दों पर और 'आप' के काले करतूतों को पर्दाफाश करने के लिए मुनीश रायज़ादा द्वारा निर्मित वेब-सीरीज़, "ट्रांसपेरेंसी-पारदर्शिता" रिलीज़ हुई। अब वह MX-Player पर मुफ्त में उपलब्ध है।

अब सवाल यह है कि "हम इस वेब-सीरीज़ को क्यों देखें?" तो इसी सवाल के जवाब में 5 महत्वपूर्ण तर्क आपके समक्ष प्रस्तुत हैं:

पहला- आप सही गलत के बीच अंतर पहचान पाएंगे।

आज जनता बड़ी आधुनिक हो गई है, उसे सही गलत का पूर्ण एहसास है। आज के आधुनिक युग में सोशल मीडिया पर सभी सक्रिय हैं, किन्तु यही सोशल मीडिया कुछ लोगों के लिए भ्रम पैदा करने का साधन भी बन गया है। और इसी कोलाहल में हम कभी-कभार सही-गलत में भेद नहीं पहचान पते हैं, और इस भेद को अच्छे से समझाने में गूगल और फेसबुक ही काम में आता है। यही काम कर रही है यह वेब-सीरीज़, जो आपको 'आम आदमी पार्टी' के अंदरूनी रहस्य से अवगत कराएगी और बताएगी कैसे इस पार्टी ने और अरविन्द केजरीवाल ने जनता और अपनों को धोखा दिया।

दूसरा- जिन्होंने अपनों का विश्वास तोड़ा उनके बारे जान जाएंगे।

आपका यह सवाल होगा कि "हम आपकी बात का विश्वास कैसे करें?" तो जवाब यह है कि यह पूरा मसला विश्वास की सुई में ही अटका हुआ है। मुनीश रायज़ादा आम आदमी पार्टी के उन कार्यकर्ताओं में से एक थे जिन्होंने पार्टी को खड़ा करने में अहम योगदान दिया। किन्तु जब उन्हें पार्टी के अंधकारमय सच का पता चला तब उन्होंने इसका विरोध किया और पार्टी को अलविदा कह दिया। इस वेब-सीरीज़ में आपको काले सच से अवगत कराते हुए वह बड़ी हस्तियां नज़र आएंगी जिन्होंने इस पार्टी को खड़ा किया।

तीसरा- उन सभी की मुँह-ज़ुबानी बातें सुनेंगे जिन्होंने इस पार्टी को खड़ा किया।

हमें उन सभी रहस्यों से रूबरू होने का मौका जिनसे जान-बूझ कर जनता को अछूता रखा गया। अन्ना आंदोलन के वक्त के केजरीवाल में और राजनीति वाले केजरीवाल में कितना अंतर है वह जानने का मौका मिलेगा। अन्ना हज़ारे क्यों राजनीतिक पार्टी के विरोध में थे, इसका असल कारण क्या था? यह उनकी मुंहज़ुबानी सुनने को मिलेगा। और ऐसा क्या हुआ कि जिन्होंने इस पार्टी को खड़ा किया और अपना तन-मन-धन सब कुछ लगा दिया, उन्हें ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया या उन्हें पार्टी छोड़ने पर मजबूर किया गया। इन सभी का सटीक कारण जानने को मिलेगा। 

चौथा- कथनी और करनी के बीच अंतर जान पाएंगे।

यह वेब-सीरीज़ कई दिनों के रिसर्च से जन्मी एक सत्य-कथा है। आज अगर दिल्ली का यह हाल है तो इसके पीछे क्या कारण है, उन सबको इस वेब-सीरीज़ में दर्शाया गया है। मौहल्ला क्लिनिक से लेकर यमुना की सफाई तक सब पर रौशनी डाली गई है। जो 'आम आदमी पार्टी' स्वराज का स्वप्न दिखा कर सत्ता में आई थी उसके और असली स्वराज के बीच का अंतर दर्शाया गया है। कथनी और करनी के भेद को सही ढंग से दिखाया गया है। 

पांचवां- भविष्य के लिए सतर्क हो जाएंगे।

यह वेब-सीरीज़ हमें एक सीख देती है कि जनता भी कभी-कभार गलत हो सकती है, इसकी वजह यह है कि जनता को वास्तविक सत्य का बोध नहीं होता। जिस वजह से वह गलत को भी सही मानने की भूल कर जाती हैं। आम आदमी पार्टी के ही पूर्व कार्यकर्ता प्रहलाद पांडेय ने न्यूज़ग्राम से हुई बातचीत में यह बताया था कि "एक पार्टी या व्यक्ति ज़्यादा समय तक धूल नहीं झोक सकता है, किन्तु यह भी सोचने और विचार करने की बात है कि उसने ज़्यादा नहीं तो कुछ समय के लिए ही, मगर धूल तो झोंका।" इसका तात्पर्य यह है कि इस पार्टी का असली चेहरा जनता के सामने आ गया किन्तु हमें भविष्य के लिए भी सतर्क रहना चाहिए कि ऐसे व्यक्ति या दल और भी होंगे। 

इस वेब-सीरीज़ में दो बेहतरीन गाने भी मौजूद हैं, जिनको स्वर दिया है प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर ने और उदित नारायण जी ने। अन्नू रिज़वी द्वारा लिखित "कितना चंदा जेब में आया" और "बोल रे दिल्ली बोल" दोनों ही क्रांतिकारी गीत हैं और आपको पसंद आएंगे। कुल-मिलाकर इस वेब-सीरीज़ को हर किसी को देखना चाहिए।

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