पारदर्शिता – अपनों द्वारा छली गयी दिल्ली की अनसुनी कहानी

डॉक्यूमेंट्री, डॉक्टर मुनीश रायज़ादा का अनुसरण करते हुए विभिन्न राजनीतिक हस्तियां।
डॉक्यूमेंट्री, डॉक्टर मुनीश रायज़ादा का अनुसरण करते हुए विभिन्न राजनीतिक हस्तियां।

By – Sudisha Limbu

मुनीश रायज़ादा फिल्म्स ने राजनीतिक मूल्यों पर डॉक्यूमेंट्री बना कर बड़ा ही ऐतिहासिक और साहसिक कदम उठाया है। ट्रांसपैरेंसी : पारदर्शिता नाम से बनी यह डॉक्यूमेंट्री, इस वर्ष अप्रैल के महीने में रिलीज़ हुई थी।

मैं भी अन्ना, तू भी अन्ना के दौर से गुज़रते हुए, यह डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' (IAC) जैसे बड़े आंदोलनों पर बात करती है। जो 2011-2012 के समय काल में अपने चरम पर था।

डॉक्यूमेंट्री, डॉक्टर मुनीश रायज़ादा का अनुसरण करते हुए विभिन्न राजनीतिक हस्तियों, विश्लेषकों और पत्रकारों का साक्षात्कार करती है, जिन्होंने उस बग़ावती अभियान को बड़े नज़दीक से देखा था। इन सभी लोगों ने अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में उठी आम आदमी पार्टी (AAP) की लहर को देखा था।

सच्ची घटनाओं की पारदर्शिता को कायम रखते हुए इस डॉक्यूमेंट्री के गीत विषय वस्तु को और मजबूती के साथ पेश करते हैं। और इस लेख के माध्यम से, मैं उन्हीं गीतों में से मुख्य तौर पर, आपका ध्यान एक गीत की ओर ले जाना चाहूंगी।

आपको बता दें कि 6 एपिसोड्स की इस डाक्यूमेंट्री में कुल तीन गीत हैं।

बोल रे दिल्ली बोल

अन्नू रिज़वी की कलम से निकले गीत के मार्मिक बोल भारत के प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर की आवाज़ में लोगों के बीच हुंकार भरते हैं। प्रवेश मल्लिक द्वारा रचित संगीत के साथ यह गीत मात्र कानों को लुभाता नहीं, बल्कि देश की राजधानी दिल्ली की चोली में छिपे भ्रष्टाचार की कहानी को उजागर भी करता है। आपको भावुक भी करता है। दिल्ली, IAC और AAP का मुख्य केंद्र रहा है।

म्यूजिक वीडियो में आप, केजरीवाल और उनकी पार्टी की विफलताओं की ओर इशारा करते हुए, डॉ रायज़ादा द्वारा लिए गए उन साक्षात्कारों की झलक भी देख पाएंगे, जो हताश हैं..गुस्से में हैं। 

जहाँ एक तरफ गीत में दर्शाये चित्र दिल्ली की बदहाल तस्वीर पेश करते हैं वहीं दूसरी तरफ इसके बोल कुछ "अपनों" को बेनकाब करते हैं। अब दिल्ली की गोद में ये "अपने" कौन हैं ? इसका पता आपको आगे चल ही जाना है।

गीत के कुछ बोल काफी सांकेतिक रूप से ज़हन में अपना घर बनाते हैं। एक पंक्ति में अन्नू रिज़वी लिखते हैं "सब बेरंग है गांधीगीरी, ये क्या जाने, क्या है फ़क़ीरी"।

पूरा गीत सुनने के लिए यह वीडियो देखें :

शुरुआती दौर में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ बुलंद करते हुए पार्टी ने और भी कई वादे किये थे। मंच पर क्रांति का नया मज़मून लिखा जा रहा था। मगर सत्ता में आने के बाद AAP भी राजनितिक गलियारों में गुम हो कर रह गयी। वो भी बाकी दलों की तरह कुर्सी के मोह में अपने फ़र्ज़ से पीछे हट गयी। उन्होंने उन सब के साथ दगा किया जिनके साथ दूर तक चलने की बातें किया करते थे।

जब इस दृष्टिकोण से देखा जाए, तो डाक्यूमेंट्री का नाम "पारदर्शिता" उत्कृष्ट जान पड़ता है।

क्यूंकि पार्टी जिस पारदर्शिता की बात किया करती थी, उन सिद्धांतों से वो खुद पीछे हट चुकी है। (पार्टी ने अपनी वेबसाइट से उन दाताओं की सूची को हटा दिया जो फंडिंग कर रहे थे या पार्टी को चंदा प्रदान कर रहे थे। जिसका ज़िक्र आपको इस गीत में कई दफा देखने को मिल सकता है।) … और शायद उनके पतन का कारण भी यही रहा।

डाक्यूमेंट्री के निर्देशक डॉक्टर रायज़ादा शिकागो में स्थित एक नियोनेटोलॉजिस्ट हैं जिन्होंने AAP के मुख्य सदस्य के रूप में IAC आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लिया था।

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